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अमेठी: होली में रासायनिक रंगों से बचने की डॉक्टर ने दी सलाह - up news

होली पर रंगों का चलन बहुत आम है. रंगों के बिना होली बेरंग हो जाएगी, लेकिन रंग अगर रासायनिक हैं तो ये रंग में भंग डालने का काम करते हैं. ये रंग त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.

होली में रंगों के इस्तेमाल पर क्या है डॉक्टर की राय
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Published : Mar 20, 2019, 8:13 PM IST

अमेठी: होली पर इस्तेमाल होने वाले रंगों में मौजूद केमिकल कई तरह की स्किन से जुड़ी समस्याओं को जन्म देते हैं. साथ ही गर्भवती महिलाओं पर भी इन रंगों का बुरा असर पड़ता है. इसके चलते उनके पेट में पल रहे बच्चे पर भी प्रभाव पड़ता है.

होली के रंगों से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए अमेठी सामुदायिक स्वास्थय केंद्र के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सौरभ सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने होली के त्योहार में केमिकल युक्त रंगों के बजाय हर्बल रंगों का उपयोग करने की सलाह दी है. इसके अलावा उन्होंने गर्भवती महिलाओं को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखने और ज्यादा तली-भुनी चीजों से परहेज करने का सुझाव दिया.

होली में रासायनिक रंगों से बचने की डॉक्टर ने दी सलाह.
डॉ. सौरभ सिंह ने कहा कि केमिकल रंगों का प्रयोग बिल्कुल न करें. होली खेलने के लिए फूलों से बने हर्बल रंगों का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि अधिक केमिकल वाले रंगों का प्रयोग करने से हमारे शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं. इसके चलते सांस लेने में दिक्कत आती है. इसे अस्थमा कहते हैं. कुछ लोगों को रंगों से ब्लड-प्रेशर और दिल की धड़कनें बढ़ने जैसी समस्याएं हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे केमिकल होते हैं जो शरीर में प्रो-एग्रो जिन को एक्टिवेट कर देते हैं. अगर यह जिन एक्टिवेट हो गया तो कैंसर का कारण बन सकता है. कभी-कभी यह स्किन कैंसर को भी दावत देता है. होली के रंगों से आंखों को भी बचाना चाहिए, क्योंकि अगर रंग आंखों की रेटिना में पड़ गया तो काफी दिक्कत आती है.


गर्भवती महिलाएं न करें रंगों का इस्तेमाल

गर्भवती महिलाओं को होली के त्योहार पर अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उन्हें ज्यादा मिठाई और तली-भुनी चीजें नहीं खानी चाहिए. अगर वो ज्यादा तली-भुनी चीजें खाएंगी तो इससे तनाव पैदा होता है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं को दर्द की शिकायत भी हो सकती है. साथ ही बच्चे को भी दिक्कत आ सकती है. गर्भवती महिलाओं को रंगों से बचकर रहना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है.

अमेठी: होली पर इस्तेमाल होने वाले रंगों में मौजूद केमिकल कई तरह की स्किन से जुड़ी समस्याओं को जन्म देते हैं. साथ ही गर्भवती महिलाओं पर भी इन रंगों का बुरा असर पड़ता है. इसके चलते उनके पेट में पल रहे बच्चे पर भी प्रभाव पड़ता है.

होली के रंगों से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए अमेठी सामुदायिक स्वास्थय केंद्र के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सौरभ सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस बातचीत में उन्होंने होली के त्योहार में केमिकल युक्त रंगों के बजाय हर्बल रंगों का उपयोग करने की सलाह दी है. इसके अलावा उन्होंने गर्भवती महिलाओं को अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखने और ज्यादा तली-भुनी चीजों से परहेज करने का सुझाव दिया.

होली में रासायनिक रंगों से बचने की डॉक्टर ने दी सलाह.
डॉ. सौरभ सिंह ने कहा कि केमिकल रंगों का प्रयोग बिल्कुल न करें. होली खेलने के लिए फूलों से बने हर्बल रंगों का उपयोग करना चाहिए. उन्होंने बताया कि अधिक केमिकल वाले रंगों का प्रयोग करने से हमारे शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं. इसके चलते सांस लेने में दिक्कत आती है. इसे अस्थमा कहते हैं. कुछ लोगों को रंगों से ब्लड-प्रेशर और दिल की धड़कनें बढ़ने जैसी समस्याएं हो जाती हैं. उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे केमिकल होते हैं जो शरीर में प्रो-एग्रो जिन को एक्टिवेट कर देते हैं. अगर यह जिन एक्टिवेट हो गया तो कैंसर का कारण बन सकता है. कभी-कभी यह स्किन कैंसर को भी दावत देता है. होली के रंगों से आंखों को भी बचाना चाहिए, क्योंकि अगर रंग आंखों की रेटिना में पड़ गया तो काफी दिक्कत आती है.


गर्भवती महिलाएं न करें रंगों का इस्तेमाल

गर्भवती महिलाओं को होली के त्योहार पर अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उन्हें ज्यादा मिठाई और तली-भुनी चीजें नहीं खानी चाहिए. अगर वो ज्यादा तली-भुनी चीजें खाएंगी तो इससे तनाव पैदा होता है. इसके चलते गर्भवती महिलाओं को दर्द की शिकायत भी हो सकती है. साथ ही बच्चे को भी दिक्कत आ सकती है. गर्भवती महिलाओं को रंगों से बचकर रहना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ता है.

Intro:अमेठी। होली पर सबसे बड़ी समस्या रंगों से त्वचा को होने वाला नुकसान और गर्भवती महिलाओं को होने वाली नुकसान है। रंगों में मौजूद केमिकल कई तरह की स्किन से जुड़ी समस्याओ को जन्म देती है साथ ही गर्भवती महिलाओं को उसके बच्चे पर भी असर देखने को मिलता है। होली के रंगों से होने वाले नुकसान से बचाव के लिए अमेठी सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सौरभ सिंह से ईटीवी की खास बातचीत। इस खास बातचीत में डॉ सौरभ सिंह ने बताया कि होली के त्योहार में केमिकल युक्त रंगों के बजाय हर्बल रंग का उपयोग करे और गर्भवती महिलाए अपने खान-पान का विशेष ध्यान रखे और ज्यादा तली-भुनी चीज न खाए।


Body:वी/ओ- वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सौरभ सिंह ने बताया कि केमिकल रंगों का प्रयोग न करे। होली खेलने के लिए फूलो से बने हर्बल रंगों का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि अधिक केमिकल वाले रंगों का प्रयोग करने से हमारे शरीर पर चिकित्ते पड़ जाते है जिसके कारण कारण सास लेने में दिक्कत आती है,जिसे अस्थमा कहते है। कुछ लोगो को होली के रंगों से ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे केमिकल होते है जो शरीर मे प्रो-एग्रो जिन को एक्टिवेट कर देते है,अगर यह जिन एक्टिवेट हो गया तो यह कैंसर में परिवर्तित कर देता है। कभी-कभी यह स्किन कैंसर को भी दावत दी देता है। होली में कम से कम रंगों का प्रयोग करना चाहिए। होली के रंगों से आंखों को भी बचाना चाहिए क्योंकि अगर आखो के रेटिना में पड़ गया तो काफी दिक्कत आती है। होली के त्योहार में इन सब से बचाव करते हुए होली का त्योहार मानना चाहिए।


Conclusion:होली के रंगों से गर्भवती महिलाओं को बचना चाहिए

गर्भवती महिलाओं को होली के त्योहार पर अपने खान-पान का विशेस ध्यान देना चाहिए। उन्हें ज्यादा मिठाई और तली-भूनि चीजे नही खानी चाहिए। क्योंकि उनके पेट मे जो बच्चा होता है अगर वो ज्यादा तली-भुनी चिजर खाएंगी तो तनाव होता है जिससे गर्भवती महिलाओं को दर्द हो सकता है,बच्चे को दिक्कत आ सकती है। गर्भवती महिलाओं को रंगों से बचकर रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि गर्ववती महिला से ज्यादा बच्चे पर दिक्कत आती है।

बाइट- डॉ सौरभ सिंह (वरिष्ठ चिकित्सक, सीएचसी अमेठी।)
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