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अम्बेडकरनगर में खेत में ही क्वॉरंटाइन हो रहे हैं प्रवासी मजदूर - अम्बेडकरनगर जिला प्रशासन

उत्तर प्रदेश के अम्बेडरनगर जिले में दूसरे राज्यों से वापस आए प्रवासी मजदूरों ने परिवार की सुरक्षा के लिए खुद को खेत में ही क्वॉरंटाइन कर लिया. यह लोग बिना किसी सरकारी मदद के यहां पर रह रहे हैं.

quarantine center.
खेत में बनाया क्वॉरेंटाइन सेंटर.
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Published : May 21, 2020, 5:29 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकरनगरः जिला प्रशासन गैर प्रदेशों से आने वाले प्रवासी मजदूरों को होम क्वॉरंटाइन रहने के निर्देश दे रहा है, लेकिन इन मजदूरों को परिवार की सुरक्षा का भय सता रहा है, जिसके कारण ये लोग घर जाने की बजाए खेत को ही क्वॉरंटाइन सेंटर बना दिए हैं. गत एक सप्ताह से बगैर किसी सरकारी मदद के ये मजदूर यहीं जिंदगी गुजार रहे हैं.

गांव से दूर खेत में क्वॉरंटाइन सेंटर
जिले के बसखारी विकास खण्ड के ग्राम बलुआ देवहट के लोग नासिक और मुम्बई में रह कर काम करते थे. लॉकडाउन के चलते इन्हें अपने घर वापस आना पड़ा. जिला प्रशासन ने इनकी स्क्रीनिंग कराकर इन्हें होम क्वॉरंटाइन रहने के निर्देश दिए थे. ऐसे में इन लोगों को अपने परिवार वालों की सुरक्षा का भय सताने लगा.

प्रशासनिक स्तर पर कोई सहयोग न मिलने पर ये सब गांव से दूर खेत को ही क्वॉरंटाइन सेंटर बना दिए. रात का समय यह लोग खेत में गुजारते हैं और दोपहर को बाग में समय बिताते हैं. वहीं शाम सुबह गांव वाले इनके खाने का प्रबंध करते हैं.

अम्बेडकरनगरः जिला प्रशासन गैर प्रदेशों से आने वाले प्रवासी मजदूरों को होम क्वॉरंटाइन रहने के निर्देश दे रहा है, लेकिन इन मजदूरों को परिवार की सुरक्षा का भय सता रहा है, जिसके कारण ये लोग घर जाने की बजाए खेत को ही क्वॉरंटाइन सेंटर बना दिए हैं. गत एक सप्ताह से बगैर किसी सरकारी मदद के ये मजदूर यहीं जिंदगी गुजार रहे हैं.

गांव से दूर खेत में क्वॉरंटाइन सेंटर
जिले के बसखारी विकास खण्ड के ग्राम बलुआ देवहट के लोग नासिक और मुम्बई में रह कर काम करते थे. लॉकडाउन के चलते इन्हें अपने घर वापस आना पड़ा. जिला प्रशासन ने इनकी स्क्रीनिंग कराकर इन्हें होम क्वॉरंटाइन रहने के निर्देश दिए थे. ऐसे में इन लोगों को अपने परिवार वालों की सुरक्षा का भय सताने लगा.

प्रशासनिक स्तर पर कोई सहयोग न मिलने पर ये सब गांव से दूर खेत को ही क्वॉरंटाइन सेंटर बना दिए. रात का समय यह लोग खेत में गुजारते हैं और दोपहर को बाग में समय बिताते हैं. वहीं शाम सुबह गांव वाले इनके खाने का प्रबंध करते हैं.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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