अम्बेडकरनगर: कोरोना महामारी के चलते लागू लॉकडाउन में बेरोजगरी की मार के कारण गैर प्रदेशों में काम करने वाले दिहाड़ी मजदूर अपने घर वापस आ गए. ऐसे मजदूरों के सामने घर का खर्च चलाने में कोई समस्या न हो इसके खातिर प्रदेश सरकार ने मनरेगा के तहत उन्हें रोजगार देने का निर्णय किया. वहीं जिले में योगी सरकार के दावे की हकीकत उलट ही है. जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किमी दूर स्थित गांव कटघर में प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं मिला है. जिन लोगों को काम मिल भी गया उन्हें उसका भुगतान नहीं मिला रहा है. मजदूर भुगतान के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं.
मामला आलापुर तहसील क्षेत्र के ग्राम कटघर का है. गांव में लॉकडाउन के चलते सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर वापस घर आए हैं, जिन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है. इन मजदूरों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है. सरकार द्वारा मनरेगा में रोजगार देने की घोषणा के बाद इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार मिलने की आस जगी, लेकिन ये ख्वाब हकीकत में नहीं बदल सका. ईटीवी भारत की टीम ने जब गांव का दौरा किया तो कई लोगों ने अपनी व्यथा सुनाई. इन प्रवासी मजदूरों को गांव में रोजगार के साधन नहीं मिलने से काफी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.
प्रवासी मजदूरों का कहना है कि मनरेगा योजना में रोजगार नहीं मिला, जिससे घर वे लोग बैठे हैंं. कुछ मजदूरों का यह भी कहना है कि दो चार दिन काम तो मिला, लेकिन उसका भुगतान नहीं मिला. पैसा न मिलने के कारण मजदूरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उन्हें दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करने और घर का खर्च चलाने में समस्या हो रही है.
प्रवासी मजदूरों द्वारा मनरेगा के तहत रोजगार न मिलने की शिकायत पर ग्राम प्रधान गंगाराम का कहना है कि मनरेगा के अंतर्गत प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया था. बारिश के चलते काम ठप है. जो लोग छूट गए हैं उनके लिए भी जल्द ही गांव में रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी. जिन का भुगतान नहीं हुआ है उनके लिए बीडीओ से बात हुई है फीडिंग करा कर जल्द भुगतान कराया जाएगा.