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नई व्यवस्था बनी मुसीबत : खाद लेने के लिए परदेसी किसानों को लौटना होगा घर

साधन सहकारी समितियों से खाद पाने के लिए परदेसी किसानों को घर लौटना पड़ेगा. वजह आधार कार्ड तथा ई-पास मशीन में उनके अंगूठा लगाने के बाद ही खाद मिलेगी.

ई-पास मशीन में अंगूठा लगाने के बाद ही मिलेगी खाद.
ई-पास मशीन में अंगूठा लगाने के बाद ही मिलेगी खाद.
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Published : Dec 2, 2020, 2:16 PM IST

अम्बेडकरनगर : साधन सहकारी समितियों से खाद पाने की नई व्यवस्था अन्नदाताओं के लिए गले की फांस बन गई है. वजह है, आधारकार्ड और ई-पास मशीन में भू स्वामियों के अंगूठे का निशान लगना. सरकार के नए नियमों के मुताबिक अब खाद तभी मिलेगा जब भू-स्वामी के अंगूठे का निशान लगेगा. ऐसे में प्रदेश में रह रहे परदेसी किसानों को घर आना ही होगा. इस व्यवस्था ने समिति प्रभारियों के हाथ को भी बांध रखा है. परदेसी किसानों के घर नहीं लौट पाने की स्थिति में परिवार वाले खेती के लिए दुकानों से अधिक दाम पर खाद लेने को विवश हैं.

लॉक डाउन खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर ग्रामीण इलाकों के लोग परदेस का रुख कर लिए थे. घर छोड़ परदेस में आये लोग अभी अपना कारोबार जमा भी न पाए थे कि एक बार फिर उन्हें अपने घरों की तरफ रुख करने को विवश होना पड़ रहा है. जो लोग नजदीक में हैं वे तो घर आ रहे हैं लेकिन जो दूर हैं उनके परिजन डेढ़ दो गुना कीमत अदा कर खाद खरीद रहे हैं. खाद का फांस अब परदेशियों के लिए मुसीबत बन गया है. दिल्ली से लौट कर आये राम उजागिर, सुधीर कुमार, राम सागर, विनोद कुमार आदि का कहना है कि अभी दो माह पहले गए थे लेकिन अब समिति से बगैर अंगूठा लगाए खाद ही नही मिल रही थी, इसलिए आना पड़ा.

खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने समितियों और प्राइवेट दुकानों से खाद लेने के लिए आधार और ई-पास मशीन के प्रयोग को अनिवार्य किया है. अब खाद लेने के लिए भू-स्वामी को स्वयं इन समितियों पर जाना होगा और वहां ई-पास मशीन पर आधार फीडिंग के साथ ही उनके अंगूठे का निशान लगेगा और फिर खतौनी के रकबा के मुताबिक उन्हें खाद मिलेगी.

अम्बेडकरनगर : साधन सहकारी समितियों से खाद पाने की नई व्यवस्था अन्नदाताओं के लिए गले की फांस बन गई है. वजह है, आधारकार्ड और ई-पास मशीन में भू स्वामियों के अंगूठे का निशान लगना. सरकार के नए नियमों के मुताबिक अब खाद तभी मिलेगा जब भू-स्वामी के अंगूठे का निशान लगेगा. ऐसे में प्रदेश में रह रहे परदेसी किसानों को घर आना ही होगा. इस व्यवस्था ने समिति प्रभारियों के हाथ को भी बांध रखा है. परदेसी किसानों के घर नहीं लौट पाने की स्थिति में परिवार वाले खेती के लिए दुकानों से अधिक दाम पर खाद लेने को विवश हैं.

लॉक डाउन खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर ग्रामीण इलाकों के लोग परदेस का रुख कर लिए थे. घर छोड़ परदेस में आये लोग अभी अपना कारोबार जमा भी न पाए थे कि एक बार फिर उन्हें अपने घरों की तरफ रुख करने को विवश होना पड़ रहा है. जो लोग नजदीक में हैं वे तो घर आ रहे हैं लेकिन जो दूर हैं उनके परिजन डेढ़ दो गुना कीमत अदा कर खाद खरीद रहे हैं. खाद का फांस अब परदेशियों के लिए मुसीबत बन गया है. दिल्ली से लौट कर आये राम उजागिर, सुधीर कुमार, राम सागर, विनोद कुमार आदि का कहना है कि अभी दो माह पहले गए थे लेकिन अब समिति से बगैर अंगूठा लगाए खाद ही नही मिल रही थी, इसलिए आना पड़ा.

खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने समितियों और प्राइवेट दुकानों से खाद लेने के लिए आधार और ई-पास मशीन के प्रयोग को अनिवार्य किया है. अब खाद लेने के लिए भू-स्वामी को स्वयं इन समितियों पर जाना होगा और वहां ई-पास मशीन पर आधार फीडिंग के साथ ही उनके अंगूठे का निशान लगेगा और फिर खतौनी के रकबा के मुताबिक उन्हें खाद मिलेगी.

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