अंबेडकर नगरः भारत को खुले में शौच मुक्त देश बनाना प्रधानमंत्री का सपना है, जिसके लिए स्वछ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय पहुंचाने का लक्ष्य है. कागजों में पूरा जिला ओडीएफ यानि कि खुले में शौच मुक्त घोषित हो गया, लेकिन जमीनी हकीकत जस की तस है. आरोप है कि ग्राम पंचायतों और अधिकारियों की मिलीभगत से शौचालयों के बनने के पैसे का बंदरबांट हो गया. गांवों में बन रहे शौचालय आधे-अधूरे ही रह गए. मजबूरन लोगों को खुले में शौच करने जाना पड़ रहा है.
कैसा पूरा होगा स्वच्छ भारत का सपना
- मामला जहांगीरगंज ब्लाक के ग्राम सभा दशरथपुर इटहिया के पुरवा कल्लुपुर का है.
- गांव में योजना के तहत बन रहे कई दर्जन शौचालय आज भी अधूरे हैं.
- इन शौचालयों में न तो सीट है और न ही गड्ढे तैयार किए गए हैं.
- गांव में जो भी शौचालय बनने थे, उनके लिए गड्ढे खोदकर छोड़ दिए गए हैं.
शौचालय का पैसा हड़पने का आरोप
शासन का निर्देश था कि शौचालय बनाने का पैसा लाभार्थियों के खाते में जाय, लेकिन गांव की फिरता देवी ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान जिलाजीत पैसा लाभार्थियों को देने के बजाय खुद ही डकार गए. वहीं फाइलों में तो इस गांव में शौचालय का निर्माण पूरा है, लेकिन हकीकत में यह योजना यहां पूरी तरह असफल हो रही है.
ग्राम पंचायत दशरथपुर इटहिया में बेस लाइन सर्वे 2012 के अनुसार 162 शौचालय बनना था, जोकि पूर्ण हो चुका है. सर्वे 2018 के अनुसार 35 शौचालय और बनने थे. इसमें से 5 का पैसा जारी हो गया है और 30 का जल्द ही हो जाएगा. 50 से 60 शौचालय जो अधूरे हैं उनकी जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई होगी.
-राम अशीष चौधरी, डीपीआरओ