अम्बेडकरनगर: एक तरफ बारिश का कहर और दूसरी तरफ घाघरा, इन दोनों के बीच में फंसे 1000 ऐसे परिवार जिनका बाढ़ से सब कुछ तबाह हो चुका था. इन तबाह और बर्बाद हुए परिवारों के जीवन-यापन के लिए प्रशासन ने बड़ी तैयारी की है और पीड़ितों को राहत सामग्री का वितरण कर रही है. इस दौरान लोगों का मेडिकल चेकअप भी हो रहा है. प्रशासन द्वारा मिले सहयोग से पीड़ितों ने राहत की सांस ली है.
बाढ़ के पानी में डूबी फसलें
जिले में घाघरा नदी में आई बाढ़ का जलस्तर लगातार बढ़ने से तबाही और बर्बादी बढ़ती जा रही है, जिससे लगभग 6 गांव टापू बन गए हैं. जिले के टांडा तहसील क्षेत्र में घाघरा नदी की चपेट में आने से पांच गांवों के लगभग एक हजार परिवार बाढ़ से पीड़ित हैं. घाघरा नदी की दो जल धाराओं के बीच बसे इन गांवों में बाढ़ का पानी घुसने से न सिर्फ हजारों बीघा धान की फसलें डूब गईं, बल्कि लोगों के घरों में पानी घुसने से घरों में रखे अनाज और पशुओं का चारा भी बर्बाद हो गया.
इन सबके बाद बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार की तरफ से बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री के साथ-साथ पशुओं के लिए चारे का भी वितरण किया गया है. बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित मांझा उल्टहवा, मांझा फूलपुर, मांझा चिंतौरा, मांझा कला और मांझा अवसानपुर के बाढ़ पीड़ितों को राहत वितरण के लिए एसडीएम टांडा अभिषेक पाठक के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम ने घाघरा नदी के तटबन्ध पर राहत सामग्री का वितरण कर रही है.
एसडीएम अभिषेक पाठक ने बताया कि टांडा तहसील के 5 गांव बाढ़ से पीड़ित हैं. जहां कुल 9 सौ से अधिक परिवारों में 6 सौ से अधिक परिवारों को राहत सामग्री का दोबारा वितरण किया गया. उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश पर बाढ़ से प्रभावित गांवों में प्रशासन सतर्क दृष्टि बनाए हुए है.