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कुंभ 2019 : संगम की रेती पर दिखे अनोखे बाबा, 12 साल की उम्र से करते हैं अग्नि हवन कुंड आसन

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Published : Feb 6, 2019, 1:44 PM IST

प्रयागराज कुंभ में आए हर बाबा की अपनी एक विशेषता और अलग-अलग कहानी है. मेला क्षेत्र में ऐसे एक बाबा आए हैं, जो 12 साल की उम्र से अग्नि हवन कुंड को अपना आसन बनाया हुआ है. बाबा का कहना है कि वह बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन हो गए थे. इस कुंभ में भी अग्नि हवन कुंड में विराजमान हैं और यह जीवन भर चलेगा.

कुंभ मेला क्षेत्र में अग्नि हवन कुंड पर विराजमान बाबा.

प्रयागराज : आस्था की नगरी कुंभ में अलग-अलग रंग-रूप के बाबा नजर आ रहे हैं. कोई ऊंट पर सवारी करता नजर आता है तो किसी ने एक पैर पर खड़े होने की कसम खाई है. कुंभ में आए हर बाबा की अपनी एक विशेषता और अलग-अलग कहानी है. मेला क्षेत्र में ऐसे एक बाबा आए हैं, जो 12 साल की उम्र से अग्नि हवन कुंड को अपना आसन बनाया हुआ है. बाबा का कहना है कि वह बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन हो गए थे. इस कुंभ में भी अग्नि हवन कुंड में विराजमान हैं और यह जीवन भर चलेगा.

तपस्वी बाबा स्वामी विशेस्वानंद गिरी ने बताया कि 12 साल की उम्र से ही भगवान के प्रति लगाव ऐसा हुआ कि घर-द्वार छोड़कर वह तपस्वी बन गए. स्वामी विशेस्वानंद गिरी ने कहा कि देश में हो रही राजनीति को देखते हुए यह लग रहा है कि धर्म की रक्षा नहीं हो रही है. इसीलिए मैने तपस्या करना शुरू किया. आज भी आज भी यह तपस्या कर रहा हूं कि देश में शांति हो और अयोध्या में भव्य रामलला के मंदिर का निर्माण हो. बाबा ने बताया कि अग्नि हवन कुंड के अलावा गर्म तेल में कूदना, अपनी जीभ को काटकर भगवान शिव को समर्पित करना. बाबा ने कहा कि एक तपस्या में वह अपनी जुबान को भगवान को चढ़ा चुके हैं. इसके साथ ही अब भी हवन कुंड झूला में बैठकर तपस्या कर रहा हूं.

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कुंभ मेला क्षेत्र में अग्नि हवन कुंड पर विराजमान बाबा.
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आग और नुकीले कील पर बैठते हैं बाबा

कुंभ मेला क्षेत्र में अग्नि कुंड के ऊपर अस्त्र-शस्त्र से सजे झूले और नुकीले कील पर बैठे बाबा को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हुई है. बाबा ने बताया कि सुबह से लेकर शाम तक इस हवन कुंड में बैठकर तपस्या कर रहा हूं. आंखों पर काला चश्मा और भगवा गमछा डाले बाबा को देखने के लिए सुबह से लेकर शाम तक भीड़ जमा हो रही है. मेला क्षेत्र में बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं. बाबा ने कहा अब यह कुंभ मेला तपस्या और राम मंदिर को निर्माण को लेकर आगे बढ़ेगा. कुंभ के बाद मंदिर निर्माण को लेकर हवन कुंड अयोध्या में जलेगा.

प्रयागराज : आस्था की नगरी कुंभ में अलग-अलग रंग-रूप के बाबा नजर आ रहे हैं. कोई ऊंट पर सवारी करता नजर आता है तो किसी ने एक पैर पर खड़े होने की कसम खाई है. कुंभ में आए हर बाबा की अपनी एक विशेषता और अलग-अलग कहानी है. मेला क्षेत्र में ऐसे एक बाबा आए हैं, जो 12 साल की उम्र से अग्नि हवन कुंड को अपना आसन बनाया हुआ है. बाबा का कहना है कि वह बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन हो गए थे. इस कुंभ में भी अग्नि हवन कुंड में विराजमान हैं और यह जीवन भर चलेगा.

तपस्वी बाबा स्वामी विशेस्वानंद गिरी ने बताया कि 12 साल की उम्र से ही भगवान के प्रति लगाव ऐसा हुआ कि घर-द्वार छोड़कर वह तपस्वी बन गए. स्वामी विशेस्वानंद गिरी ने कहा कि देश में हो रही राजनीति को देखते हुए यह लग रहा है कि धर्म की रक्षा नहीं हो रही है. इसीलिए मैने तपस्या करना शुरू किया. आज भी आज भी यह तपस्या कर रहा हूं कि देश में शांति हो और अयोध्या में भव्य रामलला के मंदिर का निर्माण हो. बाबा ने बताया कि अग्नि हवन कुंड के अलावा गर्म तेल में कूदना, अपनी जीभ को काटकर भगवान शिव को समर्पित करना. बाबा ने कहा कि एक तपस्या में वह अपनी जुबान को भगवान को चढ़ा चुके हैं. इसके साथ ही अब भी हवन कुंड झूला में बैठकर तपस्या कर रहा हूं.

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कुंभ मेला क्षेत्र में अग्नि हवन कुंड पर विराजमान बाबा.
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आग और नुकीले कील पर बैठते हैं बाबा

कुंभ मेला क्षेत्र में अग्नि कुंड के ऊपर अस्त्र-शस्त्र से सजे झूले और नुकीले कील पर बैठे बाबा को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हुई है. बाबा ने बताया कि सुबह से लेकर शाम तक इस हवन कुंड में बैठकर तपस्या कर रहा हूं. आंखों पर काला चश्मा और भगवा गमछा डाले बाबा को देखने के लिए सुबह से लेकर शाम तक भीड़ जमा हो रही है. मेला क्षेत्र में बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं. बाबा ने कहा अब यह कुंभ मेला तपस्या और राम मंदिर को निर्माण को लेकर आगे बढ़ेगा. कुंभ के बाद मंदिर निर्माण को लेकर हवन कुंड अयोध्या में जलेगा.

Intro:कुम्भ स्पेशल: संगम की रेती पे दिखे अनोखे बाबा, 12 साल की उम्र से अग्नि हवन कुंड है आसन

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प्रयागराज: आस्था की नगरी कुम्भ में अलग-अलग रंग रुप के बाबा नजर आ रहे हैं. कोई ऊँट पर सवार करता नजर आता है तो कोई एक साथ ऊपर उठाने की तपस्या ली है तो कोई एक पैर पर खड़े होने की कसम खाई है. कुंभ में आये हर बाबा की अपनी एक विशेषता और अपनी अलग-अलग कहानी है. मेला क्षेत्र में ऐसे एक बाबा आए जो 12 साल की उम्र से अग्नि हवन कुंड को अपना आसान बनाया हुआ है. बाबा का कहना है कि बचपन से ही भगवान की भक्ति में लीन हो गया. एक तपस्या में अपनी जुबान को भी भगवान को चढ़ा चुका हूं. इस कुम्भ में अग्नि हवन कुंड में विराजमान हूँ यह जीवन भर तक चलेगा.


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तपस्वी बाबा स्वामी विशेस्वानंद गिरी ने बताया कि 12 साल की उम्र से ही भगवान के प्रति लगाव ऐसा हुआ कि घर द्वार चिर कर तपस्वी बन गया. देश मे हो रही राजनीति को देखते हुए, धर्म की की रक्षा नहीं हो रही है. इसी लिए मैन तपस्या किया और आज भी यह तपस्या कर रहा हूँ कि देश शांति हो और अयोध्या में भव्य रामलला की मंदिर का निर्माण हो. बाबा ने बताया कि अग्नि हवन कुंड के अलावा गर्म तेल में कूदना, अपनी जीभ को काटकर भगवान शिव को समर्पित करना. इसके साथ ही अब भी हवन कुंड झूला में बैठकर तपस्या कर रहा हूँ.


Conclusion:आग और नुकीले कील पर बैठते हैं बाबा

अग्नि कुंड के ऊपर अस्त्र-शस्त्र से सजे झूला और नुकीले कील पर बैठे बाबा को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हुई है. बाबा ने बताया कि सुबह से लेकर शाम तक इस हवन कुंड में बैठकर तपस्या कर रहा हूँ. आंखों पर ब्लैक चश्मा और भगवा गमछा डाले बाबा को देखने के लिए सुबह से लेकर शाम तक भीड़ जमा हो रही है. मेला क्षेत्र में बाबा चर्चा के विषय पर है. बाबा ने कहा अब यह मेला तपस्या राम मंदिर को निर्माण को लेकर आगे बढ़ेगा. कुम्भ के बाद मंदिर निर्माण को लेकर हवन कुंड अयोध्या में जलेगा.
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