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त्रिवेणी तट पर रह गई यादें, इस बार कुंभ में बने कई रिकॉर्ड

प्रयागराज में आयोजित कुंभ में इस बार कई सारे रिकॉर्ड्स बने. वहीं इस बार का कुंभ कई सारी सुनहरी यादें दे गया. पीएम मोदी के सफाईकर्मियों के पांव पखारने से लेकर पेंट माई वॉल तक इस बार कुंभ में कई रिकॉर्ड बने.

त्रिवेणी तट पर रह गई यादें, इस बार कुंभ में बने कई रिकॉर्ड
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Published : Mar 5, 2019, 5:09 AM IST

प्रयागराज: इस बार का कुंभ सिर्फ गंगा, यमुना और सरस्वती का ही संगम नहीं था. इस बार यहां आस्था, स्वच्छता के साथ कई रिकॉर्डों का भी संगम देखने को मिला. महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ ही कुंभ का समापन हो गया. वहीं यह कुंभ कई सुनहरी यादें हमेशा के लिए दे गया है. इन्हीं यादों के कुछ पन्ने पलटते हैं और आपको वो बातें याद दिलाते हैं, जो आप भूले नहीं होंगे.

कई रिकॉर्ड के साथ कुंभ का हुआ समापन.


उन तस्वीर आप भूले नहीं होंगे और भूलेंगे भी नहीं. पहली बार प्रधानमंत्री ने सफाईकर्मियों के पैर धोए. इन तस्वीरों को जहां एक तबके ने खूब पसंद किया, तो दूसरी तरफ इसको लेकर राजनीति और खिंचाई भी हुई. यहां 10,000 सफाईकर्मियों ने एक साथ सफाई करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था. पहली बार ऐसा हुआ जब पांच अलग-अलग जगहों पर इतनी संख्या में कर्मचारियों ने एक साथ मिलकर झाड़ू लगाई.


इसके साथ ही कुछ और भी रिकॉर्ड बने, जिसे आपके लिए जानना जरूरी है. 'पेंट माई वॉल' के तहत 7000 से अधिक विद्यार्थियों ने अपने एक हाथ की छाप लगाई थी, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिल चुका है. इसके पहले एक साथ 503 शटल बस चलने का रिकॉर्ड बनने के बाद स्वच्छता को इस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. ये रिकॉर्ड कुंभ के नाम रहा.महाकुंभ जैसी भव्यता वाला यह पहला अर्द्धकुंभ था, जहां हर बार नई जैसी पुरानी समानता थी तो बस अखाड़े, श्रद्धालु और नागा साधुओं के करतब. अलग-अलग रंग-रूप में बाबाओं ने श्रद्धालुओं को खूब आकर्षित किया.

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इस कुंभ में आने वाले लोकसभा की झलक भी साफ थी. राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और कई बड़े नेता कुंभ स्नान के लिए पहुंचे. यह पहली बार था जब कुंभ इलाहाबाद की बजाय प्रयागराज में मनाया गया. इस कुंभ में 185 देशों के 220 प्रतिनिधि आए. दुनिया भर के 12 करोड़ लोगों ने इस संगम में डुबकी लगाई. यूनेस्को ने कुंभ को विश्व धरोहर में शामिल किया. साधुओं ने देहदान की नई परंपरा शुरू की. कुंभ के दौरान सबसे खूबसूरत रहा संगम पर गंगा-जमुनी तहजीब का संगम, जिसने हमें असल भारत दिखाया. भारत जहां प्रेम, करुणा और भाईचारे का संगम होता है.

प्रयागराज: इस बार का कुंभ सिर्फ गंगा, यमुना और सरस्वती का ही संगम नहीं था. इस बार यहां आस्था, स्वच्छता के साथ कई रिकॉर्डों का भी संगम देखने को मिला. महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ ही कुंभ का समापन हो गया. वहीं यह कुंभ कई सुनहरी यादें हमेशा के लिए दे गया है. इन्हीं यादों के कुछ पन्ने पलटते हैं और आपको वो बातें याद दिलाते हैं, जो आप भूले नहीं होंगे.

कई रिकॉर्ड के साथ कुंभ का हुआ समापन.


उन तस्वीर आप भूले नहीं होंगे और भूलेंगे भी नहीं. पहली बार प्रधानमंत्री ने सफाईकर्मियों के पैर धोए. इन तस्वीरों को जहां एक तबके ने खूब पसंद किया, तो दूसरी तरफ इसको लेकर राजनीति और खिंचाई भी हुई. यहां 10,000 सफाईकर्मियों ने एक साथ सफाई करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था. पहली बार ऐसा हुआ जब पांच अलग-अलग जगहों पर इतनी संख्या में कर्मचारियों ने एक साथ मिलकर झाड़ू लगाई.


इसके साथ ही कुछ और भी रिकॉर्ड बने, जिसे आपके लिए जानना जरूरी है. 'पेंट माई वॉल' के तहत 7000 से अधिक विद्यार्थियों ने अपने एक हाथ की छाप लगाई थी, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिल चुका है. इसके पहले एक साथ 503 शटल बस चलने का रिकॉर्ड बनने के बाद स्वच्छता को इस रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है. ये रिकॉर्ड कुंभ के नाम रहा.महाकुंभ जैसी भव्यता वाला यह पहला अर्द्धकुंभ था, जहां हर बार नई जैसी पुरानी समानता थी तो बस अखाड़े, श्रद्धालु और नागा साधुओं के करतब. अलग-अलग रंग-रूप में बाबाओं ने श्रद्धालुओं को खूब आकर्षित किया.

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इस कुंभ में आने वाले लोकसभा की झलक भी साफ थी. राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री और कई बड़े नेता कुंभ स्नान के लिए पहुंचे. यह पहली बार था जब कुंभ इलाहाबाद की बजाय प्रयागराज में मनाया गया. इस कुंभ में 185 देशों के 220 प्रतिनिधि आए. दुनिया भर के 12 करोड़ लोगों ने इस संगम में डुबकी लगाई. यूनेस्को ने कुंभ को विश्व धरोहर में शामिल किया. साधुओं ने देहदान की नई परंपरा शुरू की. कुंभ के दौरान सबसे खूबसूरत रहा संगम पर गंगा-जमुनी तहजीब का संगम, जिसने हमें असल भारत दिखाया. भारत जहां प्रेम, करुणा और भाईचारे का संगम होता है.

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