अलीगढ़: थाना टप्पल क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला ने एक अनोखे प्रकार के बच्चे को जन्म दिया हैं. इस बच्चे के दो सिर, चार हाथ और दो पैर हैं. बच्चे को देख सभी चौंक गए. अस्पताल में बच्चे को देखने वालों का तांता लग गया है. फिलहाल जन्म के बाद जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.
बता दें कि जट्टारी कस्बे में तैनात आशा कार्यकता सीमा ने थाना टप्पल क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार की रात शमा नाम की एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर भर्ती कराया. यहां अस्पताल की स्टाफ नर्स प्रीति सिंह की काफी कोशिशों के बाद शमा नाम की महिला ने एक शिशु को जन्म दिया. इस बच्चे के दो सिर, चार हाथ और दो पैर हैं. इस विचित्र बच्चे को देखकर डिलीवरी करने वाली नर्स भी आश्चर्य में पड़ गई. वहीं अगली सुबह बच्चे के जन्म की खबर सुनकर उसे देखने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कस्बे के लोगों का तांता लग गया.
अस्पताल में तैनात स्टाफ नर्स प्रीति सिंह ने बताया कि ये लोग आशा कार्यकर्ता के जरिए यहां पर आए थे. आशा कार्यकर्ता ने कहा कि यह जुड़वा बच्चे हैं, आप देख लीजिए. इस पर अल्ट्रासाउंड करा के देखा गया तो जुड़वा बच्चे थे. लेकिन प्रसव के दौरान ऐसा नहीं था. जन्म के दौरान जब बच्चे का सिर निकाला तो एक बच्चे का तो हेड निकल आया, लेकिन बाकी प्रसव के दौरान उसको बड़ी मुश्किलों से निकाला गया. उन्होंने बताया कि अब बच्चा और बच्चे की मां दोनों बिल्कुल स्वस्थ हैं.
वहीं टप्पल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. बृजेश कुमार ने बताया कि रात में करीब 12 बजे टप्पल की रहने वाली शमा यहां पर आई. उनका एडमिशन हुआ और 2 बजकर 10 मिनट पर बच्चे का जन्म हुआ. बच्चे के दो सिर हैं और दोनों बच्चे आपस में जुड़े हुए हैं. बच्चा डिलीवरी के बाद अभी स्वस्थ है. इसकी सूचना जिले पर दे दी गई है. उन्होंने कहा कि अब बच्चे को हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है. आगे बच्चे की क्या सर्जरी उपलब्ध हो पाएगी या क्या कर सकते हैं, उसकी ओपिनियन के लिए अलीगढ़ रेफर किया गया है.
डॉ. बृजेश कुमार ने बताया कि इस तरीके के मामलों में पेशेंट अगर समझदार हो तो ऐसे बच्चे के लिए लेवल-2 स्कैनिंग होता है. जनरली यहां पर लोग करवा नहीं पाते हैं. जो प्रेगनेंसी के लिए फर्स्ट अल्ट्रासाउंड होता है उसको तो कर लेते हैं, लेकिन जो लेवल 2 स्कैनिंग होती है उसमें इस तरह के बच्चों का समय से पहले पता कर लेते हैं. इस तरह के बच्चों को हम लोग उसमें रोलआउट कर लेते हैं. ये गांव का एरिया है, लोग जागरूक नहीं है. हम लोग एडवाइज तो करते हैं, लेकिन लोग उसको फॉलो नहीं कर पा रहे हैं. आगे से हम लोग और कोशिश करेंगे कि लेवल 2 स्कैनिंग भी हो जाए. ताकि इस तरह के बच्चे न आ पाएं और समय से पहले उनको पता लग जाए.