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AMU में जिन्ना की तस्वीर हटाकर लगे वीर सावरकर की फोटो, छात्र ने सीएम को लिखा खत - अलीगढ़ समाचार

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को हटाए जाने की मांग फिर से उठी है. इसको लेकर अलीगढ़ में डीएस कॉलेज के छात्र नेताओं ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. छात्रों ने मांग की है कि विश्वविद्यालय में देशभक्त वीर सावरकर की प्रतिमा स्थापित की जाए, जिससे अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं प्रेरणा ले सकें.

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
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Published : Sep 16, 2020, 1:18 AM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य प्रारंभ होने जा रहा है. इसको लेकर अलीगढ़ के छात्रों में उत्साह है. छात्रों ने मांग की है कि विश्वविद्यालय में देशभक्त वीर सावरकर की प्रतिमा स्थापित की जाए, जिससे अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं प्रेरणा ले सकें. वहीं छात्रों ने मांग की है कि एएमयू में लगी पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को हटवाया जाए और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी वीर सावरकर की प्रतिमा लगाई जाए.

इससे पहले भी अलीगढ़ के सांसद ने जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग उठा चुके हैं, लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में आज भी जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस पर कोई बात नहीं करता. डीएस कॉलेज के छात्र नेता अमित गोस्वामी कहते हैं कि जिस विश्वविद्यालय में किसी की तस्वीर लगी होती है, छात्र उससे प्रेरणा लेते हैं. एएमयू में छात्रों ने जिन्ना की तस्वीर से प्रेरणा ली, तो मन्नान वानी जैसे आतंकी निकले.

धर्म समाज कॉलेज के छात्र अमित ने कहा कि एएमयू से जिन्ना की तस्वीर हटाकर वीर सावरकर की तस्वीर लगाई जाए, जिससे छात्र राष्ट्रवाद की प्रेरणा ले सकें. अमित ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एएमयू में लगी जिन्ना की तस्वीर से अवगत कराया है. उन्होंने कहा कि एएमयू से अगर जिन्ना की तस्वीर नहीं हटती, तब एएमयू में छात्र कूच कर जिन्ना की तस्वीर को हटाने का काम करेंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि जिन्ना के नाम पर हिंदुस्तान में बहुत कुछ है. जिन्ना एक तारीख का हिस्सा है. सन 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना एएमयू आए थे, इसलिए उनकी फोटो लगी हुई है और वीर सावरकर एएमयू कभी नहीं आए थे. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने जेल से निकलने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर जी का एएमयू से जुड़ा कोई इतिहास नहीं है. उन्होंने कहा कि एएमयू पढ़ने वालों की यूनिवर्सिटी है और यहां हिंदू-मुस्लिम साथ में मिलकर पढ़ते हैं. गंगा-जमुनी तहजीब का विश्वविद्यालय है. यहां नफरत के बीज नहीं बोना चाहिए.

अलीगढ़: अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य प्रारंभ होने जा रहा है. इसको लेकर अलीगढ़ के छात्रों में उत्साह है. छात्रों ने मांग की है कि विश्वविद्यालय में देशभक्त वीर सावरकर की प्रतिमा स्थापित की जाए, जिससे अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राएं प्रेरणा ले सकें. वहीं छात्रों ने मांग की है कि एएमयू में लगी पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को हटवाया जाए और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी वीर सावरकर की प्रतिमा लगाई जाए.

इससे पहले भी अलीगढ़ के सांसद ने जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग उठा चुके हैं, लेकिन केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन में आज भी जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस पर कोई बात नहीं करता. डीएस कॉलेज के छात्र नेता अमित गोस्वामी कहते हैं कि जिस विश्वविद्यालय में किसी की तस्वीर लगी होती है, छात्र उससे प्रेरणा लेते हैं. एएमयू में छात्रों ने जिन्ना की तस्वीर से प्रेरणा ली, तो मन्नान वानी जैसे आतंकी निकले.

धर्म समाज कॉलेज के छात्र अमित ने कहा कि एएमयू से जिन्ना की तस्वीर हटाकर वीर सावरकर की तस्वीर लगाई जाए, जिससे छात्र राष्ट्रवाद की प्रेरणा ले सकें. अमित ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एएमयू में लगी जिन्ना की तस्वीर से अवगत कराया है. उन्होंने कहा कि एएमयू से अगर जिन्ना की तस्वीर नहीं हटती, तब एएमयू में छात्र कूच कर जिन्ना की तस्वीर को हटाने का काम करेंगे.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष फैजुल हसन ने कहा कि जिन्ना के नाम पर हिंदुस्तान में बहुत कुछ है. जिन्ना एक तारीख का हिस्सा है. सन 1938 में मोहम्मद अली जिन्ना एएमयू आए थे, इसलिए उनकी फोटो लगी हुई है और वीर सावरकर एएमयू कभी नहीं आए थे. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने जेल से निकलने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर जी का एएमयू से जुड़ा कोई इतिहास नहीं है. उन्होंने कहा कि एएमयू पढ़ने वालों की यूनिवर्सिटी है और यहां हिंदू-मुस्लिम साथ में मिलकर पढ़ते हैं. गंगा-जमुनी तहजीब का विश्वविद्यालय है. यहां नफरत के बीज नहीं बोना चाहिए.

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