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देशभर में 'रामलीला' की धूम के बीच अलीगढ़ में 49 साल से हो रही है 'कृष्ण लीला'

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. जहां एक तरफ देशभर में रामलीला की धूम देखने को मिल रही है वहीं अलीगढ़ में कृष्ण लीला का रंग लोगों पर चढ़ा देखने को मिल रहा है.

अलीगढ़ में 49 साल से हो रही है कृष्ण लीला.
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Published : Oct 5, 2019, 8:37 PM IST

अलीगढ़: ब्रज भूमि में बसे अलीगढ़ में कन्हैया के रंग देखे जा सकते हैं. जहां इन दिनों पूरे देश भर में रामलीला की धूम रहती है, वहीं अलीगढ़ में श्री कृष्ण लीला का मंचन आश्चर्य में डाल देता है. आगरा रोड स्थित चिरंजीलाल कन्या इंटर कॉलेज में श्री कृष्ण लीला के लिए दर्शकों की उत्सुकता काफी देखने को मिलती है. दशहरे के समय यहां कृष्ण लीला शुरू होने की कहानी भी रोचक है.

अलीगढ़ में 49 साल से हो रही है कृष्ण लीला.

अचल ताल स्थित श्री रामलीला गोशाला कमेटी आजादी से पहले रामलीला कराती आ रही थी. यह जिले की सबसे पुरानी रामलीला है, लेकिन सन 1971 में इस रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों में विवाद हो गया. पदाधिकारियों का एक गुट अलग हो गया और श्री कृष्ण लीला का आयोजन कराने लगा.

जिले में अग्रवाल और वार्ष्णेय समाज में विवाद हो गया था. प्रेम प्रकाश माहेश्वरी की अगुवाई में बैठक कर कृष्ण लीला कराने का निर्णय लिया गया और इसके लिए श्री कृष्ण सेवा संस्थान नाम से कमेटी गठित की गई. रामलीला के आयोजन के समय कृष्ण लीला के लिए चंदा मांगने जब कमेटी कई जगह पर गई तो उन्हें उपहास का सामना करना पड़ा. कुछ लोगों ने कहा कि यह कृष्ण लीला का समय नहीं है. चंदा भी लोगों ने बमुश्किल ही दिया.

हालांकि कृष्ण लीला में मंचन के लिए वृंदावन से पद्मश्री आचार्य श्रीराम शर्मा के कलाकार आए और कृष्ण लीला का मंचन देखने के बाद दर्शक मुग्ध हो गए. इसके बाद श्री कृष्ण सेवा संस्थान कमेटी के पदाधिकारियों को चंदा एकत्र करने में दिक्कत नहीं आई. फिर कृष्ण लीला मंचन के लिए दूसरी जगह से भी मंडली को बुलाया जाने लगा. कृष्ण लीला यहां लोगों को आकर्षित करती है. इसे देखने के लिए भीड़ भी जुटती है. श्री कृष्ण लीला में प्रमुख आकर्षण शंकर लीला, छप्पन भोग लीला, रुकमणी लीला प्रमुख है और इस बार माखन चोर लीला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें माखन मिश्री का प्रसाद आम जनता को भी दिया जाएगा.

श्री कृष्ण लीला के संयोजक प्रदीप माहेश्वरी बताते हैं कि पहले इस आयोजन के लिए मुश्किलें आईं थी, लेकिन अब दर्शकों की सराहना मिलती है. हालांकि पहले लोगों को सुनने में आश्चर्य लगता था कि दशहरे के समय श्री कृष्ण लीला कैसे संभव है, लेकिन लोगों को जब जानकारी हुई तो इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आने लगे .

अलीगढ़ की रामलीला 100 से भी ज्यादा पुरानी है. यहां पहले रामलीला एक्शन से प्रदर्शित की जाती थी, लेकिन समय बदलने के साथ रामलीला का मंचन आधुनिक होता चला गया. सड़क पर भीड़ काफी हो जाती है और जाम लगने की वजह से कुछ लोग रामलीला देखते हैं तो कुछ लोग कृष्ण लीला देखने चले जाते हैं. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए कृष्ण लीला का आयोजन किया गया.
-विमल अग्रवाल, अध्यक्ष, श्री रामलीला गोशाला कमेटी

सन 1971 में वार्ष्णेय समाज और अग्रवाल समाज में विवाद हुआ था. मामला कोर्ट में भी पहुंच गया था. इसके बाद कृष्ण लीला कराने के लिए कमेटी बनाई गई. तब से कृष्ण लीला शुरू की गई. इसका आयोजन पिछले 49 सालों से हो रहा है. अगले साल श्री कृष्ण लीला की गोल्डन जुबली धूमधाम से मनाएंगे.
-प्रदीप माहेश्वरी, संयोजक, श्री कृष्ण सेवा संस्थान

अलीगढ़: ब्रज भूमि में बसे अलीगढ़ में कन्हैया के रंग देखे जा सकते हैं. जहां इन दिनों पूरे देश भर में रामलीला की धूम रहती है, वहीं अलीगढ़ में श्री कृष्ण लीला का मंचन आश्चर्य में डाल देता है. आगरा रोड स्थित चिरंजीलाल कन्या इंटर कॉलेज में श्री कृष्ण लीला के लिए दर्शकों की उत्सुकता काफी देखने को मिलती है. दशहरे के समय यहां कृष्ण लीला शुरू होने की कहानी भी रोचक है.

अलीगढ़ में 49 साल से हो रही है कृष्ण लीला.

अचल ताल स्थित श्री रामलीला गोशाला कमेटी आजादी से पहले रामलीला कराती आ रही थी. यह जिले की सबसे पुरानी रामलीला है, लेकिन सन 1971 में इस रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों में विवाद हो गया. पदाधिकारियों का एक गुट अलग हो गया और श्री कृष्ण लीला का आयोजन कराने लगा.

जिले में अग्रवाल और वार्ष्णेय समाज में विवाद हो गया था. प्रेम प्रकाश माहेश्वरी की अगुवाई में बैठक कर कृष्ण लीला कराने का निर्णय लिया गया और इसके लिए श्री कृष्ण सेवा संस्थान नाम से कमेटी गठित की गई. रामलीला के आयोजन के समय कृष्ण लीला के लिए चंदा मांगने जब कमेटी कई जगह पर गई तो उन्हें उपहास का सामना करना पड़ा. कुछ लोगों ने कहा कि यह कृष्ण लीला का समय नहीं है. चंदा भी लोगों ने बमुश्किल ही दिया.

हालांकि कृष्ण लीला में मंचन के लिए वृंदावन से पद्मश्री आचार्य श्रीराम शर्मा के कलाकार आए और कृष्ण लीला का मंचन देखने के बाद दर्शक मुग्ध हो गए. इसके बाद श्री कृष्ण सेवा संस्थान कमेटी के पदाधिकारियों को चंदा एकत्र करने में दिक्कत नहीं आई. फिर कृष्ण लीला मंचन के लिए दूसरी जगह से भी मंडली को बुलाया जाने लगा. कृष्ण लीला यहां लोगों को आकर्षित करती है. इसे देखने के लिए भीड़ भी जुटती है. श्री कृष्ण लीला में प्रमुख आकर्षण शंकर लीला, छप्पन भोग लीला, रुकमणी लीला प्रमुख है और इस बार माखन चोर लीला का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें माखन मिश्री का प्रसाद आम जनता को भी दिया जाएगा.

श्री कृष्ण लीला के संयोजक प्रदीप माहेश्वरी बताते हैं कि पहले इस आयोजन के लिए मुश्किलें आईं थी, लेकिन अब दर्शकों की सराहना मिलती है. हालांकि पहले लोगों को सुनने में आश्चर्य लगता था कि दशहरे के समय श्री कृष्ण लीला कैसे संभव है, लेकिन लोगों को जब जानकारी हुई तो इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आने लगे .

अलीगढ़ की रामलीला 100 से भी ज्यादा पुरानी है. यहां पहले रामलीला एक्शन से प्रदर्शित की जाती थी, लेकिन समय बदलने के साथ रामलीला का मंचन आधुनिक होता चला गया. सड़क पर भीड़ काफी हो जाती है और जाम लगने की वजह से कुछ लोग रामलीला देखते हैं तो कुछ लोग कृष्ण लीला देखने चले जाते हैं. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए कृष्ण लीला का आयोजन किया गया.
-विमल अग्रवाल, अध्यक्ष, श्री रामलीला गोशाला कमेटी

सन 1971 में वार्ष्णेय समाज और अग्रवाल समाज में विवाद हुआ था. मामला कोर्ट में भी पहुंच गया था. इसके बाद कृष्ण लीला कराने के लिए कमेटी बनाई गई. तब से कृष्ण लीला शुरू की गई. इसका आयोजन पिछले 49 सालों से हो रहा है. अगले साल श्री कृष्ण लीला की गोल्डन जुबली धूमधाम से मनाएंगे.
-प्रदीप माहेश्वरी, संयोजक, श्री कृष्ण सेवा संस्थान

Intro:अलीगढ़  : ब्रज भूमि में बसे अलीगढ़  में कन्हैया के रंग देखे जा सकते हैं. लेकिन जहां इन दिनों पूरे देश भर में रामलीला की धूम रहती है. वही अलीगढ़ में श्री कृष्ण लीला का मंचन आश्चर्य में डाल देता है. आगरा रोड स्थित चिरंजीलाल कन्या इंटर कॉलेज में श्री कृष्ण लीला के लिए दर्शकों की उत्सुकता देखते ही बनती है. दशहरे के समय यहां कृष्ण लीला शुरू होने की कहानी भी रोचक है. अचल ताल स्थित श्री रामलीला गौशाला कमेटी आजादी से पहले रामलीला कराती आ रही थी. यह जिले की सबसे पुरानी रामलीला है. लेकिन सन् 1971 में इस रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों में विवाद हो गया. पदाधिकारियों का एक गुट अलग हो गया. और श्री कृष्ण लीला का आयोजन कराने लगा. 





Body: बताया जा रहा है कि अग्रवाल व वार्ष्णेय समाज में विवाद हो गया था. प्रेम प्रकाश माहेश्वरी की अगुवाई में बैठक कर कृष्ण लीला कराने का निर्णय लिया गया और इसके लिए श्री कृष्ण सेवा संस्थान नाम से कमेटी गठित की गई. रामलीला के आयोजन के समय कृष्णलीला के लिए चंदा मांगने जब कमेटी कई जगह पर गई. तो उन्हें उपहास का सामना करना पड़ा. कुछ लोगों ने कहा कि यह कृष्ण लीला का समय नहीं है. चंदा भी लोगों ने बमुश्किल ही दिया. हालांकि कृष्ण लीला में मंचन के लिए वृंदावन से पद्मश्री आचार्य श्रीराम शर्मा के कलाकारों आयें और कृष्ण लीला का मंचन देखने के बाद दर्शक मुग्ध हो गए. इसके बाद श्री कृष्ण  सेवा संस्थान कमेटी के पदाधिकारियों को चंदा एकत्र करने में दिक्कत नहीं आई. फिर कृष्णलीला मंचन के लिए दूसरी जगह से भी मंडली को बुलाया जटाने लगा. कृष्ण लीला यहां लोगों को आकर्षित करती है . जिसे देखने के लिए भीड़ भी जुटती है. श्री कृष्णलीला में प्रमुख आकर्षण शंकर लीला, छप्पन भोग लीला, रुकमणी लीला प्रमुख है. और इस बार माखन चोर लीला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें माखन मिश्री का प्रसाद आम जनता को भी दिया जाएगा. श्री कृष्ण लीला के संयोजक प्रदीप माहेश्वरी बताते हैं कि पहले इस आयोजन के लिए मुश्किलें आई थी. लेकिन अब दर्शकों की सराहना मिलती है. हालांकि पहले लोगों को सुनने में आश्चर्य लगता था कि दशहरे के समय श्रीकृष्ण लीला कैसे संभव है. लेकिन लोगों को जब जानकारी हुई तो इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आने लगे .
 


Conclusion:श्रीरामलीला गौशाला कमेटी के अध्यक्ष विमल अग्रवाल ने बताया कि अलीगढ़ की रामलीला सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है. यहां पहले रामलीला एक्शन से प्रदर्शित की जाती थी. लेकिन समय बदलने के साथ रामलीला का मंचन आधुनिक होता चला गया. उन्होंने बताया कि सड़क पर भीड़ काफी हो जाती है और जाम लगने की वजह से कुछ लोग रामलीला देखते हैं तो कुछ लोग कृष्ण लीला देखने चले जाते हैं. भीड़ को नियंत्रण करने के लिए कृष्ण लीला का आयोजन किया गया. वहीं उन्होंने बताया कि कर्फ्यू के दौरान भी जिलाधिकारी ने यहां रामलीला का मंचन करवाया था. श्री कृष्णलीला के संयोजक प्रदीप माहेश्वरी ने बताया कि सन 1971 में वार्ष्णेय समाज और अग्रवाल समाज में विवाद हुआ था. मामला कोर्ट में भी पहुंच गया था. इसके बाद कृष्ण लीला कराने के लिए कमेटी बनाई गई. तब से कृष्णलीला शुरू की गई. इसका आयोजन पिछले 49 सालों से हो रहा है. अगले साल श्री कृष्णलीला की गोल्डन जुबली धूमधाम से मनाएंगे. 


बाइट - विमल अग्रवाल , श्री रामलीला  गौशाला कमेटी, अध्यक्ष
बाइट - प्रदीप माहेश्वरी , संयोजक, श्री कृष्ण सेवा संस्थान

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535


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