अलीगढ़ : अलीगढ़ में अचल सरोवर पर भगवान शिव की दक्षिणमुखी प्रतिमा लगाई गई है, जिसका धर्माचार्यों ने विरोध किया है. धर्माचार्यों का कहना है कि शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी प्रतिमा लाभप्रद नहीं होती है. भगवान की पीठ की तरफ से प्रणाम करने पर सारे पुण्य समाप्त हो जाते हैं.
सामान्य रूप से अचल की पहचान अचलेश्वर महादेव से है. और यह प्रतिमा अचलेश्वर महादेव की तरफ पीठ करके लगाई गई है. इसके बारे में किसी भी धर्माचार्य से जिला प्रशासन ने राय तक नहीं ली. बुधवार को धर्मचार्यों की बैठक अचलेश्वर महादेव मंदिर में हुई, जिसमें निरंजनी अखाड़ा महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती (Mahamandaleshwar Dr. Annapurna Bharti), महामंडलेश्वर पूर्णानंद पूरी (Mahamandaleshwar Pooranand Puri) सहित कई धर्माचार्य उपस्थित रहे. सभी ने सर्वसम्मति से इस प्रतिमा का विरोध करने का निर्णय लिया.
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महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि अचल ताल के सौंदर्यीकरण को लेकर अचलेश्वर महादेव की मूर्ति की दिशा को लेकर विवाद पैदा हो गया है. भगवान शिव की प्रतिमा को दक्षिण मुख करके लगाया गया है, जो कि शास्त्र और धर्म विरुद्ध है. इस तरह से मूर्ति लगाना विनाशकारी हो सकता है. क्योंकि सनातन धर्म में मूर्ति लगाने का विधान है. प्रशासनिक लोगों ने मूर्ति को अपनी मनमर्जी से लगा दिया है. बिना धर्मआचार्यों से कोई विचार-विमर्श लिए हुए काम किया गया है.
साध्वी अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि जिला प्रशासन ने जो गलती की है उसे स्वीकार करें. मूर्ति की दिशा को बदलना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि मूर्ति की दिशा बदलने को लेकर एक कमेटी बनाई है, जो जिला प्रशासन से बात करेगी. उन्होंने कहा कि मंदिर में प्रवेश करने पर भगवान शिव की पीठ दिख रही है. इससे भगवान की कृपा नहीं मिलती है.
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