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महादेव की दक्षिणमुखी मूर्ति लगाने पर धर्माचार्यों ने किया विरोध, पुजारियों ने बनायी कमेटी

अलीगढ़ में अचल सरोवर पर भगवान शिव की प्रतिमा (Lord Shiva Statue) दक्षिणमुखी लगायी गयी है. धर्माचार्यों के अनुसार, इस तरह प्रतिमा स्थापित करना धर्म-शास्त्र के विरुद्ध है. इस तरह से मूर्ति लगाना विनाशकारी हो सकता है. कहा जा रहा प्रशासनिक लोगों ने मूर्ति को अपनी मनमर्जी से लगा दिया है.

महादेव की दक्षिणमुखी मूर्ति लगाने पर धर्माचार्यों ने किया विरोध
महादेव की दक्षिणमुखी मूर्ति लगाने पर धर्माचार्यों ने किया विरोध
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Published : Jan 5, 2022, 10:02 PM IST

अलीगढ़ : अलीगढ़ में अचल सरोवर पर भगवान शिव की दक्षिणमुखी प्रतिमा लगाई गई है, जिसका धर्माचार्यों ने विरोध किया है. धर्माचार्यों का कहना है कि शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी प्रतिमा लाभप्रद नहीं होती है. भगवान की पीठ की तरफ से प्रणाम करने पर सारे पुण्य समाप्त हो जाते हैं.

सामान्य रूप से अचल की पहचान अचलेश्वर महादेव से है. और यह प्रतिमा अचलेश्वर महादेव की तरफ पीठ करके लगाई गई है. इसके बारे में किसी भी धर्माचार्य से जिला प्रशासन ने राय तक नहीं ली. बुधवार को धर्मचार्यों की बैठक अचलेश्वर महादेव मंदिर में हुई, जिसमें निरंजनी अखाड़ा महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती (Mahamandaleshwar Dr. Annapurna Bharti), महामंडलेश्वर पूर्णानंद पूरी (Mahamandaleshwar Pooranand Puri) सहित कई धर्माचार्य उपस्थित रहे. सभी ने सर्वसम्मति से इस प्रतिमा का विरोध करने का निर्णय लिया.

महादेव की दक्षिणमुखी मूर्ति लगाने पर धर्माचार्यों ने किया विरोध
अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक पाण्डेय (Akhil Bharatiya Hindu Mahasabha National Spokesperson Ashok Pandey) ने भी प्रतिमा की दिशा सही न होने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने अपनी हठधर्मिता के चलते अचल के धार्मिक स्वरूप को व्यवसायिक स्वरूप में बदल दिया है. हम विकास का विरोध नहीं करते हैं, परंतु धार्मिक मूल्यों के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ेंः अलीगढ़ धर्म संसद से पहले अन्नपूर्णा भारती को मिली धमकी, गृहमंत्री और यूपी सीएम से सुरक्षा की मांग

महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि अचल ताल के सौंदर्यीकरण को लेकर अचलेश्वर महादेव की मूर्ति की दिशा को लेकर विवाद पैदा हो गया है. भगवान शिव की प्रतिमा को दक्षिण मुख करके लगाया गया है, जो कि शास्त्र और धर्म विरुद्ध है. इस तरह से मूर्ति लगाना विनाशकारी हो सकता है. क्योंकि सनातन धर्म में मूर्ति लगाने का विधान है. प्रशासनिक लोगों ने मूर्ति को अपनी मनमर्जी से लगा दिया है. बिना धर्मआचार्यों से कोई विचार-विमर्श लिए हुए काम किया गया है.

साध्वी अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि जिला प्रशासन ने जो गलती की है उसे स्वीकार करें. मूर्ति की दिशा को बदलना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि मूर्ति की दिशा बदलने को लेकर एक कमेटी बनाई है, जो जिला प्रशासन से बात करेगी. उन्होंने कहा कि मंदिर में प्रवेश करने पर भगवान शिव की पीठ दिख रही है. इससे भगवान की कृपा नहीं मिलती है.

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अलीगढ़ : अलीगढ़ में अचल सरोवर पर भगवान शिव की दक्षिणमुखी प्रतिमा लगाई गई है, जिसका धर्माचार्यों ने विरोध किया है. धर्माचार्यों का कहना है कि शास्त्र के अनुसार दक्षिण मुखी प्रतिमा लाभप्रद नहीं होती है. भगवान की पीठ की तरफ से प्रणाम करने पर सारे पुण्य समाप्त हो जाते हैं.

सामान्य रूप से अचल की पहचान अचलेश्वर महादेव से है. और यह प्रतिमा अचलेश्वर महादेव की तरफ पीठ करके लगाई गई है. इसके बारे में किसी भी धर्माचार्य से जिला प्रशासन ने राय तक नहीं ली. बुधवार को धर्मचार्यों की बैठक अचलेश्वर महादेव मंदिर में हुई, जिसमें निरंजनी अखाड़ा महामंडलेश्वर डॉ. अन्नपूर्णा भारती (Mahamandaleshwar Dr. Annapurna Bharti), महामंडलेश्वर पूर्णानंद पूरी (Mahamandaleshwar Pooranand Puri) सहित कई धर्माचार्य उपस्थित रहे. सभी ने सर्वसम्मति से इस प्रतिमा का विरोध करने का निर्णय लिया.

महादेव की दक्षिणमुखी मूर्ति लगाने पर धर्माचार्यों ने किया विरोध
अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक पाण्डेय (Akhil Bharatiya Hindu Mahasabha National Spokesperson Ashok Pandey) ने भी प्रतिमा की दिशा सही न होने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने अपनी हठधर्मिता के चलते अचल के धार्मिक स्वरूप को व्यवसायिक स्वरूप में बदल दिया है. हम विकास का विरोध नहीं करते हैं, परंतु धार्मिक मूल्यों के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे. इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि अचल ताल के सौंदर्यीकरण को लेकर अचलेश्वर महादेव की मूर्ति की दिशा को लेकर विवाद पैदा हो गया है. भगवान शिव की प्रतिमा को दक्षिण मुख करके लगाया गया है, जो कि शास्त्र और धर्म विरुद्ध है. इस तरह से मूर्ति लगाना विनाशकारी हो सकता है. क्योंकि सनातन धर्म में मूर्ति लगाने का विधान है. प्रशासनिक लोगों ने मूर्ति को अपनी मनमर्जी से लगा दिया है. बिना धर्मआचार्यों से कोई विचार-विमर्श लिए हुए काम किया गया है.

साध्वी अन्नपूर्णा भारती ने कहा कि जिला प्रशासन ने जो गलती की है उसे स्वीकार करें. मूर्ति की दिशा को बदलना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि मूर्ति की दिशा बदलने को लेकर एक कमेटी बनाई है, जो जिला प्रशासन से बात करेगी. उन्होंने कहा कि मंदिर में प्रवेश करने पर भगवान शिव की पीठ दिख रही है. इससे भगवान की कृपा नहीं मिलती है.

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