अलीगढ़: जिले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के सदस्य ओम प्रकाश नायक ने समाज में लोगों की दिक्कतों के समाधान के लिए सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक में अपनी ही समस्या को लेकर आयोग के सदस्य व्यथित दिखे. साथ ही मीटिंग में आए नायब तहसीलदार को 12 साल से जमीन पर कब्जा न मिलने की शिकायत की. उन्होंने बताया कि 2017 में मुख्यमंत्री से भी शिकायत की थी, लेकिन आज तक जमीन पर कब्जा नहीं मिला. उन्होंने जिला प्रशासन को चेतावनी दी है कि तीन दिन में काम नहीं हुआ तो डीएम और मुख्यमंत्री कार्यालय पर भूख हड़ताल पर बैठूंगा.
12 साल होने के बाद भी जमीन पर कब्जा नहीं मिला
उन्होंने बताया कि कुछ खामियां राजस्व विभाग और पुलिस विभाग में मौजूद हैं, जिसमें सुधार की गुंजाइश है. राजस्व विभाग में ऊपर के अधिकारी आदेश देते हैं, लेकिन निचले स्तर पर लेखपाल-कानूनगो उसका पालन नहीं करते हैं. इस वजह समाज में गलत संदेश जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्वयं मैं सत्ताधारी पार्टी में होते हुए अपनी ही जमीन पर तहसील से कब्जा नहीं पा सका हूं. उन्होंने बताया कि 2008 में ही जमीन का बैनामा, रजिस्ट्री करा चुके हैं, लेकिन 2020 में भी जमीन पर कब्जा नहीं मिल पाया है. 12 साल होने के बाद भी जमीन पर कब्जा नहीं दिया गया. 2017 से एसडीएम से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत की. कई राजस्व टीम गठित हो गई, लेकिन टीम अपनी मनमानी करती है.
डीएम कार्यालय में भूख हड़ताल पर बैठूंगा
आयोग के सदस्य ओम प्रकाश नायक ने कहा कि निचले स्तर पर काफी खामियां हैं, जिसे दूर करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिस तहसील में 3 साल से लेखपाल, कानूनगो जमे हैं. उन लोगों का ट्रांसफर किया जाए. इससे नई व्यवस्था बनेगी और नई सोच के लोग आएंगे और समाज के लोगों को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की योजनाओं पर पलीता लगाया जा रहा है. सरकार जनता के लिए अच्छी योजनाएं भेज रही है, लेकिन कर्मचारी सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 3 दिन में मुझे जमीन का कब्जा नहीं मिला तो डीएम कार्यालय में भूख हड़ताल पर बैठूंगा.
उन्होंने बताया कि मेरा गांव चित्रावली, परगना अकराबाद व तहसील कोल के तहत जमीन है. जमीन का दाखिल खारिज, बैनामा व रजिस्ट्री सब मेरे नाम ही है, लेकिन तहसील से काम नहीं हो रहा है. इस मौके पर कोल तहसील के नायब तहसीलदार सुनील कुमार भी मौके पर पहुंचे. नायक ने अपनी जमीन की समस्या नायब तहसीलदार के सामने रखी. उन्होंने इस बारे में की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी मांगी, लेकिन नए होने के नाते हुए कुछ बता नहीं सकें.
कहा कि मुख्यमंत्री के आइजीआरएस पोर्टल पर भी हवा में रिपोर्ट बनाकर भेज दी जाती है. जन सूचना और आइजीआरएस पोर्टल इसलिए बनाया था ताकि उसका लाभ जनता को मिले, लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है. निचले स्तर पर कर्मचारी सही से काम नहीं कर रहे हैं. एक संवैधानिक संस्था का सदस्य होने के नाते कई बार नायब तहसीलदार और लेखपाल के ऑफिस जाकर चक्कर लगाया. तहसीलदार के पास दिन में चार बार फोन करता हूं. एसडीएम को भी फोन करता हूं, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. ऐसे में आम जनता को कैसे और कितनी समस्या का सामना करना पड़ता होगा.