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अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के कार्यक्रम में शामिल हुए ओम बिरला, कही ये बातें - वैश्य एकता परिषद

यूपी के अलीगढ़ जिले में अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला शामिल हुए. उन्होंने कहा कि सभी जातियों ने मिलकर समाज निर्माण का कार्य किया है.

अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के कार्यक्रम में शामिल हुए ओम बिरला
अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के कार्यक्रम में शामिल हुए ओम बिरला
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Published : Feb 8, 2021, 7:33 AM IST

अलीगढ़: अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला रविवार को कैलाश फार्म पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता के माध्यम से समाज का विकास करें. सामूहिकता के साथ समाज के पिछड़े लोगों को आगे बढ़ाएं, जिससे कि राष्ट्र निर्माण हो सके. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला रविवार को तकनीकी कारणों से हेलीकॉप्टर से अलीगढ़ नहीं पहुंच सके और सड़क मार्ग द्वारा वह कार्यक्रम में देरी से पहुंचे.

अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
नये भारत के निर्माण में समाज सहयोग करें
उन्होंने कहा कि इस देश में वैश्य समाज का राष्ट्र निर्माण में बड़ा योगदान रहा है. चाहे आजादी की लड़ाई हो या आजादी के बाद नए भारत के निर्माण की बात हो. उन्होंने बताया कि आजादी से पहले राजाओं के राज में जब राजा युद्ध लड़ते थे और धन की कमी हो जाती थी तो भामाशाह के रूप में वैश्य समाज राजा की मदद करते थे. उन्होंने कहा कि आज भी वही विचार समाज में है कि हम किस तरीके से नए भारत के निर्माण में अपना सहयोग करें. सहयोग के रुप में सबको सामूहिकता से साथ आना होगा.
सेवा, त्याग के माध्यम से समाज को जोड़े
उन्होंने बताया कि वैश्य समाज ने आजादी के बाद उद्योग और व्यापार में गति दिया है. आजादी के बाद कठिन दौर था और इस कठिन दौर में उद्योग, व्यापार लगाकर समाज आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा हैं. उन्होंने बताया कि हमें संस्कार और विचार पूर्वजों से मिले हैं. पूर्वजों ने बहुत सेवा, त्याग और समर्पण से काम किया, जिस समाज के संस्कार ऐसे हैं कि जो कुछ हमारा है. वह हमारे समाज के लिए है. यह समर्पण का भाव है. ये संस्कार वैश्य समाज में समाहित हैं. हमारी संस्कृति और समाज में यही होना चाहिए कि हम किस तरीके से सेवा, त्याग के माध्यम से समाज को जोड़ सकें. उन्होंने बताया कि जिस समय सरकार शिक्षा के मंदिर नहीं खोल पा रही थी, उस समय वैश्य समाज के लोगों ने गांव और शहरों में शिक्षा के मंदिर खोलें. जब आवागमन के रास्ते नहीं थे, उस समय लोगों को रात में रुकने के लिए धर्मशालाएं खोली. लोगों के स्वास्थ्य के लिए अस्पताल खोलें, भूखे को भोजन और प्यासे को पानी जैसे सेवा देने का काम किए हैं. उन्होंने कहा कि यह सेवा का भाव आज भी है.
कोविड 19 महामारी में सामूहिकता से चुनौती कम हुई
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि कोविड-19 महामारी का सामना बड़े-बड़े देश नहीं कर पाए. वहां की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई. उन्होंने कहा कि हम विकसित देश तो नहीं हैं, लेकिन सामूहिक संकल्प शक्ति इतनी है कि हमने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत 130 करोड़ के देश में सामूहिक संकल्प के माध्यम से चुनौती कम हुई. उन्होंने बताया कि इस संकट के समय में लोगों ने भोजन, पानी और इलाज के लिए लोगों ने सेवा का संकल्प लिया. कोविड-19 की चुनौतियों से लड़कर पूरे विश्व को बता दिया है कि भारत के संस्कार 'वसुधैव कुटुंबकम' के आधार पर है. संपूर्ण देश एक है. जब भी कोई चुनौती होगी तो सामूहिक रूप से मुकाबला करेंगे.



जातियों की विविधता को तोड़ने का काम न करें

ओम बिरला ने कहा कि मैं आप लोगों की पीड़ा के साथ खड़ा हूं. आपके सुख-दुख के साथ हमेशा खड़ा रहूंगा. उन्होंने बताया कि हम उस समाज से हैं, जिसने देश को जोड़ने का काम किया है. देश के अंदर तोड़ने का काम नहीं किया. जब हमारे पूर्वजों ने जाति, धर्म के आधार पर समाज को खड़ा किया. उस समय एक विचार था. लोग अपने-अपने समाज को विकास की ओर आगे ले जाएं. जो हम से पिछड़े रह गए हैं, उनको आगे ले जाने का काम करें. यह समाज निर्माण की भावना होनी चाहिए. हमारा किसी तरीके से जातियों को जातियों से लड़ाना नहीं है. संपूर्ण जातियों के समाज निर्माण के विकास को आगे ले जाना है. लेकिन जब जातियों के आधार पर हम एक नया संघर्ष खड़ा कर देंगे तो हमारे देश की विविधता को तोड़ने का काम होगा.

देश की विविधता हमें जोड़ती है

ओम बिरला ने लोकसभा का जिक्र करते हुए कहा कि देश इतना बड़ा है कि यहां अलग-अलग जाति, धर्म,वेशभूषा, खानपान व राजनीतिक प्रतिबद्धता है. लेकिन उस सारी विविधता के अंदर संपूर्ण भारत है. हमारा देश इसी तरीके का माना जाता है कि विविधता हमें जोड़ती है. हमें तोड़ती नहीं है. इसीलिए समाज में जाति प्रथा हमें तोड़ने का काम नहीं करती. हमें एक नए भारत के निर्माण का काम करती है. यह विचार हमारे मन में होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह विचार जब सभी जाति और समाज में होगा तो हम अपने अपने समाज को मजबूत करते हुए देश को मजबूत और ताकतवर करेंगे और नए भारतवर्ष का निर्माण करेंगे.

जातियों के सम्मेलन में कटुता बढ़ाने का काम नहीं करना चाहिेए

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि जब भी जातियों का सम्मेलन होता है तो उनसे एक ही आग्रह करता हूं कि हमें आपस में जातियों की कटुता को बढ़ाने का काम नहीं करना चाहिए. भारत में जाति प्रथा के आधार पर कटुता बढ़ाने का काम किया गया तो हम देश को तोड़ने का काम होगा. हमारा एक ही लक्ष्य होना चाहिए कि जिस समाज में पैदा हुए हैं, उस संपूर्ण समाज की सेवा करने का काम करें और यह सेवा और संस्कार हमारे बीच होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें ईश्वर ने सक्षम बनाया है तो हमारी यह शक्ति होनी चाहिए कि हम संपूर्ण समाज के कल्याण के लिए काम करें.

अलीगढ़: अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला रविवार को कैलाश फार्म पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि सामाजिक एकता के माध्यम से समाज का विकास करें. सामूहिकता के साथ समाज के पिछड़े लोगों को आगे बढ़ाएं, जिससे कि राष्ट्र निर्माण हो सके. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला रविवार को तकनीकी कारणों से हेलीकॉप्टर से अलीगढ़ नहीं पहुंच सके और सड़क मार्ग द्वारा वह कार्यक्रम में देरी से पहुंचे.

अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
नये भारत के निर्माण में समाज सहयोग करें
उन्होंने कहा कि इस देश में वैश्य समाज का राष्ट्र निर्माण में बड़ा योगदान रहा है. चाहे आजादी की लड़ाई हो या आजादी के बाद नए भारत के निर्माण की बात हो. उन्होंने बताया कि आजादी से पहले राजाओं के राज में जब राजा युद्ध लड़ते थे और धन की कमी हो जाती थी तो भामाशाह के रूप में वैश्य समाज राजा की मदद करते थे. उन्होंने कहा कि आज भी वही विचार समाज में है कि हम किस तरीके से नए भारत के निर्माण में अपना सहयोग करें. सहयोग के रुप में सबको सामूहिकता से साथ आना होगा.
सेवा, त्याग के माध्यम से समाज को जोड़े
उन्होंने बताया कि वैश्य समाज ने आजादी के बाद उद्योग और व्यापार में गति दिया है. आजादी के बाद कठिन दौर था और इस कठिन दौर में उद्योग, व्यापार लगाकर समाज आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा हैं. उन्होंने बताया कि हमें संस्कार और विचार पूर्वजों से मिले हैं. पूर्वजों ने बहुत सेवा, त्याग और समर्पण से काम किया, जिस समाज के संस्कार ऐसे हैं कि जो कुछ हमारा है. वह हमारे समाज के लिए है. यह समर्पण का भाव है. ये संस्कार वैश्य समाज में समाहित हैं. हमारी संस्कृति और समाज में यही होना चाहिए कि हम किस तरीके से सेवा, त्याग के माध्यम से समाज को जोड़ सकें. उन्होंने बताया कि जिस समय सरकार शिक्षा के मंदिर नहीं खोल पा रही थी, उस समय वैश्य समाज के लोगों ने गांव और शहरों में शिक्षा के मंदिर खोलें. जब आवागमन के रास्ते नहीं थे, उस समय लोगों को रात में रुकने के लिए धर्मशालाएं खोली. लोगों के स्वास्थ्य के लिए अस्पताल खोलें, भूखे को भोजन और प्यासे को पानी जैसे सेवा देने का काम किए हैं. उन्होंने कहा कि यह सेवा का भाव आज भी है.
कोविड 19 महामारी में सामूहिकता से चुनौती कम हुई
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि कोविड-19 महामारी का सामना बड़े-बड़े देश नहीं कर पाए. वहां की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई. उन्होंने कहा कि हम विकसित देश तो नहीं हैं, लेकिन सामूहिक संकल्प शक्ति इतनी है कि हमने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत 130 करोड़ के देश में सामूहिक संकल्प के माध्यम से चुनौती कम हुई. उन्होंने बताया कि इस संकट के समय में लोगों ने भोजन, पानी और इलाज के लिए लोगों ने सेवा का संकल्प लिया. कोविड-19 की चुनौतियों से लड़कर पूरे विश्व को बता दिया है कि भारत के संस्कार 'वसुधैव कुटुंबकम' के आधार पर है. संपूर्ण देश एक है. जब भी कोई चुनौती होगी तो सामूहिक रूप से मुकाबला करेंगे.



जातियों की विविधता को तोड़ने का काम न करें

ओम बिरला ने कहा कि मैं आप लोगों की पीड़ा के साथ खड़ा हूं. आपके सुख-दुख के साथ हमेशा खड़ा रहूंगा. उन्होंने बताया कि हम उस समाज से हैं, जिसने देश को जोड़ने का काम किया है. देश के अंदर तोड़ने का काम नहीं किया. जब हमारे पूर्वजों ने जाति, धर्म के आधार पर समाज को खड़ा किया. उस समय एक विचार था. लोग अपने-अपने समाज को विकास की ओर आगे ले जाएं. जो हम से पिछड़े रह गए हैं, उनको आगे ले जाने का काम करें. यह समाज निर्माण की भावना होनी चाहिए. हमारा किसी तरीके से जातियों को जातियों से लड़ाना नहीं है. संपूर्ण जातियों के समाज निर्माण के विकास को आगे ले जाना है. लेकिन जब जातियों के आधार पर हम एक नया संघर्ष खड़ा कर देंगे तो हमारे देश की विविधता को तोड़ने का काम होगा.

देश की विविधता हमें जोड़ती है

ओम बिरला ने लोकसभा का जिक्र करते हुए कहा कि देश इतना बड़ा है कि यहां अलग-अलग जाति, धर्म,वेशभूषा, खानपान व राजनीतिक प्रतिबद्धता है. लेकिन उस सारी विविधता के अंदर संपूर्ण भारत है. हमारा देश इसी तरीके का माना जाता है कि विविधता हमें जोड़ती है. हमें तोड़ती नहीं है. इसीलिए समाज में जाति प्रथा हमें तोड़ने का काम नहीं करती. हमें एक नए भारत के निर्माण का काम करती है. यह विचार हमारे मन में होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह विचार जब सभी जाति और समाज में होगा तो हम अपने अपने समाज को मजबूत करते हुए देश को मजबूत और ताकतवर करेंगे और नए भारतवर्ष का निर्माण करेंगे.

जातियों के सम्मेलन में कटुता बढ़ाने का काम नहीं करना चाहिेए

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि जब भी जातियों का सम्मेलन होता है तो उनसे एक ही आग्रह करता हूं कि हमें आपस में जातियों की कटुता को बढ़ाने का काम नहीं करना चाहिए. भारत में जाति प्रथा के आधार पर कटुता बढ़ाने का काम किया गया तो हम देश को तोड़ने का काम होगा. हमारा एक ही लक्ष्य होना चाहिए कि जिस समाज में पैदा हुए हैं, उस संपूर्ण समाज की सेवा करने का काम करें और यह सेवा और संस्कार हमारे बीच होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें ईश्वर ने सक्षम बनाया है तो हमारी यह शक्ति होनी चाहिए कि हम संपूर्ण समाज के कल्याण के लिए काम करें.

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