अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और सिविल लाइन इलाके में अभी तक कोविड-19 का नया स्ट्रेन नहीं मिला है. एएमयू के प्रोफेसरों की मौत के बाद भेजे गए नमूनों की जांच रिपोर्ट ने बड़ी चिंता दूर कर दी है. जिले में भी डबल म्यूटेंट वेरिएंट पाया गया था, जो शिक्षकों की मौत का बड़ा कारण माना गया है. एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कोविड-19 के नए स्क्रीन की जानकारी के लिए वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेट्री, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की ओर से जीनोम अनुक्रमण के लिए सीएसआइआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, नई दिल्ली को 20 नमूने भेजे थे. प्रोफेसर हारिस मंजूर खान के अनुसार भेजे गए 20 नमूनों में से 18 में बी.1.617.2 वंश था. इसे डबल म्यूटेशन वेरिएंट कहा जाता है. इसका पता पहली बार 5 अक्टूबर, 2020 को महाराष्ट्र में चला था.
B.1.617 वायरस का ही सब वैरिएंट है
प्रोफेसर हारिस मंजूर खान के अनुसार, यह B.1.617 प्रकार का एक उप प्रकार है, जो उत्तर प्रदेश में कोविड-19 की दूसरी लहर में फैलने वाला मुख्य वायरस है. डब्ल्यूएचओ ने इसकी उच्च संप्रेषणीयता और पहले से मौजूद एंटीबॉडी से कम न्यूट्रलाइजेशन के कारण इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' कहा है. बी.1.617 में अन्य परिसंचारी रूपों की तुलना में उच्च विकास दर है, जो संचरण की संभावित वृद्धि दर की ओर इशारा करती है. डब्ल्यूएचओ ने इसे 'भारतीय संस्करण' नहीं कहा है और इसके लिए वैज्ञानिक शब्द का उपयोग करने के लिए कहा है.
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महाराष्ट्र, इटली और यूके का स्ट्रेन अलीगढ़ में मिला
B.1.617 वैरिएंट जिसे भारत की विनाशकारी दूसरी वेव के लिए आंशिक रूप से जिम्मेदार माना जाता है. इसके तीन उप वंश थे- B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3, एक नमूने में B.1.1.7 वंश था. जो सार्स सीओवी-2 की तुलना में 40-80% अधिक पारगम्य है और पहली बार यूके में पाया गया था. एक नमूने में B.1 वंश था, जो 2020 में मुख्य रूप से इटली में महामारी के फैलने के लिए जिम्मेदार था. जो बाद में दुनिया के बाकी हिस्सों में फैल गया. हालांकि अलीगढ़ में कोई नया स्ट्रेन नहीं पाया गया है.
टीकाकरण पर दिया जा रहा है जोर
विश्वविद्यालय में कोविड-19 संक्रमण की समस्या को कम करने के लिए टीकाकरण, सामाजिक दूरी के महत्व पर जोर, बार-बार हाथ धोना और नियमित रूप से सफाई रखना और फेस मास्क पहनना तथा बहुत जरूरी होने पर बाहर जाना जैसे सक्रिय अभियान चलाए गए है. विश्वविद्यालय आईसीएमआर के निदेशक, सीएसआईआर-जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक और सभी संबंधित वैज्ञानिकों को सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया है.