अलीगढ़ः नई दिल्ली के एक नये संग्रहालय में मुहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कल्चरल सेंटर और सर सैय्यद अहमद खान की दूसरी कलाकृतियों को दिखाया जायेगा. प्रख्यात उद्यमी और इस्लामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी ने इसकी जानकारी दी है. वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना और उसकी उपलब्धियों पर सर सैयद अकादमी के आयोजित एएमयू शताब्दी अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के समापन कार्यक्रम में शरीक हुए थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि सर सैय्यद अहमद खान केवल एक साधारण शिक्षाविद, इतिहासकार, लेखक और न्यायविद नहीं थे. बल्कि असाधारण सुधारकों, धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रावादी और आधुनिक भारत के सबसे महत्पूर्ण वास्तुकारों में से एक थे. दिल्ली के लोगों को सर सैय्यद के जीवन और उनके कामों से परिचित कराने केे लिए एक आधुनिक संग्रहालय के निर्माण की आवश्यकता है.
सर सैय्यद राष्ट्र के लिए प्रासंगिक
अपने अध्यक्षीय संबोधन में एएमयू कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने कहा कि हम संग्रहालय परियोजना के लिए सिराजुद्दीन कुरैशी को सभी आवश्यक सहायता और सहयोग प्रदान करेंगे. उन्होंने कहा कि सर सैयद का स्मरण केवल एएमयू के लिए नहीं है, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए प्रासंगिक है. एएमयू कुलपति ने कहा कि दो दिवसीय वेबिनार में कई सत्रों में एएमयू की उपलब्धियों पर लगभग 45-50 पत्र प्रस्तुत किए गए हैं. कार्यक्रम की पूरी कार्यवाही को एक पुस्तक के रूप में भी प्रकाशित किया जाएगा.
सर सैय्यद अकादमी में PHD कार्यक्रम की योजना
कुलपति डॉक्टर तारिक मंसूर ने आगे कहा कि सर सैय्यद अकादमी ने अनुकरणीय काम किया है. जिसमें शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एएमयू इतिहास से संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन शामिल है. उन्होंने सर सैय्यद अकादमी के अध्यक्ष से महत्वपूर्ण पुस्तकों और साहित्य का अनुवाद प्रारंभ करने का भी आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि हमारे पास सर सैयद अकादमी में पीएचडी कार्यक्रम प्रारंभ करने की भी योजना है. जिस पर विचार किया जा रहा है. स्वागत भाषण में सर सैयद अकादमी के निदेशक प्रोफेसर अली मोहम्मद नकवी ने कहा कि एएमयू वेदांत और उपनिषदों, सूफी संतों के लोकाचार और गंगा जमुनी तहजीब में भारतीय बहुलवाद का प्रतिनिधित्व करता है. इस बेबिनार में एएमयू के इतिहास व देश की उच्च शिक्षा के विस्तार में एएमयू की भूमिका पर बात की गई.