अलीगढ़ : 'जय जवान जय किसान' का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री का अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से गहरा नाता रहा है. 19 दिसंबर 1964 को शास्त्री जी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आए थे और यहां दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे.
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'मानद' की उपाधि से हुए थे सम्मानित
उस समय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति बदरुद्दीन तैयब थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को एएमयू में डॉक्टरेट ऑफ लॉ की 'मानद' उपाधि दी गई.
यह कार्यक्रम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के मैकडोनाल्ड हॉस्टल और क्रिकेट ग्राउंड के समीप हुआ था. इस कार्यक्रम में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक और महान वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा को डॉक्टरेट ऑफ साइंस की 'मानद' डिग्री दी गई.
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चांसलर की अध्यक्षता में हुआ था कार्यक्रम
डॉ. अल्बर्ट लीलार को एलएलडी की 'मानद' उपाधि दी गई. वहीं इतिहासकार डॉ गेंदा सिंह को 'डी लिट' की उपाधि प्रदान की गई थी. चांसलर नवाब अहमद सईद खान छतारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी.
आपको बताते चलें कि लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था. उनकी सादगी और ईमानदारी के लिए मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उनकी जयंती पर देश उन्हें याद कर रहा है.
देश के लिए योगदान
1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में शास्त्री जी ने अप्रत्याशित रूप से इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को सुदृढ़ नेतृत्व प्रदान किया था और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी, इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी.
गांधीजी की तरह ही लाल बहादुर शास्त्री दिसंबर 1964 में एएमयू आये थे. जब लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री थे. तब दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में लाल बहादुर शास्त्री को बुलाया गया था. उन्होंने एएमयू में दीक्षांत भाषण दिया. साथ ही लाल बहादुर शास्त्री को एएमयू ने डॉक्टरेट ऑफ लॉ की 'मानद' उपाधि दी गई थी. उन्होंने कहा कि आज हम उनके जन्मदिन पर उनको याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
-राहत अबरार, सहायक मेंबर इंचार्ज, जनसम्पर्क विभाग, एएमयू