अलीगढ़ः यूपी के हाथरस में जन्मे पुष्कर शर्मा केन्या की क्रिकेट टीम में लेफ्ट हैंड ओपनर बैटमैन के तौर पर खेल रहे हैं. एक समय था जब मुंबई अंडर 16 क्रिकेट टीम की कप्तानी की, उस समय पृथ्वी शाह के साथ खेलते थे. लेकिन पिता की लाइलाज बीमारी और घर की आर्थिक स्थिति को लेकर पुष्कर को देश छोड़ना पड़ा. केन्या से मिली अच्छी अपॉर्चुनिटी, जिसमें जॉब के साथ क्रिकेट भी खेलने का मौका था, जो पुष्कर की फैमिली के लिए भी अच्छा था. पुष्कर जॉब के साथ केन्या की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के सदस्य हैं.
पुष्कर की मां अलीगढ़ के अतरौली थाना क्षेत्र की हैं. वह जब भी भारत आते हैं. अपनी धरती पर आना नहीं भूलते. सोमवार को पुष्कर शर्मा अलीगढ़ क्रिकेट एकेडमी पहुंचे. उन्होंने नेट पर युवा क्रिकेटरों के साथ अभ्यास किया. युवा खिलाड़ियों को बल्लेबाजी और गेंदबाजी के टिप्स दिए. वहीं, बच्चों को पढ़ाई के साथ खेल पर भी ध्यान देने की बात कही, जिससे शारीरिक व मानसिक विकास हो. उन्होंने कहा कि रिंकू सिंह ने अलीगढ़ की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बना दी है. इससे यहां की क्रिकेट को पंख लगें है. उन्होंने बच्चों को टिप्स दिया कि 50 और 100 रन कैसे बनाने है. उन्होंने बताया कि अगर आपके अंदर जज्बा है तो अच्छा खेल सकते हैं.
पुष्कर ने बताया कि 'केन्या में रणजी ट्रॉफी नहीं होती है और मैं इंतजार कर रहा था. देश के लिए खेलने के लिये. पुष्कर ने बताया कि और ज्यादा मैच खेल के रन बनाना चाहते हैं, ताकि एक पहचान बना सकें. उन्होंने बताया कि आईपीएल खेलने के लिए नियम होते हैं, जो देश के लिए अंडर-19 खेल रहे हो या रण जी खेले हों तो आईपीएल खेल सकते हैं. प्लेयर का पहला टारगेट होना चाहिए कि वह स्टेट खेलें. इसके बाद फिर वह रणजी खेलें, फिर आईपीएल के लिए सेलेक्ट हों. उन्होंने बताया कि मैं केन्या के लिए खेल रहा हूं. अगर मैं अच्छा परफॉर्मेंस देता हूं तो आईपीएल में खेल सकूंगा'.
पुष्कर ने बताया कि 'मैं मुंबई अंडर-16 की कप्तानी के तौर पर खेल रहा था, तब समय अच्छा चल रहा था. मुंबई छोड़ना नहीं पड़ता, लेकिन फाइनेंशली स्थिति ठीक नहीं रही. अब केन्या टीम से खेल रहे हैं तो वापस आने का मौका नहीं मिलेगा. पुष्कर कहते हैं कि मैच खेलकर ऐसे रन करो कि नाम गूंजना चाहिए. वहीं, उन्होंने बताया कि कई तरह के ट्रायल होते हैं. कैंप लगते हैं जहां मेहनत करके आगे बढ़ सकते हैं. वहीं, रिंकू सिंह के पांच बॉल पर 5 छक्के के सवाल पर कहा कि बहुत खुशी हुई. अंदर से मोटिवेशन आया कि हम भी कुछ ऐसा करके दिखाएंगे और मैं पूरी कोशिश करूंगा कि ऐसा कुछ करुं'.
पढ़ेंः Rinku Singh ने भी पिता के साथ उठाए हैं सिलेंडर, छोड़ दी थी झाडू़-पोछा लगाने की नौकरी