अलीगढ़: जिले में टिड्डियों के हमले की आशंका को लेकर कृषि विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है. पाकिस्तान से टिड्डियों के हमले की आशंका को लेकर कृषि विभाग ग्रामीणों को जागरूक कर रहा है. जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह ने प्रेस रिलीज जारी कर किसानों को टिड्डियों से बचाव के उपायों की जानकारी दी है.
फसल का नाश कर देती है लोकस्टा टिड्डी
पूरे विश्व में टिड्डियों की 6 जातियां पाई जाती हैं. इनकी उड़ान दो हजार मील तक पाई जाती है. टिड्डी का विकास आद्रता और ताप पर निर्भर करता है. इनका निवास स्थान उन जगहों पर होता है, जहां जलवायु असंतुलित होती है. इन जगहों पर रहने के अनुकूल मौसम इनकी संख्या को फैलाने में सहायक होती है. टिड्डी घास के मैदानों में और शुष्क तथा गर्म मिट्टी में निवास करती हैं.
लोकस्टा टिड्डी फसलों के लिए घातक होती है
लोकस्टा नामक टिड्डी फसल और वनस्पति का नाश करती है. टिड्डियों के हमले के कारण पेड़-पौधे के पत्ते रातों-रात कम हो जाते हैं. इनका रंग बदल जाता है और पत्ते पीले पड़ जाते हैं. टिड्डियों का प्रकोप बढ़ने के बाद इसे नियंत्रित करना कठिन हो जाता है.
टिड्डियों के हमले से बचाव के उपाय
टिड्डियों के प्रकोप को लेकर किसानों को सुझाव दिये गये हैं. इस पर नियंत्रण के लिए पूर्व में ही विषैली औषधियों का छिड़काव उपयोगी होता है. बेंजीन हेक्साक्लोराइड मिश्रण से भीगी गेहूं की भूसी का फैलाव करने की सलाह दी है. किसान शाम के समय खेतों में ध्वनि उत्पन्न कर इन्हें बैठने नहीं दें. फसल के चारों ओर मशाल जलाकर प्रकाश करें. वहीं टिड्डियों का प्रकोप होने पर मिथाइल पैराथियान का 25 से 30 किग्रा प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें.