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डाॅक्टरों ने पेट में छोड़ा सर्जिकल स्पंज, डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक निकाल मरीजों को दी जिंदगी

अलीगढ़ के निजी अस्पतालों में सर्जनों द्वारा तीन मरीजों के पेट में छोड़े गए सर्जिकल स्पंज को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Jawaharlal Nehru Medical College) के सर्जनों ने बाहर निकाला.

जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज
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Published : Nov 27, 2021, 10:51 PM IST

अलीगढ़ : अलीगढ़ के निजी अस्पतालों में सर्जनों द्वारा तीन मरीजों के पेट में छोड़े गए सर्जिकल स्पंज को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Jawaharlal Nehru Medical College) के सर्जनों ने समय पर शल्य चिकित्सा करके बाहर निकाल लिया जिससे रोगियों को नई जिंदगी मिली.

सर्जरी विभाग के अध्यक्ष, प्रो. अफजाल अनीस के नेतृत्व में सर्जनों की एक टीम ने तीन रोगियों को इलाज प्रदान किया और सर्जिकल स्पंज को हटा दिया. यह गलती से इन मरीजों के शरीर के अंदर रह गए थे.

प्रो. अनीस ने बताया कि इनमें से दो रोगियों के शरीर में निजी चिकित्सकों ने कोलेसिस्टेक्टोमी रिसेक्शन (cholecystectomy resection) के बाद कई दिनों के लिए स्पंज छोड़ दिया गया था जबकि एक चिकित्सा केंद्र में एक मरीज कि हिस्टेरेक्टामी प्रक्रिया के बाद कपास स्पंज छोड़ दिया गया था जो कई महीनों से उस के पेट में था.

उन्होंने कहा कि पेट में कई दिनों से स्पंज लिए ये मरीज बुखार, उल्टी और दर्द से पीड़ित थे. जब उनका सीटी स्कैन किया गया तो गासिपिबोमा का पता चला जिसे आपरेशन के बाद सफलतापूर्वक हटा दिया गया. निजी चिकित्सकों की लापरवाही के कारण रोगी के पेट की दीवार को गंभीर क्षति पहुंच चुकी थी.

उन्होंने बताया कि तीसरे रोगी को कपास स्पंज और महीनों से मल से उत्पन्न संक्रमण के कारण शौच में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. सीईसीटी स्कैन के बाद रेक्टोसिग्मोइडेक्टोमी प्रक्रिया की गई और स्टेपलिंग डिवाइस के साथ खोखले विसरा की निरंतरता को बहाल किया गया.

इसे भी पढ़ेः यूपी : अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के JNMC ने 300 ओपन हार्ट सर्जरी करने का किया कारनामा

प्रोफेसर अनीस ने कहा कि यह बात चौंकाने वाली है कि प्रतिकूल घटनाओं को कम करने के लिए व्यापक परामर्श के बाद विकसित डब्ल्यूएचओ सर्जिकल सेफ्टी चेक लिस्ट (surgical safety checklist) के बावजूद अस्पतालों में इस तरह की गंभीर त्रुटियां सामने आ रहीं हैं. डॉक्टर और अन्य संबंधित लोग इस समस्या पर काबू पाने के लिए काम कर रहे हैं. रोगी के शरीर में किसी सर्जिकल सामान के छूट जाने से मरीज को दर्द, संक्रमण अथवा अंग क्षति का सामना करना पड़ सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है.

उन्होंने कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए मरीजों को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं वाले डॉक्टरों और सरकारी अस्पतालों से संपर्क करना चाहिए.

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अलीगढ़ : अलीगढ़ के निजी अस्पतालों में सर्जनों द्वारा तीन मरीजों के पेट में छोड़े गए सर्जिकल स्पंज को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Jawaharlal Nehru Medical College) के सर्जनों ने समय पर शल्य चिकित्सा करके बाहर निकाल लिया जिससे रोगियों को नई जिंदगी मिली.

सर्जरी विभाग के अध्यक्ष, प्रो. अफजाल अनीस के नेतृत्व में सर्जनों की एक टीम ने तीन रोगियों को इलाज प्रदान किया और सर्जिकल स्पंज को हटा दिया. यह गलती से इन मरीजों के शरीर के अंदर रह गए थे.

प्रो. अनीस ने बताया कि इनमें से दो रोगियों के शरीर में निजी चिकित्सकों ने कोलेसिस्टेक्टोमी रिसेक्शन (cholecystectomy resection) के बाद कई दिनों के लिए स्पंज छोड़ दिया गया था जबकि एक चिकित्सा केंद्र में एक मरीज कि हिस्टेरेक्टामी प्रक्रिया के बाद कपास स्पंज छोड़ दिया गया था जो कई महीनों से उस के पेट में था.

उन्होंने कहा कि पेट में कई दिनों से स्पंज लिए ये मरीज बुखार, उल्टी और दर्द से पीड़ित थे. जब उनका सीटी स्कैन किया गया तो गासिपिबोमा का पता चला जिसे आपरेशन के बाद सफलतापूर्वक हटा दिया गया. निजी चिकित्सकों की लापरवाही के कारण रोगी के पेट की दीवार को गंभीर क्षति पहुंच चुकी थी.

उन्होंने बताया कि तीसरे रोगी को कपास स्पंज और महीनों से मल से उत्पन्न संक्रमण के कारण शौच में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. सीईसीटी स्कैन के बाद रेक्टोसिग्मोइडेक्टोमी प्रक्रिया की गई और स्टेपलिंग डिवाइस के साथ खोखले विसरा की निरंतरता को बहाल किया गया.

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प्रोफेसर अनीस ने कहा कि यह बात चौंकाने वाली है कि प्रतिकूल घटनाओं को कम करने के लिए व्यापक परामर्श के बाद विकसित डब्ल्यूएचओ सर्जिकल सेफ्टी चेक लिस्ट (surgical safety checklist) के बावजूद अस्पतालों में इस तरह की गंभीर त्रुटियां सामने आ रहीं हैं. डॉक्टर और अन्य संबंधित लोग इस समस्या पर काबू पाने के लिए काम कर रहे हैं. रोगी के शरीर में किसी सर्जिकल सामान के छूट जाने से मरीज को दर्द, संक्रमण अथवा अंग क्षति का सामना करना पड़ सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है.

उन्होंने कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं से बचने के लिए मरीजों को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं वाले डॉक्टरों और सरकारी अस्पतालों से संपर्क करना चाहिए.

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