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बकाया मामले में कोर्ट ने AMU की स्टे एप्लीकेशन निरस्त की

एएमयू पर नगर निगम के बकाए टैक्स मामले में निचली अदालत ने एएमयू के स्टे एप्लीकेशन को निरस्त कर दिया है. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शीघ्र निस्तारण के लिए अलीगढ़ की लघुकोर्ट न्यायालय को आदेशित किया था. अब मामले में 15 जनवरी को अगली सुनवाई होगी.

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.
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Published : Jan 13, 2021, 9:03 PM IST

अलीगढ़: नगर निगम का एएमयू पर करीब 14.98 करोड़ रुपये प्रापर्टी टैक्स का बकाया है. इस मामले को लेकर नगर निगम ने एएमयू प्रशासन को कई बार नोटिस भेजा था. एएमयू ने हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट ने लघु कोर्ट न्यायालय में मामले को निस्तारित करने का आदेश दिया था. इस सुनवाई में एएमयू पक्ष भी उपस्थित था.

एएमयू की तरफ से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर आपत्ति के प्रकाश में दोनों पक्षों को सुना गया. एएमयू ने मांग की थी कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अध्ययन कक्ष, प्रयोगशाला, अस्पताल तथा पुस्तकालय को गृह कर और जलकर से मुक्त रखा जाए. एएमयू की संपत्ति जो कि एक शैक्षणिक संस्थान है, टैक्स से मुक्त चली आ रही है. जिस पर नगर निगम ने अनुचित रूप से संपत्ति का मूल्यांकन कर टैक्स का निर्धारण कर दिया है.

एएमयू का बैंक एकाउंट किया था सीज

नगर निगम पक्ष के वकील की तरफ से दलील दी गई कि पहले एएमयू नगर पालिका क्षेत्र में था. बाद में नगर निगम में परिवर्तित हो गया. नगर निगम अधिनियम की धारा- 577 में विश्वविद्यालय को गृह कर और जलकर से मुक्त नहीं रखा गया. नगर निगम की अधिनियम की धारा-205 में कर मुक्ति से छूट के प्रावधान दिए गए हैं. एएमयू को शासन से कोई छूट प्राप्त नहीं है.

कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि नगर निगम अधिनियम 1959 के प्रावधान के तहत अलीगढ़ नगर निगम को प्रेषित बकाया टैक्स वसूली के संबंध में एएमयू की तरफ से प्रस्तुत स्टे प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने योग्य प्रतीत नहीं होता है. इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होनी है. नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी विनय राय ने एएमयू का एसबीआई में बैंक अकाउंट सीज कराया था. अब नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी एएमयू बैंक एकाउंट मामले में विधिक परामर्श ले रहे हैं.

अलीगढ़: नगर निगम का एएमयू पर करीब 14.98 करोड़ रुपये प्रापर्टी टैक्स का बकाया है. इस मामले को लेकर नगर निगम ने एएमयू प्रशासन को कई बार नोटिस भेजा था. एएमयू ने हाईकोर्ट में अपील की थी. हाईकोर्ट ने लघु कोर्ट न्यायालय में मामले को निस्तारित करने का आदेश दिया था. इस सुनवाई में एएमयू पक्ष भी उपस्थित था.

एएमयू की तरफ से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर आपत्ति के प्रकाश में दोनों पक्षों को सुना गया. एएमयू ने मांग की थी कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अध्ययन कक्ष, प्रयोगशाला, अस्पताल तथा पुस्तकालय को गृह कर और जलकर से मुक्त रखा जाए. एएमयू की संपत्ति जो कि एक शैक्षणिक संस्थान है, टैक्स से मुक्त चली आ रही है. जिस पर नगर निगम ने अनुचित रूप से संपत्ति का मूल्यांकन कर टैक्स का निर्धारण कर दिया है.

एएमयू का बैंक एकाउंट किया था सीज

नगर निगम पक्ष के वकील की तरफ से दलील दी गई कि पहले एएमयू नगर पालिका क्षेत्र में था. बाद में नगर निगम में परिवर्तित हो गया. नगर निगम अधिनियम की धारा- 577 में विश्वविद्यालय को गृह कर और जलकर से मुक्त नहीं रखा गया. नगर निगम की अधिनियम की धारा-205 में कर मुक्ति से छूट के प्रावधान दिए गए हैं. एएमयू को शासन से कोई छूट प्राप्त नहीं है.

कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि नगर निगम अधिनियम 1959 के प्रावधान के तहत अलीगढ़ नगर निगम को प्रेषित बकाया टैक्स वसूली के संबंध में एएमयू की तरफ से प्रस्तुत स्टे प्रार्थना पत्र स्वीकार किए जाने योग्य प्रतीत नहीं होता है. इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होनी है. नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी विनय राय ने एएमयू का एसबीआई में बैंक अकाउंट सीज कराया था. अब नगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी एएमयू बैंक एकाउंट मामले में विधिक परामर्श ले रहे हैं.

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