अलीगढ़ : एक दिसंबर 1920 को आज से 100 साल पहले मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था. सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में एक मदरसा बनाकर आधुनिक शिक्षा की नींव रखी थी. सन 1857 की क्रांति के बाद एक महत्वपूर्ण समय सन 1875 था, जब सर सैयद अहमद खां ने भारत के शैक्षिक और सामाजिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. सन 1877 में मदरसे से मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की आधारशिला रखी थी. वहीं एमएओ कॉलेज को ब्रितानी हुकूमत में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के द्वारा 1920 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया.
100 साल पूरा होने पर मना रहे उपलब्धियों का जश्न
आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 130 डिपार्टमेंट हैं. 350 से अधिक कोर्स हैं. छात्रों की संख्या करीब 30,000 है. 80 हॉस्टल, 1400 स्टाफ, करीब 6000 टीचिंग स्टाफ कार्यरत हैं. इसके साथ ही हर साल 500 विदेशी स्टूडेंट एएमयू में एडमिशन लेते हैं. यूनिवर्सिटी ने बहुत तरक्की की है. इसमें पढ़े हुए छात्र पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. यहां के पढ़े हुए छात्र राष्ट्रपति बने, उपराष्ट्रपति भी बने. राज्यपाल व मुख्यमंत्री भी बने. भारत रत्न से नवाजे गए. पद्म विभूषण, पद्म भूषण, व पद्मश्री, ज्ञानपीठ पुरस्कार, सुप्रीम कोर्ट के जज, हाईकोर्ट के जज भी रहे. यहीं के पढ़े हुए डॉक्टर जाकिर हुसैन और खान अब्दुल गफ्फार खान को भारत रत्न मिल चुका है. विश्वविद्यालय बनने के 100 वर्ष पूरे होने पर कैंपस में जश्न का माहौल है. विश्वविद्यालय की बिल्डिंगों को रोशनी से सजाया गया है. 100 साल पूरे होने की यादगार में सैंटनरी गेट बनाया गया है. हालांकि कोरोना वायरस के चलते छात्रों की संख्या कम है. 100 साल पूरे होने पर दुनिया भर में वेबीनार का आयोजन किया जा रहा है.
एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरुप को लेकर उठे सवाल
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर कई बार सवाल उठते रहे हैं. 1920 में ब्रिटेन सरकार की सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में एक्ट के जरिए इसे विश्वविद्यालय की मान्यता दी गई थी. हालांकि 1920 से लेकर 1965 तक कोई दिक्कत नहीं रही. सन 1965 से 1972 के दौरान तत्कालीन सरकारों ने इस पर पाबंदियां लगाई. हालांकि 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार ने इसको बहाल किया. उस समय जनसंघ के नेता अटल बिहारी बाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी ने भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक चरित्र व इसकी ऐतिहासिकता का समर्थन किया था. विश्वविद्यालय के सौ साल पूरे होने के बाद भी अल्पसंख्यक चरित्र का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़ा है. कई बार इस विश्वविद्यालय से मुस्लिम शब्द हटाने को लेकर भी विवाद उठें. विश्वविद्यालय का नाम अलीगढ़ यूनिवर्सिटी रखने की मांग उठी. लेकिन इसे ज्यादा तबज्जो नहीं मिली.
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है अल्पसंख्य स्वरुप का मामला
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एसटी-एससी व ओबीसी आरक्षण और अल्पसंख्यक स्वरूप को लेकर विवाद उठते रहे हैं. इस पर पीआरओ विभाग के राहत अबरार ने अपनी राय देते हुए कहा कि बुनियादी तौर पर इंस्टिट्यूट को मुसलमानों ने तैयार किया है. हालांकि सर सैयद अहमद खान ने कहा था की तालीम के लिए इसके दरवाजे सभी धर्मों के लिए खुले रहेंगे. उन्होंने बताया कि इस विश्वविद्यालय के पहले छात्र इगलास के रहने वाले ईश्वरी प्रसाद थे और यहां पहला ग्रेजुएट गैर मुस्लिम था. उन्होंने बताया कि दाखिले के लिए सभी धर्मों के लोगों का यहां स्वागत है. उन्होंने बताया कि 1920 के एक्ट में शर्त थी कि कोर्ट का मेंबर सिर्फ मुसलमान होगा और विश्वविद्यालय का कुलपति भी मुसलमान होगा. उन्होंने बताया कि एएमयू के अल्पसंख्यक स्वरूप का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए इस पर कोई कमेंट नहीं कर सकते और विश्वविद्यालय अपना पक्ष कोर्ट में रख रहा है.