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प्रधानमंत्री के आगमन से पहले गन्ना किसान हुए मुखर, भारतीय किसान यूनियन ने किया प्रदर्शन - गन्ना किसान का प्रदर्शन

अलीगढ़ में प्रधानमंत्री के आने से पहले बदहाल गन्ना किसानों ने महापंचायत कर नई चीनी मिल लगाने की मांग की है. रविवार को किसान साथा चीनी मिल पर एकत्र हुए और खस्ताहाल चीनी मिल को लेकर मुखर हो गए. इस पंचायत में किसान यूनियन के लोग भी शामिल हैं.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
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Published : Sep 12, 2021, 11:01 PM IST

अलीगढ़: गन्ना मंत्री सुरेश राणा अलीगढ़ में ही प्रधानमंत्री के आने को लेकर तैयारियों में जुटे हैं. कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा अलीगढ़ के प्रभारी भी हैं, लेकिन गन्ना किसानों की समस्या को हल नहीं कर सके हैं. किसानों की महापंचायत में भाजपा के मंत्रियों ने पहुंचने का वादा किया, लेकिन नहीं पहुंचे. अब गन्ना किसान अपनी समस्या को लेकर सीधे गन्ना मंत्री सुरेश राणा से बात करना चाहते हैं.


गन्ने का रकबा हुआ कम

साथा चीनी मिल की नई यूनिट की मांग वर्षों पुरानी है. वर्ष 1969 में स्थापित हुई 12500 क्विंटल प्रतिदिन क्षमता वाली इस मिल की हालत इतनी खस्ता है कि हर साल गन्ना किसानों को पेराई के लिए दूसरे जनपदों में भटकना पड़ता है. इससे किसान गन्ने की खेती से भी विमुख हो रहा हैं. गन्ने की खेती की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 16 वर्षों में गन्ने का रकबा पूर्व की तुलना में करीब 25 फीसदी रह गया है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2005-06 में गन्ने का रकबा करीब 22 हजार हेक्टेयर था. वह अब घटकर 4500 हेक्टेयर रह गया है. जबकि चीनी मिल में पेराई न होने के कारण 70 प्रतिशत किसान गन्ने की खेती से विमुख हो गया है. यदि चीनी मिल की नई यूनिट नहीं लगी तो किसानों की परेशानी जस की तस बनी रहेंगी.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

52 वर्ष पुरानी साथा चीनी मिल के नहीं मिलते कलपुर्जे

साथा चीनी मिल के महाप्रबंधक लालता प्रसाद ने स्वीकार करते हैं कि, 52 वर्ष पुरानी साथा चीनी मिल के अब कलपुर्जे भी नहीं मिलते हैं. इसकी मशीनें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं. हर साल मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये फूंक दिए जाते हैं, लेकिन मिल का संचालन ठीक से नहीं होता है. किसान विकास बताते हैं कि साथा चीनी मिल में पिछले चार सालों में नाममात्र की पेराई हुई है. इसके चलते किसानों का गन्ने की खेती से मोह भंग हो गया है.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

इसे भी पढ़ें- दलित युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका, आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग पर अड़े परिजन

गन्ना मंत्री भी समस्या को लटकाए हुए हैं

भारतीय किसान यूनियन भानु के प्रदेश महासचिव डॉ. शैलेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि, अलीगढ़ मण्डल में एक मात्र चीनी मिल है जो 52 वर्ष पुरानी होने के कारण बहुत खराब स्थित में है. पिछले 7 साल से ज्यादा चिंताजनक है. पेराई के समय किसान आन्दोलन करने को मजबूर होते हैं. किसान का कुछ गन्ना मिल पर पहुंचता है. किसान ब्रजेश सिंह ने बताया कि पिछले चार सालों से किसान का गन्ना इस मिल पर नहीं पड़ पा रहा या तो उसे 200 रु प्रति क्विंटल में चारे में बेचना पड़ता है या खेत खाली करने के लिए खड़ी फसल में आग लगानी पड़ती हैं. जिससे किसान कर्ज में डूब रहा है.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

दीपक ठाकुर ने बताया कि अलीगढ़ के प्रभारी मंत्री गन्ना मंत्री होने के बाबजूद पिछले चार सालों से अलीगढ़ के गन्ना किसान परेशान हैं. उन्होंने 2019 में घोषणा करने के बाबजूद अभी तक चीनी मिल नहीं लगी. यदि अभी भी सुनवाई नहीं हुई तो 2022 में किसान इसका जबाब देगा.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

किसान महेशपुर फाटक पर धरने पर बैठे

शाम तक किसान साथा मिल से निकल कर गन्ना मंत्री से मिलने के लिए सर्किट हाउस के लिए निकले, लेकिन पुलिस प्रशासन ने बीच में रोक लिया. वहीं किसान महेशपुर फाटक पर ही धरना देते हुए बैठ गए हैं. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव शैलेन्द्र पाल ने कहा कि, हम प्रधानमंत्री के आने का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन गन्ना मंत्री से मिलने नहीं दे रहा है. शैलेन्द्र पाल ने कहा कि जब तक गन्ना मंत्री किसानों से नहीं बात करेगें. धरने से नहीं हटेंगे.

अलीगढ़: गन्ना मंत्री सुरेश राणा अलीगढ़ में ही प्रधानमंत्री के आने को लेकर तैयारियों में जुटे हैं. कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा अलीगढ़ के प्रभारी भी हैं, लेकिन गन्ना किसानों की समस्या को हल नहीं कर सके हैं. किसानों की महापंचायत में भाजपा के मंत्रियों ने पहुंचने का वादा किया, लेकिन नहीं पहुंचे. अब गन्ना किसान अपनी समस्या को लेकर सीधे गन्ना मंत्री सुरेश राणा से बात करना चाहते हैं.


गन्ने का रकबा हुआ कम

साथा चीनी मिल की नई यूनिट की मांग वर्षों पुरानी है. वर्ष 1969 में स्थापित हुई 12500 क्विंटल प्रतिदिन क्षमता वाली इस मिल की हालत इतनी खस्ता है कि हर साल गन्ना किसानों को पेराई के लिए दूसरे जनपदों में भटकना पड़ता है. इससे किसान गन्ने की खेती से भी विमुख हो रहा हैं. गन्ने की खेती की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 16 वर्षों में गन्ने का रकबा पूर्व की तुलना में करीब 25 फीसदी रह गया है. आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2005-06 में गन्ने का रकबा करीब 22 हजार हेक्टेयर था. वह अब घटकर 4500 हेक्टेयर रह गया है. जबकि चीनी मिल में पेराई न होने के कारण 70 प्रतिशत किसान गन्ने की खेती से विमुख हो गया है. यदि चीनी मिल की नई यूनिट नहीं लगी तो किसानों की परेशानी जस की तस बनी रहेंगी.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

52 वर्ष पुरानी साथा चीनी मिल के नहीं मिलते कलपुर्जे

साथा चीनी मिल के महाप्रबंधक लालता प्रसाद ने स्वीकार करते हैं कि, 52 वर्ष पुरानी साथा चीनी मिल के अब कलपुर्जे भी नहीं मिलते हैं. इसकी मशीनें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं. हर साल मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये फूंक दिए जाते हैं, लेकिन मिल का संचालन ठीक से नहीं होता है. किसान विकास बताते हैं कि साथा चीनी मिल में पिछले चार सालों में नाममात्र की पेराई हुई है. इसके चलते किसानों का गन्ने की खेती से मोह भंग हो गया है.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

इसे भी पढ़ें- दलित युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका, आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग पर अड़े परिजन

गन्ना मंत्री भी समस्या को लटकाए हुए हैं

भारतीय किसान यूनियन भानु के प्रदेश महासचिव डॉ. शैलेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि, अलीगढ़ मण्डल में एक मात्र चीनी मिल है जो 52 वर्ष पुरानी होने के कारण बहुत खराब स्थित में है. पिछले 7 साल से ज्यादा चिंताजनक है. पेराई के समय किसान आन्दोलन करने को मजबूर होते हैं. किसान का कुछ गन्ना मिल पर पहुंचता है. किसान ब्रजेश सिंह ने बताया कि पिछले चार सालों से किसान का गन्ना इस मिल पर नहीं पड़ पा रहा या तो उसे 200 रु प्रति क्विंटल में चारे में बेचना पड़ता है या खेत खाली करने के लिए खड़ी फसल में आग लगानी पड़ती हैं. जिससे किसान कर्ज में डूब रहा है.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

दीपक ठाकुर ने बताया कि अलीगढ़ के प्रभारी मंत्री गन्ना मंत्री होने के बाबजूद पिछले चार सालों से अलीगढ़ के गन्ना किसान परेशान हैं. उन्होंने 2019 में घोषणा करने के बाबजूद अभी तक चीनी मिल नहीं लगी. यदि अभी भी सुनवाई नहीं हुई तो 2022 में किसान इसका जबाब देगा.

प्रदर्शन करते गन्ना किसान.
प्रदर्शन करते गन्ना किसान.

किसान महेशपुर फाटक पर धरने पर बैठे

शाम तक किसान साथा मिल से निकल कर गन्ना मंत्री से मिलने के लिए सर्किट हाउस के लिए निकले, लेकिन पुलिस प्रशासन ने बीच में रोक लिया. वहीं किसान महेशपुर फाटक पर ही धरना देते हुए बैठ गए हैं. भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महासचिव शैलेन्द्र पाल ने कहा कि, हम प्रधानमंत्री के आने का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन जिला प्रशासन गन्ना मंत्री से मिलने नहीं दे रहा है. शैलेन्द्र पाल ने कहा कि जब तक गन्ना मंत्री किसानों से नहीं बात करेगें. धरने से नहीं हटेंगे.

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