अलीगढ़ः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मंगलवार देर शाम छात्रों ने कुलपति के रिजाइन करने पर डक पॉइंट पर जश्न ए चरागाँ का आयोजन किया. इस दौरान छात्रों ने प्रो तारिक मंसूर को 'जालिम वाइस चांसलर' बताकर नारेबाजी की . छात्रों ने कहा कि पहले जब जालिम हुक्मरां (कुलपति) विश्वविद्यालय से रुखसत होता था तो यहां जश्न का माहौल होता था. छात्रों ने कहा कि पुरानी रिवायत को जिंदा कर रहे हैं. पूर्व कुलपति तारिक मंसूर एमएलसी पद लेकर विश्वविद्यालय से रुखसत हो गए हैं. छात्रों ने कहा कि पूर्व कुलपति अब केवल महज एमएलसी है, जिसकी कोई वैल्यू नहीं होती. उनके लिए एएमयू में चरागां हो रहा है, क्योंकि विश्वविद्यालय को उनसे निजात मिल गई है.
एएमयू छात्र हैदर ने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जो डिक्टेटरशिप चल रही थी, उसका खात्मा हुआ है. छात्रों ने जश्न ए चरागाँ के रूप में खुशियां मनायी और मिठाइयां भी बांटी. विश्वविद्यालय को प्रोफेसर तारिक मंसूर से निजात मिलने पर छात्रों ने खुशी दिखाई दी. इससे पहले भी कुलपतियों को विरोध का सामना करना पड़ा है. जब कुलपति का कार्यकाल खत्म होने पर कैंपस छोड़ कर जाते है तो कम ही देखा गया है कि छात्र कोई फेयरवेल कर विदाई दें.
छात्र इमरान ने बताया कि आज हम लोग बहुत खुद किस्मत है कि कुलपति ने इस्तीफा दे दिया है. इमरान ने बताया कि कुलपति ने केवल छात्रों का नुकसान किया है. स्टूडेंट के हक को रौंदा गया. CAA-NRC आंदोलन के समय सब ने देखा. इमरान ने कहा कि अब ऐसा वाइस चांसलर आए, जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए काम करे, जिसे छात्र याद रखें. छात्रों ने प्रोफेसर तारिक मंसूर के कार्यकाल को काला पीरियड बताया. इस दौरान छात्रों ने एएमयू जिंदाबाद और छात्र यूनिटी जिंदाबाद के नारे लगाए. वहीं, पूर्व कुलपति तारिक एमएलसी मुर्दाबाद के नारे लगाए.
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रिटायर्ड प्रोफेसर मुफ्ती जाहिद ने कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार बड़े से बड़ा ओहदा एमएलसी का ही दे सकती थी. इसके बाद मिनिस्ट्री का होता है, जो बाद की बात है. उन्होंने बताया कि यूपी की योगी और केंद्र की सरकार कुलपति के कार्यकाल से खुश रही है. इसलिए यूपी सरकार ने बड़ी से बड़ी चीज दी है. उन्होंने कहा कि एएमयू में कुलपति के पद से जो रिटायर हुए हैं. वह ज्यादातर नेशनल ओहदे पर जाते रहे हैं, लेकिन जब से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने एक नॉमिनेटेड राज्यसभा सांसद का पद कुबूल किया है. तब से चीफ जस्टिस की गरिमा गिर गई है, तो वाइस चांसलर की गरिमा की क्या बात करें.
चीफ जस्टिस ही रिश्वतबाजी करने लगे हैं, लेकिन यहां ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा कि अब गरिमा और इज्जत जैसी बातें नहीं रही. इससे पहले कुलपति राज्यपाल, उपराष्ट्रपति और अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष बने हैं. इस तरह के बड़े ओहदे रिटायर होने पर कुलपति को मिलते रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुलपति के ओहदे से एमएलसी का पद कमतर दर्जे की चीज है. लेकिन इससे पता चल गया कि मौजूदा सरकार में उनकी अपनी हैसियत और इमेज है. इसलिए उनको एमएलसी पद दिया गया है.
उन्होंने कहा कि आजकल पसमांदा मुसलमानों की तरफ सरकार का तवज्जो है. प्रोफेसर तारिक मंसूर ने पसमांदा मुसलमानों को लेकर द हिंदू में लेख भी लिखा था, जो मीडिया में कई जगह छपा था. इस लेख के जरिए तारिक मंसूर ने मुसलमानों के वोट को भाजपा की तरफ मोड़ने का प्रयास किया था इसलिए सरकार ने उनको एमएलसी के ओहदे से नवाजा है. उन्होंने कहा कि एएमयू के कुलपति को और बड़ा ओहदा मिलना चाहिए, लेकिन अब जो मिल गया है वह सबसे ऊंचे ओहदे पर है. इससे ज्यादा सरकार नहीं दे सकती.