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झारखंड में मॉब लिंचिंग निवारण कानून पारित, AMU के छात्रों ने किया स्वागत

झारखंड की विधानसभा के 'मॉब हिंसा एवं मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक -2021’ पारित करने का एएमयू छात्रों ने स्वागत किया है. झारखंड पश्चिम बंगाल, मणिपुर और राजस्थान के बाद ऐसा कानून पारित करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया है.

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Published : Dec 24, 2021, 9:28 AM IST

झारखंड में मॉब लिंचिंग निवारण कानून पारित, AMU के छात्रों ने किया स्वागत
झारखंड में मॉब लिंचिंग निवारण कानून पारित, AMU के छात्रों ने किया स्वागत

अलीगढ़: झारखंड की विधानसभा ने 'मॉब हिंसा और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक -2021' पारित करने का एएमयू छात्रों ने स्वागत किया है. इस विधेयक को हर व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों और भीड़ से हिंसा की सुरक्षा कहा गया है. झारखंड पश्चिम बंगाल, मणिपुर और राजस्थान के बाद ऐसा कानून पारित करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया है. दो दिन पहले एएमयू छात्रों ने प्रदर्शन कर लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की मांग की थी.

एएमयू छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष हमजा सूफियान ने कहा कि लिंचिंग की घटना से अल्पसंख्यक समुदाय में डर पैदा हो गया है. लिंचिंग के मामले भी जीवन के अधिकार, निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार आदि का हनन कर रहे हैं. आज के परिदृश्य में, लिंचिंग और विजिलेंट हमले अल्पसंख्यकों या विशेष रूप से मुसलमानों जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा करने का विकल्प बन गया हैं. अचानक हमले और लिंचिंग दोनों ही 'सांप्रदायिक दंगों' से अलग हैं. यह विधेयक लोगों को 'प्रभावी सुरक्षा' प्रदान करेगा. संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और भीड़ की हिंसा के लिए प्रतिरोध पैदा करेगा.

हमजा सूफियान ने कहा कि विधेयक इतना महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार इस मॉब लिंचिंग विरोधी विधेयक को संसद में लाए और इसे पूरे देश में लागू करें. यह देश के लोगों को लिंचिंग से बचाएगा. इसके अलावा, ऐसे उदाहरण भी हैं. जहां कुछ राजनीतिक संबंध रखने वाले सतर्क लोगों के कारण हिंसा हुई है. यह विधेयक भीड़ को प्रोत्साहित करने के दोषी पाए गए राजनीतिक नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान कर सकता है.

लिंचिंग की सजा अत्यधिक दंडनीय होनी चाहिए, कम से कम आजीवन कारावास और उसके साथ-साथ भारी जुर्माने होनी चाहिए. साथ ही पीड़ितों को और उनके परिवार को हुए नुकसान के दिए जाने वाले मुआवजे की मात्रा निर्धारित करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए, जैसे न्याय तक बेहतर पहुंच, पीड़ितों के मुफ्त चिकित्सा उपचार, मुफ्त कानूनी सहायता जैसी चीज़ों को प्रणाली का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.

इसे भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ विधेयक पारित, उम्रकैद की सजा का प्रावधान

दो दिन पहले ही एएमयू छात्रों ने मॉब लिंचिंग की घटानों पर रोक लगाने के लिए प्रोटेस्ट किया था. और मांग की थी कि केन्द्र सरकार माब लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने के निर्देश दिए थे. वहीं झारखंड राज्य सरकार ने लिंचिंग की घटनाओं को लेकर विधान सभा से कानून पारित कर दिया है.

अलीगढ़: झारखंड की विधानसभा ने 'मॉब हिंसा और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक -2021' पारित करने का एएमयू छात्रों ने स्वागत किया है. इस विधेयक को हर व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों और भीड़ से हिंसा की सुरक्षा कहा गया है. झारखंड पश्चिम बंगाल, मणिपुर और राजस्थान के बाद ऐसा कानून पारित करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया है. दो दिन पहले एएमयू छात्रों ने प्रदर्शन कर लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की मांग की थी.

एएमयू छात्रसंघ के पूर्व उपाध्यक्ष हमजा सूफियान ने कहा कि लिंचिंग की घटना से अल्पसंख्यक समुदाय में डर पैदा हो गया है. लिंचिंग के मामले भी जीवन के अधिकार, निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार आदि का हनन कर रहे हैं. आज के परिदृश्य में, लिंचिंग और विजिलेंट हमले अल्पसंख्यकों या विशेष रूप से मुसलमानों जैसे अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्तियों के खिलाफ हिंसा करने का विकल्प बन गया हैं. अचानक हमले और लिंचिंग दोनों ही 'सांप्रदायिक दंगों' से अलग हैं. यह विधेयक लोगों को 'प्रभावी सुरक्षा' प्रदान करेगा. संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेगा और भीड़ की हिंसा के लिए प्रतिरोध पैदा करेगा.

हमजा सूफियान ने कहा कि विधेयक इतना महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार इस मॉब लिंचिंग विरोधी विधेयक को संसद में लाए और इसे पूरे देश में लागू करें. यह देश के लोगों को लिंचिंग से बचाएगा. इसके अलावा, ऐसे उदाहरण भी हैं. जहां कुछ राजनीतिक संबंध रखने वाले सतर्क लोगों के कारण हिंसा हुई है. यह विधेयक भीड़ को प्रोत्साहित करने के दोषी पाए गए राजनीतिक नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान कर सकता है.

लिंचिंग की सजा अत्यधिक दंडनीय होनी चाहिए, कम से कम आजीवन कारावास और उसके साथ-साथ भारी जुर्माने होनी चाहिए. साथ ही पीड़ितों को और उनके परिवार को हुए नुकसान के दिए जाने वाले मुआवजे की मात्रा निर्धारित करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए, जैसे न्याय तक बेहतर पहुंच, पीड़ितों के मुफ्त चिकित्सा उपचार, मुफ्त कानूनी सहायता जैसी चीज़ों को प्रणाली का हिस्सा बनाया जाना चाहिए.

इसे भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ विधेयक पारित, उम्रकैद की सजा का प्रावधान

दो दिन पहले ही एएमयू छात्रों ने मॉब लिंचिंग की घटानों पर रोक लगाने के लिए प्रोटेस्ट किया था. और मांग की थी कि केन्द्र सरकार माब लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून लाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लिंचिंग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने के निर्देश दिए थे. वहीं झारखंड राज्य सरकार ने लिंचिंग की घटनाओं को लेकर विधान सभा से कानून पारित कर दिया है.

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