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AMU के छात्रों ने बनाया कंस्ट्रेटर, हवा के नाइट्रोजन से बनाएगी ऑक्सीजन

कोरोना मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए अलीगढ़ में एएमयू (AMU) के छात्रों ने ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर बनाया है. इसकी मदद से हवा में उपस्थित नाइट्रोजन को ऑक्सीजन में बदला जा सकता है.

हवा से ऑक्सीजन.
हवा से ऑक्सीजन.
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Published : May 7, 2021, 7:04 PM IST

अलीगढ़: ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे देश के लिए एएमयू (AMU) के इंजीनियरिंग के छात्रों ने ऐसा यंत्र बनाया है, जिससे हवा से 91 प्रतिशत ऑक्सीजन बनाई जा सकेगी. कोरोना मरीजों के लिए यह यंत्र संजीवनी की तरह काम कर रहा है. जिला कोविड अस्पताल में इसका परीक्षण भी किया जा चुका है. इसमें प्रयोग होने वाले जियोलाइट मटेरियल की कमी इंजीनियरिंग के छात्रों को परेशान कर रही है. हांलाकि बिजली की मदद से चलने वाली ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर से 91 प्रतिशत से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा की जा रही है.

रिपोर्ट.

PSA तकनीक से अलग करते हैं नाइट्रोजन

ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय से पढ़े 5 इंजीनियरों की टीम ने ऑक्सीजन बनाने का एक कामयाब कंस्ट्रेटर बनाया है. जो हवा में मौजूद 21 प्रतिशत ऑक्सीजन को सीधे 91 प्रतिशत ऑक्सीजन में कंनवर्ट कर देती है. यह प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (PSA) तकनीक पर काम करता है. हवा में मौजूद 78 प्रतिशत नाइट्रोजन को ऑक्सीजन से अलग करती है और 21 प्रतिशत ऑक्सीजन को 91 प्रतिशत तक बढ़ा देता है. इसमें महत्वपूर्ण एलीमेंट जियोलाइट है जो नाइट्रोजन को रोक कर ऑक्सीजन पैदा करती है.

इसे भी पढ़ें- "मैं आप से क्षमा चाहता हूं" कहकर सीओ ने क्यों जोड़े हाथ...देखें वीडियो

कोविड अस्पतालों में टेस्ट रहा कामयाब

छात्रों के द्वारा दीन दयाल कोविड अस्पताल समेत कई मरीजों पर इसका कामयाब प्रयोग किया जा चुका हैं. इंजीनियर मोहम्मद हमजा ने बताया कि ये एक फिल्टर तकनीक है. जो मरीज के लिए जरुरत के हिसाब से ऑक्सीजन पैदा करता है. जियोलाइट बेस फिल्टर करता है. जिसमें नाइट्रोजन को अलग कर मरीज तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है. उन्होंने बताया कि डिवाइस बना लिया है, लेकिन इसमें इस्तेमाल होने वाला मटेरियल जियोलाइट की कमी है. प्रशासन अगर जियोलाइट उपलब्ध करा दें तो ज्यादा से ज्यादा बना कर इसे मरीज को उपलब्ध कराया जा सकता है.

क्या है जियोलाइट मटेरियल

यह एक सूक्ष्मरंध्रीय अलुमिनोसिलिकेट खनिज हैं जो अधिशोष के रूप में प्रयुक्त होते हैं. यह बहुत अधिक मात्रा में भाप उत्पन्न करता है.

अलीगढ़: ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे देश के लिए एएमयू (AMU) के इंजीनियरिंग के छात्रों ने ऐसा यंत्र बनाया है, जिससे हवा से 91 प्रतिशत ऑक्सीजन बनाई जा सकेगी. कोरोना मरीजों के लिए यह यंत्र संजीवनी की तरह काम कर रहा है. जिला कोविड अस्पताल में इसका परीक्षण भी किया जा चुका है. इसमें प्रयोग होने वाले जियोलाइट मटेरियल की कमी इंजीनियरिंग के छात्रों को परेशान कर रही है. हांलाकि बिजली की मदद से चलने वाली ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर से 91 प्रतिशत से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा की जा रही है.

रिपोर्ट.

PSA तकनीक से अलग करते हैं नाइट्रोजन

ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय से पढ़े 5 इंजीनियरों की टीम ने ऑक्सीजन बनाने का एक कामयाब कंस्ट्रेटर बनाया है. जो हवा में मौजूद 21 प्रतिशत ऑक्सीजन को सीधे 91 प्रतिशत ऑक्सीजन में कंनवर्ट कर देती है. यह प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (PSA) तकनीक पर काम करता है. हवा में मौजूद 78 प्रतिशत नाइट्रोजन को ऑक्सीजन से अलग करती है और 21 प्रतिशत ऑक्सीजन को 91 प्रतिशत तक बढ़ा देता है. इसमें महत्वपूर्ण एलीमेंट जियोलाइट है जो नाइट्रोजन को रोक कर ऑक्सीजन पैदा करती है.

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कोविड अस्पतालों में टेस्ट रहा कामयाब

छात्रों के द्वारा दीन दयाल कोविड अस्पताल समेत कई मरीजों पर इसका कामयाब प्रयोग किया जा चुका हैं. इंजीनियर मोहम्मद हमजा ने बताया कि ये एक फिल्टर तकनीक है. जो मरीज के लिए जरुरत के हिसाब से ऑक्सीजन पैदा करता है. जियोलाइट बेस फिल्टर करता है. जिसमें नाइट्रोजन को अलग कर मरीज तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है. उन्होंने बताया कि डिवाइस बना लिया है, लेकिन इसमें इस्तेमाल होने वाला मटेरियल जियोलाइट की कमी है. प्रशासन अगर जियोलाइट उपलब्ध करा दें तो ज्यादा से ज्यादा बना कर इसे मरीज को उपलब्ध कराया जा सकता है.

क्या है जियोलाइट मटेरियल

यह एक सूक्ष्मरंध्रीय अलुमिनोसिलिकेट खनिज हैं जो अधिशोष के रूप में प्रयुक्त होते हैं. यह बहुत अधिक मात्रा में भाप उत्पन्न करता है.

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