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दो डॉक्टरों को पद से हटाने पर AMU प्रशासन की सफाई, कहा- लीव वैकेंसी का था मामला

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में दो डॉक्टरों को पद से हटाए जाने को लेकर एएमयू प्रशासन ने सफाई दी है. विश्वविद्यालय के जनसंपर्क विभाग के पीआरओ उमर पीरजादा ने कहा कि, ये मामला लीव वैकेंसी का मामला है. इसके पीछे और कोई वजह नहीं है.

AMU प्रशासन की सफाई
AMU प्रशासन की सफाई
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Published : Oct 22, 2020, 1:36 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में तैनात दो डॉक्टरों को हटाए जाने को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपना पक्ष रखा है. एएमयू के जनसंपर्क विभाग की तरफ से कहा गया है कि दोनों डॉक्टरों की नियुक्ति लीव वैकेंसी पर की गई थी और दोनों का कार्यकाल 8 अक्टूबर को पूरा हो गया था. परिस्थितियों के चलते इन डॉक्टर्स ने कुछ मेडिकोलीगल दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे.

जनसंपर्क विभाग के पीआरओ उमर पीरजादा
दरअसल बीते दिनों हाथरस कांड की जांच के सिलसिले में सीबीआई की टीम जेएन मेडिकल कॉलेज आयी थी. जिसके बाद सीएमओ डॉ. अजीमुद्दीन मलिक और डॉ उबैद इम्तियाज को हटा दिया गया था. ऐसे में डॉक्टरों को पद से हटाए जाने के मामले को हाथरस कांड से जोड़ कर देखा जा रहा था. जिसके बाद एएमयू प्रशासन ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है.

एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय ने दी सफाई
जनसंपर्क विभाग के पीआरओ उमर पीरजादा ने बताया कि दोनों डॉक्टरों को ना तो सस्पेंड किया गया है नहीं टर्मिनेट किया गया है. यह लीव वैकेंसी का मामला है. डॉक्टरों को हटाए जाने का हाथरस मामले से कोई संबंध नहीं है. मंगलवार को अचानक दो डाक्टरों को हटाये जाने से एएमयू का मेडिकल कॉलेज चर्चा में आ गया. जिसके बाद अब एएमयू प्रशासन की तरफ से पूरे मामले को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई है.

एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय की तरफ से कहा गया कि किसी भी डॉक्टर की कोई शिकायत होती है, तो उस पर विचार किया जाता है. इस संबंध में कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज ने एक रिकमेंडेशन भेजा है जो प्रोसेस में है. जेएन मेडिकल कॉलेज में जो पद खाली हैं उस पर सेलेक्शन कमेटी गठित की जा रही है. चर्चा ये भी है हटाये गये डॉक्टरों के सेवा विस्तार मिल सकता है.

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में तैनात दो डॉक्टरों को हटाए जाने को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपना पक्ष रखा है. एएमयू के जनसंपर्क विभाग की तरफ से कहा गया है कि दोनों डॉक्टरों की नियुक्ति लीव वैकेंसी पर की गई थी और दोनों का कार्यकाल 8 अक्टूबर को पूरा हो गया था. परिस्थितियों के चलते इन डॉक्टर्स ने कुछ मेडिकोलीगल दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे.

जनसंपर्क विभाग के पीआरओ उमर पीरजादा
दरअसल बीते दिनों हाथरस कांड की जांच के सिलसिले में सीबीआई की टीम जेएन मेडिकल कॉलेज आयी थी. जिसके बाद सीएमओ डॉ. अजीमुद्दीन मलिक और डॉ उबैद इम्तियाज को हटा दिया गया था. ऐसे में डॉक्टरों को पद से हटाए जाने के मामले को हाथरस कांड से जोड़ कर देखा जा रहा था. जिसके बाद एएमयू प्रशासन ने इस मामले में अपना पक्ष रखा है.

एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय ने दी सफाई
जनसंपर्क विभाग के पीआरओ उमर पीरजादा ने बताया कि दोनों डॉक्टरों को ना तो सस्पेंड किया गया है नहीं टर्मिनेट किया गया है. यह लीव वैकेंसी का मामला है. डॉक्टरों को हटाए जाने का हाथरस मामले से कोई संबंध नहीं है. मंगलवार को अचानक दो डाक्टरों को हटाये जाने से एएमयू का मेडिकल कॉलेज चर्चा में आ गया. जिसके बाद अब एएमयू प्रशासन की तरफ से पूरे मामले को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई है.

एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय की तरफ से कहा गया कि किसी भी डॉक्टर की कोई शिकायत होती है, तो उस पर विचार किया जाता है. इस संबंध में कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज ने एक रिकमेंडेशन भेजा है जो प्रोसेस में है. जेएन मेडिकल कॉलेज में जो पद खाली हैं उस पर सेलेक्शन कमेटी गठित की जा रही है. चर्चा ये भी है हटाये गये डॉक्टरों के सेवा विस्तार मिल सकता है.

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