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यहां अंग्रेजों के जमाने की तकनीक से होती है आंखों की जांच, जानिए डार्क रूम की खासियत

अलीगढ़ रेलवे अस्पताल में अंग्रेजों के जमाने वाली तकनीक से आंखों की टेस्टिंग होती है. डॉक्टरों का मानना है कि इस तकनीक से सटीक जांच होती है. अस्पताल में अंग्रेजों के समय का बना हुआ डार्क रूम है, जहा रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों की आंखों का टेस्ट होता है.

अलीगढ़
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Published : Jun 25, 2021, 5:16 AM IST

अलीगढ़ : आंखों की जांच के लिए आज आधुनिक डिजिटल मशीनें मौजूद है, लेकिन रेलवे अस्पताल की जांच विधि के सामने डिजिटल मशीनों का कोई मायने नहीं है. आज भी रेलवे के अस्पताल में अंग्रेजों के जमाने वाली तकनीक से आंखों की टेस्टिंग होती है. डॉक्टर का कहना है कि इस तकनीक से कोई चूक नहीं होती है. अलीगढ़ के रेलवे अस्पताल में अंग्रेजों के जमाने की आंख की जांच विधि और तकनीक दोनों ही मौजूद है., जो कि आज के समय में मिलना दुर्लभ है. आंखों की जांच के लिए डार्क रूम बनाया गया है और यहीं पर ही रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों की आंखों का टेस्ट होता है.

आंखों के विजन का टेस्ट अंग्रेजों के जमाने की तकनीक से हो रहा है

डार्क रुम में होता है आंखों के विजन का टेस्ट

आधुनिकता के दौर में डिजिटल तकनीक का विकास हो चुका है, लेकिन क्या आप ने सोचा है कि ट्रेन ड्राइवर, लोको पायलट, गार्ड, केविन गार्ड की आंखों की जांच कैसे होती है ? यह लोग रात के अंधेरे में आम आदमी से बेहतर देख समझ सकते हैं. इस राज को डार्करुम में ही समझा जा सकता है. रेलवे अस्पताल को संभालने वाले एसीएमएस डॉ. आलोक सुमन देव ने बताया कि रेलवे कर्मचारियों की आंखों की जांच डार्क रूम में किया जाता है. अंग्रेजों के जमाने की तकनीक आज भी रेलवे के मैनुअल में शामिल है. डार्क रूप में आंखों की जांच करते समय भटकाव नहीं होता है. रात के अंधेरे में भी ड्राइवर और गार्ड को ट्रेन लेकर चलना होता है और सैकड़ों सवारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं के ऊपर होती है. ऐसे में अगर कोई चूक हुई. तो यात्रियों की जान को खतरा हो जाता है. डार्क रूम में आंखों की जांच बिल्कुल एक्यूरेट होती है.

डार्क रूम में किसकी जांच होती है

रेलवे अस्पताल में एसीएमएस डॉ. आलोक सुमन ने बताया कि डार्क रूम रेलवे कर्मचारियों के लिए है और इसमें 3 वर्ग के कर्मचारी शामिल है. यह वर्ग A1, A2 और A3 कर्मचारियों में बांटा किया गया है. A1 में ट्रेन ड्राइवर, A2 में गार्ड, स्टेशन मास्टर, पॉइंट मैन, केबिन मैन की आंख की जांच होती है. A3 में टेक्नीशियन और गैंगमैन की आंखों की जांच होती है.

डार्क रूम
डार्क रूम

डार्क रूम क्या है

अधिकतर रेलवे परिसर में अंग्रेजों के जमाने की बिल्डिंग और इंजन देखने को ही मिलता है, लेकिन अलीगढ़ के रेलवे अस्पताल में नई चीज देखने को मिली. जो कि अंग्रेजों के समय का बना हुआ डार्क रूम है. इस कमरे के बाहर ही डार्क रूम लिखा हुआ है. अंदर घुसते ही आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है. इस कमरे की छत, दीवार और फर्ज काली होने की वजह से कुछ नजर नहीं आता. दिखाई देता है तो बस कुछ लाइट वाले पॉइंट, जिसे देखकर समझना आसान नहीं होता.

रेलवे के मैनुअल से होता है ट्रीटमेंट

डॉक्टर आलोक सुमन बताते हैं कि रेलवे कर्मचारियों की आंखों का विजन टेस्ट डार्क रूम में किया जाता है. अगर किसी को नाइट ब्लाइंडनेस है या आंखों की कोई कमजोरी है. तो इस तकनीक से क्लियर हो जाता है. उन्होंने बताया कि यहां रेलवे के मैनुअल से ही मेडिकल ट्रीटमेंट शामिल है. दीवारों को काला इसलिए किया है कि कम रोशनी में अधिक ढंग से देखने की जांच हो पाती है.

aligarh railway hospital
डार्क रूम
फोटो बनाने के लिए डार्क रूम का इस्तेमाल किया

उन्होंने बताया कि डिजिटल मशीन आने के बाद भी आंखों के विजन का टेस्ट अंग्रेजों के जमाने की तकनीक से हो रहा है. डे लाइट में आंखों की कमजोरी क्लियर नहीं हो पाती है. वहीं डार्क रूम में एक्यूरेट जांच होती है. डॉक्टर ने बताया कि वें पिछले 8 सालों से यहां काम कर रहे हैं. काफी समय से यह तकनीक रेलवे में इस्तेमाल में लाई जा रही है और यहां आंखों की एक्यूरेट जांच होती है. हालांकि एक समय था जब फोटो बनाने के लिए डार्क रूम का इस्तेमाल किया जाता था. जो डिजीटल तकनीक आने के बाद अब खत्म हो चुका है, लेकिन रेलवे के अस्पताल में डार्क रूम में ही आंखों के विजन का टेस्ट होता है.

अलीगढ़ : आंखों की जांच के लिए आज आधुनिक डिजिटल मशीनें मौजूद है, लेकिन रेलवे अस्पताल की जांच विधि के सामने डिजिटल मशीनों का कोई मायने नहीं है. आज भी रेलवे के अस्पताल में अंग्रेजों के जमाने वाली तकनीक से आंखों की टेस्टिंग होती है. डॉक्टर का कहना है कि इस तकनीक से कोई चूक नहीं होती है. अलीगढ़ के रेलवे अस्पताल में अंग्रेजों के जमाने की आंख की जांच विधि और तकनीक दोनों ही मौजूद है., जो कि आज के समय में मिलना दुर्लभ है. आंखों की जांच के लिए डार्क रूम बनाया गया है और यहीं पर ही रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों की आंखों का टेस्ट होता है.

आंखों के विजन का टेस्ट अंग्रेजों के जमाने की तकनीक से हो रहा है

डार्क रुम में होता है आंखों के विजन का टेस्ट

आधुनिकता के दौर में डिजिटल तकनीक का विकास हो चुका है, लेकिन क्या आप ने सोचा है कि ट्रेन ड्राइवर, लोको पायलट, गार्ड, केविन गार्ड की आंखों की जांच कैसे होती है ? यह लोग रात के अंधेरे में आम आदमी से बेहतर देख समझ सकते हैं. इस राज को डार्करुम में ही समझा जा सकता है. रेलवे अस्पताल को संभालने वाले एसीएमएस डॉ. आलोक सुमन देव ने बताया कि रेलवे कर्मचारियों की आंखों की जांच डार्क रूम में किया जाता है. अंग्रेजों के जमाने की तकनीक आज भी रेलवे के मैनुअल में शामिल है. डार्क रूप में आंखों की जांच करते समय भटकाव नहीं होता है. रात के अंधेरे में भी ड्राइवर और गार्ड को ट्रेन लेकर चलना होता है और सैकड़ों सवारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं के ऊपर होती है. ऐसे में अगर कोई चूक हुई. तो यात्रियों की जान को खतरा हो जाता है. डार्क रूम में आंखों की जांच बिल्कुल एक्यूरेट होती है.

डार्क रूम में किसकी जांच होती है

रेलवे अस्पताल में एसीएमएस डॉ. आलोक सुमन ने बताया कि डार्क रूम रेलवे कर्मचारियों के लिए है और इसमें 3 वर्ग के कर्मचारी शामिल है. यह वर्ग A1, A2 और A3 कर्मचारियों में बांटा किया गया है. A1 में ट्रेन ड्राइवर, A2 में गार्ड, स्टेशन मास्टर, पॉइंट मैन, केबिन मैन की आंख की जांच होती है. A3 में टेक्नीशियन और गैंगमैन की आंखों की जांच होती है.

डार्क रूम
डार्क रूम

डार्क रूम क्या है

अधिकतर रेलवे परिसर में अंग्रेजों के जमाने की बिल्डिंग और इंजन देखने को ही मिलता है, लेकिन अलीगढ़ के रेलवे अस्पताल में नई चीज देखने को मिली. जो कि अंग्रेजों के समय का बना हुआ डार्क रूम है. इस कमरे के बाहर ही डार्क रूम लिखा हुआ है. अंदर घुसते ही आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है. इस कमरे की छत, दीवार और फर्ज काली होने की वजह से कुछ नजर नहीं आता. दिखाई देता है तो बस कुछ लाइट वाले पॉइंट, जिसे देखकर समझना आसान नहीं होता.

रेलवे के मैनुअल से होता है ट्रीटमेंट

डॉक्टर आलोक सुमन बताते हैं कि रेलवे कर्मचारियों की आंखों का विजन टेस्ट डार्क रूम में किया जाता है. अगर किसी को नाइट ब्लाइंडनेस है या आंखों की कोई कमजोरी है. तो इस तकनीक से क्लियर हो जाता है. उन्होंने बताया कि यहां रेलवे के मैनुअल से ही मेडिकल ट्रीटमेंट शामिल है. दीवारों को काला इसलिए किया है कि कम रोशनी में अधिक ढंग से देखने की जांच हो पाती है.

aligarh railway hospital
डार्क रूम
फोटो बनाने के लिए डार्क रूम का इस्तेमाल किया

उन्होंने बताया कि डिजिटल मशीन आने के बाद भी आंखों के विजन का टेस्ट अंग्रेजों के जमाने की तकनीक से हो रहा है. डे लाइट में आंखों की कमजोरी क्लियर नहीं हो पाती है. वहीं डार्क रूम में एक्यूरेट जांच होती है. डॉक्टर ने बताया कि वें पिछले 8 सालों से यहां काम कर रहे हैं. काफी समय से यह तकनीक रेलवे में इस्तेमाल में लाई जा रही है और यहां आंखों की एक्यूरेट जांच होती है. हालांकि एक समय था जब फोटो बनाने के लिए डार्क रूम का इस्तेमाल किया जाता था. जो डिजीटल तकनीक आने के बाद अब खत्म हो चुका है, लेकिन रेलवे के अस्पताल में डार्क रूम में ही आंखों के विजन का टेस्ट होता है.

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