अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें ग्रामीणों के साथ गैस बाटलिंग प्लांट के ड्राइवर और कर्मी भी शामिल है. वहीं घटना में 17 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. जो जेएन मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में भर्ती है. हालांकि, डीएम चंद्र भूषण सिंह ने अभी तक 25 लोगों के मरने की पुष्टि की है. शनिवार को अलीगढ़ के सांसद और जिलाधिकारी के बीच मरने वालों के संख्या में तालमेल नहीं था. अलीगढ़ जिला प्रशासन शराब कांड का सच दबाने में जुटा है. शराब कांड में अब तक मरने वालों का आंकड़ा छिपा रहा है. पोस्टमार्टम पर देर रात तक 48 शव पहुंच चुके थे. हालांकि मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ सकती है.
17 लोगों की हालत गंभीर
गुरुवार रात से शुरू हुआ मौतों का सिलसिला अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसमें अंडला स्थित एचपी बॉटलिंग प्लांट के टैंकर चालक सहित 55 लोगों की मौत हो चुकी है. बता दें कि यह संख्या और भी बढ़ सकती है. जिला चिकित्सालय और मेडिकल कॉलेज में भी 17 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है. अलीगढ़ के थाना लोधा, खैर, जवां, टप्पल, पिसावा इलाकों में अलग-अलग क्षेत्रों से देसी शराब खरीदी गई थी.
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प्रशासन ने नहीं लिया था मामले का संज्ञान
शराब माफियाओं को रोकने में आबकारी विभाग नाकाम साबित रहा. अवैध शराब रोकने के लिए प्रशासन ने कोई अभियान नहीं चलाया था. करसुआ और कई जगह सरकारी ठेकों का ग्रामीणों ने विरोध किया था. खासतौर से महिलाओं ने ठेका हटाने को आवाज उठाई थी. लेकिन जिला प्रशासन ने इसे अनसुना कर दिया. आबकारी विभाग के कुछ सरकारी ठेके ऐसे थे. जो ज्यादा से ज्यादा राजस्व दे रहे थे. जिसके चलते ग्रामीणों के विरोध को हल्के में लिया गया और इससे सरकारी शराब के ठेकेदारों के हौसले बढ़ गये. एक महीने पहले करसुआ गांव में पुष्पेंद्र की मौत भी इसी ठेके की देशी शराब खरीद कर पीने से हुई थी. पुष्पेंद्र की मौत के बाद बहन सुषमा ने आबकारी अधिकारियों से शिकायत की थी. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अगर उस समय सुषमा की शिकायत को संज्ञान में लिया होता. तो आज जहरीली शराब से लोगों की मौत नहीं होती.
अवैध शराब मुनाफे का धंधा
जहरीली शराब बेचने के आरोप में मौत की सजा तक का कानून है. जिन सरकारी ठेकों से सरकार को राजस्व का मुनाफा होता है. उसी सरकारी ठेके से जहर बांटा गया. अवैध शराब का धंधा लोगों को मुनाफा कराता है. इसलिए इसमें शराब माफिया, पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे लोगों के जीवन से खिलवाड़ करते है. शराब माफियाओं का भी एक सिंडिकेट है. जो अलग-अलग सरकारी शराब के ठेकेदार से जुड़ा होता हैं. इन सभी ठेकों पर नकली शराब की आपूर्ति एक सिंडिकेट करता है. शराब बिकने पर बड़ा मुनाफा होता है और ठेकेदार को कमीशन के तौर पर कुछ धनराशि दे दी जाती है.
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शराब माफिया खपा रहे थे मिलावटी शराब
सरकारी ठेका शराब के जिस सेंटर से ज्यादा बिक्री होती है. वहां सप्लाई भी बढ़ जाती है. हालांकि आबकारी विभाग को अपना राजस्व बढ़ाने की फिक्र होती है. ऐसे में वह शराब की क्वालिटी चेक करने के चक्कर में नहीं पड़ते और फिर मिलावटी शराब के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलाते हैं. अलीगढ़ पुलिस ने 3 शराब कारोबारी को पूरी घटना के लिए जिम्मेदार माना है. जिसमें अनिल चौधरी, ऋषि शर्मा, विपिन यादव शामिल हैं. अनिल चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया है. वही ऋषि शर्मा और विपिन यादव फरार हैं. जिन पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है. जिला प्रशासन के अनुसार सरकारी ठेकों पर ही शराब माफियाओं द्वारा मिलावटी शराब को खपाया जा रहा था.
स्थानीय प्रशासन शराब माफिया पर चोट नहीं कर पायें
शराब तस्करों के धंधे का नेटवर्क बहुत मजबूत है. अलीगढ़ में हरियाणा से भारी मात्रा में शराब की तस्करी होती है. हरियाणा से लगे हामिदपुर टप्पल बॉर्डर से तस्करी का धंधा होता है. यहीं से शराब की तस्करी दूसरी जगह तक पहुंचाई जाती है. इसी टप्पल गांव से सटा हुआ खैर का इलाका है. जो मिलावटी शराब के कारोबार का अवैध गढ़ बन गया. ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन और आबकारी विभाग इसे नहीं जानता हो. लेकिन इस अवैध कारोबार के मुनाफे के धंधे पर आबकारी विभाग चोट नहीं पहुंचा पाया. अधिकारी पंचायत चुनाव और कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में व्यस्त रहें. वहीं, बेखौफ शराब माफिया मिलावटी शराब बनाने के काम में जुटे रहे और सरकारी शराब के ठेके से जहर की खुराक बांट दी गई.
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संपत्ति जब्त करने का आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना को संज्ञान में लेते हुए आरोपियों के खिलाफ एनएसए व संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है. डीएम चंद्र भूषण सिंह ने बताया कि अब तक 4 सरकारी ठेके सील कर दिये गये हैं. एडीएम प्रशासन द्वारा घटना की मजिस्ट्रेटी जांच कराई जा रही है. 15 दिन में एडीएम प्रशासन डीपी पाल से जांच की आख्या मांगी गई है. वहीं मजिस्ट्रेटी जांच में एडीएम प्रशासन डीपी पाल ने जिला आबकारी अधिकारी, खैर व कोल के एसडीएम, क्षेत्राधिकारी गभाना और 3 इंस्पेक्टर को नोटिस जारी किया गया है.
विपिन यादव सहित 16 आरोपी गिरफ्तार
शराब कांड के 50 हजार रुपये के इनामी आरोपी विपिन यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. विपिन की निशानदेही पर पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है. हालांकि विपिन को कहा से गिरफ्तार किया है, पुलिस ने इसका खुलासा नहीं किया है. 50 हजार रुपये का दूसरा इनामी आरोपी ऋषि शर्मा अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है. पुलिस ने रविवार को 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं अब तक कुल 16 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस की 6 टीमें लगी हैं. आरोपियों के बयान के आधार पर दबिश का सिलसिला जारी है. वहीं शराब कांड के आरोपी अनिल चौधरी और नरेन्द्र को न्यायालय से तीन दिन की पुलिस कस्टडी स्वीकृत की गई है.
शराब कांड में अब तक गिरफ्तार आरोपी
- नरेन्द्र पुत्र दिगपाल
- अजय पुत्र वीरपाल सिंह
- गंगा सहाय पुत्र रवेन्द्रपाल
- अनिल चौधरी पुत्र किरन सिंह
- कपिल शर्मा पुत्र रामप्रकाश
- रेनू शर्मा पत्नी ऋषि शर्मा
- विवेक कुमार पुत्र सतपाल
- सोनू शर्मा पुत्र भोजराज
- नीरज शर्मा पुत्र भोजराज
- अजय चौधरी पुत्र सौदान सिंह
- दिगपाल
- गंगाराम
- राजकुमार
- दिलीप दुबे
- अरुण शर्मा
- विपिन यादव