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आगरा: यूपी सरकार करेगी 1427 शिक्षकों से 900 करोड़ रुपये की वसूली

सरकार ने प्रदेशभर में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की बीएड की मार्कशीट और डिग्री से नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. अब इन शिक्षकों से वेतन की रिकवरी की तैयारी है. ऐसे में 900 करोड़ रुपये की वेतन वसूली के लिए हर जिले में बीएसए की ओर से नोटिस जारी किए जा रहे हैं.

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फाइल फोटो.
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Published : Jul 11, 2020, 3:20 PM IST

आगरा: प्रदेश में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है. बीएड फर्जीवाड़ा पहले ही विश्वविद्यालय की खूब किरकिरी करा चुका है. एसआईटी ने बीएड सत्र 2004-05 के 4766 रोल नंबर जांच के दायरे में लिए थे, जिसमें विश्वविद्यालय कर्मचारी और महाविद्यालय संचालकों की कारस्तानी का खुलासा हुआ था. अब योगी सरकार ने फर्जी, फेक और टेंपर्ड डिग्री से नौकरी पाने वाले 2824 शिक्षकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिसमें से 930 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. वहीं, 497 के खिलाफ कार्रवाई चल रही है. सरकार ने 1427 शिक्षकों से वेतन वसूली की तैयारी की है, जिसकी रकम करीब 900 करोड़ रुपये है.

बीएड फर्जीवाड़ा के मामले हो रही कार्रवाई.

सरकार ने अब प्रदेशभर में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की बीएड की मार्कशीट और डिग्री से नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. अब इन शिक्षकों से वेतन की रिकवरी की तैयारी है. एक शिक्षक से करीबन 63 लाख रुपये की वसूली की जानी है. ऐसे में 900 करोड़ रुपये की वेतन वसूली के लिए हर जिले में बीएसए की ओर से नोटिस जारी किए जा रहे हैं.

हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव रिटायर्ड ले. कर्नल डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि एसआईटी की जांच में करीब चार हजार से ज्यादा रोल नंबर को फेक, टेंपर्ड और डुप्लीकेट कैटेगरी में डाला था. विश्वविद्यालय में फेक कैटेगरी के स्टूडेंट्स को एक मौका दिया और उनसे प्रत्यावेदन मांगे थे. 814 छात्र ने प्रत्यावेदन दिए हैं. हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2020 को विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि प्रत्यावेदन देने वाले 814 छात्र के मामले में तीन महीने में जांच करके स्पष्टिकरण दिया जाए. साथ ही 1084 छात्र, जिन्हें टेंपर्ड कैटेगरी में रखा गया है उनके बारे में विश्वविद्यालय को छह महीने में निर्णय लेना है.

19 बिंदुओं के प्रत्यावेदन और रिकॉर्ड की जांच जारी
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव रिटायर्ड ले. कर्नल डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि फेक सूची के 814 स्टूडेंट्स से 19 बिंदुओं पर प्रत्यावेदन मांगे गए थे. सभी स्टूडेंट्स के प्रत्यावेदन और विश्वविद्यालय में मौजूद रिकॉर्ड से जांच की जा रही है, जो 15 जुलाई तक पूरी होगी. टेंपर्ड सूची के 1084 स्टूडेंट्स के मामले में जांच करके 15 सितंबर 2020 तक विश्वविद्यालय को निर्णय लेना है.

वेतन की वसूली की जाएगी
एसआईटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि आगरा में 249 शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेज से नौकरी पाई है, जिनमें से 24 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया और बाकी शिक्षकों ने विश्वविद्यालय में प्रार्थना पत्र देकर डिग्री को असली बताया है. वहीं, आगरा बीएसए राजीव यादव ने बर्खास्त 24 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर शाहगंज थाने में दर्ज कराई है. आरोपी शिक्षकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है. यह शिक्षक कई साल से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे थे.

डॉ. प्रभात कुमार ने छेड़ी थी मुहिम
फर्जी दस्तावेज से शिक्षक बने अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए साल 2018 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार ने मुहिम शुरू की थी, जिसके तहत उन्होंने सभी जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी. जिलाधिकारियों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली और मामला दब गया.

बिंदुवार बीएड फर्जीवाड़ा मामला

  • सत्र 2004-05 में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 84 महाविद्यालयों ने बीएड की पढ़ाई के लिए छात्रों ने दाखिला लिया था.
  • साल 2006 में विश्वविद्यालय ने बीएड का परीक्षा परिणाम घोषित किया था.
  • साल 2013 में फर्जी डिग्री के खेल को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई.
  • साल 2013 में एसआईटी ने बीएड फर्जीवाड़े की जांच शुरू की गई.
  • साल 2017 में एसआईटी ने विश्वविद्यालय को फर्जी रोल नंबर की सूची सौंपी.
  • साल 2019 में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने डिग्री निरस्त करने का फैसला लिया.
  • साल 2020 में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने एसआईटी की जांच पर डिग्री को फेक माना.

बीएड फर्जीवाड़े से जुड़े अहम आंकड़े

  • 4767 रोल नंबर एसआईटी की सूची में हैं.
  • 3637 रोल नंबर फेक के दायरे में आए हैं.
  • 1084 रोल नंबर टेंपर्ड के दायरे में आए हैं.
  • 45 रोल नंबर डुप्लीकेट के दायरे में आए हैं.

विश्वविद्यालय द्वारा जारी आंकड़े

  • 814 प्रति उत्तर फेक सूची में शामिल रोल नंबर पर मिले हैं.
  • 487 प्रति उत्तर टेंपर्ड सूची में शामिल रोल नंबर पर मिले हैं.
  • 6 प्रति उत्तर डुप्लीकेट सूची में शामिल रोल नंबर पर मिले हैं.

आगरा: प्रदेश में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में है. बीएड फर्जीवाड़ा पहले ही विश्वविद्यालय की खूब किरकिरी करा चुका है. एसआईटी ने बीएड सत्र 2004-05 के 4766 रोल नंबर जांच के दायरे में लिए थे, जिसमें विश्वविद्यालय कर्मचारी और महाविद्यालय संचालकों की कारस्तानी का खुलासा हुआ था. अब योगी सरकार ने फर्जी, फेक और टेंपर्ड डिग्री से नौकरी पाने वाले 2824 शिक्षकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिसमें से 930 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. वहीं, 497 के खिलाफ कार्रवाई चल रही है. सरकार ने 1427 शिक्षकों से वेतन वसूली की तैयारी की है, जिसकी रकम करीब 900 करोड़ रुपये है.

बीएड फर्जीवाड़ा के मामले हो रही कार्रवाई.

सरकार ने अब प्रदेशभर में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की बीएड की मार्कशीट और डिग्री से नौकरी पाने वाले शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. अब इन शिक्षकों से वेतन की रिकवरी की तैयारी है. एक शिक्षक से करीबन 63 लाख रुपये की वसूली की जानी है. ऐसे में 900 करोड़ रुपये की वेतन वसूली के लिए हर जिले में बीएसए की ओर से नोटिस जारी किए जा रहे हैं.

हाईकोर्ट ने दिए निर्देश
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव रिटायर्ड ले. कर्नल डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि एसआईटी की जांच में करीब चार हजार से ज्यादा रोल नंबर को फेक, टेंपर्ड और डुप्लीकेट कैटेगरी में डाला था. विश्वविद्यालय में फेक कैटेगरी के स्टूडेंट्स को एक मौका दिया और उनसे प्रत्यावेदन मांगे थे. 814 छात्र ने प्रत्यावेदन दिए हैं. हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल 2020 को विश्वविद्यालय को निर्देश दिए कि प्रत्यावेदन देने वाले 814 छात्र के मामले में तीन महीने में जांच करके स्पष्टिकरण दिया जाए. साथ ही 1084 छात्र, जिन्हें टेंपर्ड कैटेगरी में रखा गया है उनके बारे में विश्वविद्यालय को छह महीने में निर्णय लेना है.

19 बिंदुओं के प्रत्यावेदन और रिकॉर्ड की जांच जारी
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव रिटायर्ड ले. कर्नल डॉ. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि फेक सूची के 814 स्टूडेंट्स से 19 बिंदुओं पर प्रत्यावेदन मांगे गए थे. सभी स्टूडेंट्स के प्रत्यावेदन और विश्वविद्यालय में मौजूद रिकॉर्ड से जांच की जा रही है, जो 15 जुलाई तक पूरी होगी. टेंपर्ड सूची के 1084 स्टूडेंट्स के मामले में जांच करके 15 सितंबर 2020 तक विश्वविद्यालय को निर्णय लेना है.

वेतन की वसूली की जाएगी
एसआईटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि आगरा में 249 शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेज से नौकरी पाई है, जिनमें से 24 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया और बाकी शिक्षकों ने विश्वविद्यालय में प्रार्थना पत्र देकर डिग्री को असली बताया है. वहीं, आगरा बीएसए राजीव यादव ने बर्खास्त 24 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर शाहगंज थाने में दर्ज कराई है. आरोपी शिक्षकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 468 और 471 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है. यह शिक्षक कई साल से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे थे.

डॉ. प्रभात कुमार ने छेड़ी थी मुहिम
फर्जी दस्तावेज से शिक्षक बने अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए साल 2018 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार ने मुहिम शुरू की थी, जिसके तहत उन्होंने सभी जिला अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी थी. जिलाधिकारियों ने इसमें कोई रुचि नहीं ली और मामला दब गया.

बिंदुवार बीएड फर्जीवाड़ा मामला

  • सत्र 2004-05 में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के 84 महाविद्यालयों ने बीएड की पढ़ाई के लिए छात्रों ने दाखिला लिया था.
  • साल 2006 में विश्वविद्यालय ने बीएड का परीक्षा परिणाम घोषित किया था.
  • साल 2013 में फर्जी डिग्री के खेल को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई.
  • साल 2013 में एसआईटी ने बीएड फर्जीवाड़े की जांच शुरू की गई.
  • साल 2017 में एसआईटी ने विश्वविद्यालय को फर्जी रोल नंबर की सूची सौंपी.
  • साल 2019 में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने डिग्री निरस्त करने का फैसला लिया.
  • साल 2020 में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने एसआईटी की जांच पर डिग्री को फेक माना.

बीएड फर्जीवाड़े से जुड़े अहम आंकड़े

  • 4767 रोल नंबर एसआईटी की सूची में हैं.
  • 3637 रोल नंबर फेक के दायरे में आए हैं.
  • 1084 रोल नंबर टेंपर्ड के दायरे में आए हैं.
  • 45 रोल नंबर डुप्लीकेट के दायरे में आए हैं.

विश्वविद्यालय द्वारा जारी आंकड़े

  • 814 प्रति उत्तर फेक सूची में शामिल रोल नंबर पर मिले हैं.
  • 487 प्रति उत्तर टेंपर्ड सूची में शामिल रोल नंबर पर मिले हैं.
  • 6 प्रति उत्तर डुप्लीकेट सूची में शामिल रोल नंबर पर मिले हैं.
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