आगरा: जिले के बिचपुरी गांव में खेत में भटकते हुए एक दुर्लभ लुप्तप्राय प्रजाति का इंडियन पैंगोलिन दिखाई दिया है. इसे देखकर ग्रामीणों ने वाइल्डलाइफ एसओएस रैपिड रिस्पांस यूनिट को सूचना दी. यूनिट ने उसे रेस्क्यू किया. दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी होने से पैंगोलिन पर लगातार खतरे का साया मंडरा रहा है. उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने इंडियन पैंगोलिन को प्राकृतिक आवास में रिलीज किया.
वन्यजीव संरक्षण संस्था-वाइल्डलाइफ एसओएस को बिचपुरी के एक ग्रामीण ने हेल्पलाइन पर कॉल किया. बताया कि खेत में एक अजीब तरह का जानवर है. टीम ने खेत पर छानबीन की. वहां पर भारतीय पैंगोलिन मिला. यह दुर्लभ प्रजाति का वन्यजीव है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित और आईयूसीएन रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.
शिकार करते हैं शिकारी
पैंगोलिन घुमावदार तरीके से एक गेंद में बदल जाते हैं, जो की उनके लिए एक रक्षा तंत्र का काम करता है. जिसका उपयोग वह खतरा महसूस होने पर करते हैं. जिससे वह अपनी रक्षा कर सकें. यह छोटा सा जानवर अवैध शिकार में सबसे ज्यादा मांग में रहता है. इसी कारण वाइल्डलाइफ एसओएस टीम सावधानीपूर्वक पैंगोलिन को अपनी ट्रांजिट फैसिलिटी में ले आई. चिकित्सकीय देखभाल के बाद पैंगोलिन को उत्तर प्रदेश वन विभाग की मौजूदगी में सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ दिया गया.
सूर सरोवर में पैंगोलिन का निवास
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स बैजू राज एमवी ने कहा कि यह प्रजाति देश भर में व्यापक रूप से वितरित है. वास्तव में पैंगोलिन सूर सरोवर पक्षी विहार के वेटलैंड्स में भी निवास करते हैं.
पैंगोलिन बेहद शर्मीले जानवर
उप वन संरक्षक दिवाकर श्रीवास्तव का कहना है कि पैंगोलिन बेहद शर्मीले जानवर हैं. जंगल में बहुत कम देखे जाते हैं. शेड्यूल वन प्रजाति होने के कारण उन्हें भारत में बाघ हाथियों और तेंदुओं के समान संरक्षण दिया गया है. भारत दो पैंगोलिन प्रजातियों का घर है. इनमें एक इंडियन पैंगोलिन और चाईनीज पैंगोलिन है.