आगरा: ताजनगरी और देहात में बदंरों के आंतक से जनता परेशान हैं. राज्य सरकार ने जब से बंदर को वन्य जीव संरक्षण सूची से बाहर किए हैं. इसके बाद से ही शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में भी जनता खुद ही बंदर पड़कने का प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में अकोला में बंदरों की बढ़ती संख्या और उनके आतंक से परेशान ग्रामीणों ने बंदर पकड़वाने के लिए खुद ही बीड़ा उठाया है. ग्रामीणों ने चंदा करके रकम जुटाई. जिससे कलंदरों (बंदरों को पकड़ने वाले) को बंदरों को पकड़ने का ठेका दिया है. ग्रामीण और कलंदर के बीच यह भी शर्त रखी गई है कि वे यहां से बंदर पकड़कर दूर जंगल में छोड़कर आएंगे.
ग्रामीणों ने पंचायत में लिया निर्णय: अकोला और आसपास की जनता बंदरों की बढ़ती आबादी और आतंक से परेशान है. बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने सर्व समाज की एक पंचायत की. जिसमें सर्व सम्मति से गांव से चंदा जुटाया. जिससे बंदर पकड़े जाएंगे. यह रकम कलंदर को दी जा रही है. इस बारे में वन क्षेत्राधिकारी कृपा शंकर बताते हैं कि वन्य जीव संरक्षण सूची से अब बंदर बाहर आ चुके हैं. बंदर इस सूची से बाहर आने से कलंदर उन्हें पकड़ सकते हैं.
700 से ज्यादा बंदर: ग्रामीणों का अनुमान है कि कस्बा और आसपास के क्षेत्र में 700 से ज्यादा बंदर है. कलंदरों को बुलाकर 5 गांव में बंदरों का आतंक दिखाया. इसके बाद ही कलंदरों को बंदर पकड़ने का ठेका दिया गया है. इसलिए, लगातार कलंदर अब उत्पाती बंदर पकड़ रहे हैं. अब तक पांच दिन में 150 बंदर पकड़े जा चुके हैं. जिसमें पहले दिन 40, दूसरे दिन 30, तीसरे दिन 35, चौथे दिन 20 और पांचवें दिन 30 पकड़े गए हैं. जिन्हें बाहर जंगलों में छोड़ा जा चुका है.
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