आगरा: उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की पहली महिला अध्यक्ष कुमारी दरवेश कुमारी यादव की बुधवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई. दरअसल अध्यक्ष बनने के बाद कचहरी में ढोल-ताशों के साथ घूम-घूमकर अधिवक्ताओं को धन्यवाद दे रही थीं. इसी दौरान उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्या करने वाला कोई और नहीं बल्कि उनका सबसे करीबी पार्टनर अधिवक्ता था, जिसने पहले तो दरवेश का सम्मान किया, फिर थोड़ी देर बाद चैंबर में घुसकर उसने दरवेश को गोलियों से छलनी कर दिया, साथ ही खुद को भी गोली मार ली.
पहले किया सम्मान, उसके बाद मारी गोली
- चुनाव के शुरू होने से पहले ही दोनों के बीच की दूरियां सार्वजनिक हो गई थीं.
- दोनों के चैंबर अलग हो गए थे, बुधवार को जब दरवेश कचहरी में समर्थकों संग सबका धन्यवाद कर रही थीं, इसी दौरान मनीष ने पहले उनका जोरदार स्वागत किया.
- चैंबर में मुंह मीठा किए जाने के दौरान मनीष ने अचानक लाइसेंसी पिस्टल से दरवेश कुमारी यादव की गोली मारकर हत्या कर दी.
- पहली गोली सीने में, दूसरी पेट और तीसरी माथे पर मारने के बाद उसने खुद की कनपटी पर पिस्टल लगाकर गोली मार ली.
- गंभीर हालत में दोनों को अलग-अलग अस्पताल ले जाया गया.
- दरवेश को जहां अस्पताल पहुंचते ही मृत घोषित कर दिया गया, तो मनीष को गंभीर हालात में दिल्ली के अपोलो अस्पताल भेजा गया है.
- घटना की गंभीरता को देखते हुए फोर्स मौके पर पहुंच गया.
- खुद एडीजी अजय आनन्द भी मौके पर पहुंच गए और हालात का जायजा लिया.
- फिलहाल, अभी हत्या की असली वजह के बारे में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है, पर अंदरखाने में चर्चाओं का बाजार गर्म है.
दरवेश और मनीष एक साथ करते थे प्रैक्टिस
- मूल रूप से एटा की रहने वाली कुमारी दरवेश ने आगरा कालेज से एलएलबी और एलएलएम की पढ़ाई की थी.
- कुमारी दरवेश 2004 से दीवानी में प्रैक्टिस शुरू की थीं.
- दरवेश ने अपने कुशल नेतृत्व के जरिए अधिवक्ताओं में अपनी अलग पहचान बना ली थी.
- दरवेश की नजदीकियां मनीष शर्मा नाम के अधिवक्ता से हुई थी.
- मनीष और दरवेश ने एक-दूसरे के चैंबर के बीच की दीवार तुड़वाकर एक कर दी थी.
- दोनों एक साथ ही प्रैक्टिस करते थे और दोनों ने साथ ही बार काउंसिल की राजनीति शुरू की थी.
9 जून को बनीं पहली महिला अध्यक्ष
- दरवेश पहले बार काउंसिल की सदस्य बनीं और फिर 2017 में उन्हें बार काउंसिल का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया.
- इसके बाद 9 जून को इलाहाबाद में हुए बार काउंसिल के चुनाव में दरवेश और हरिशंकर सिंह को 12 -12 मत मिले.
- रजामंदी से दोनों को 6-6 माह के लिए अध्यक्ष पद पर रहने की सहमति भी बन गई.
- दरअसल दरवेश पिछड़ा वर्ग से और पश्चिमी यूपी से पहली अध्यक्ष थीं, जिससे उनका नाम काफी ऊपर जा रहा था.