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आगरा: 'सियाराम परमधाम' से नौटंकी को मिली संजीवनी'

उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा में इंटरनेशनल फेयर 'ताज महोत्सव' का आगाज हो गया है. लखनऊ से अपनी प्रस्तुति देने आए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमित कुमार दीक्षित से ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

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'सियाराम परमधाम' कार्यक्रम से ताज महोत्सव का आगाज.
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Published : Feb 20, 2020, 7:55 AM IST

आगरा: जिले में इंटरनेशनल फेयर 'ताज महोत्सव' का आगाज हो गया है. ताज महोत्सव के उद्घाटन समारोह में अपनी प्रस्तुति देने लखनऊ से आए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमित कुमार दीक्षित से ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने नौटंकी 'सियाराम परमधाम' पर चर्चा की. जिससे इस बार ताज महोत्सव का आगाज हुआ.

'सियाराम परमधाम' कार्यक्रम से ताज महोत्सव का आगाज.

भगवान श्रीराम की जीवनगाथा को दर्शाया

अमित कुमार दीक्षित ने बताया कि, इस कथा में भगवान श्री राम की जीवनगाथा को दर्शाया गया है. भरत मुनि ने लिखा है कि, नाट्य विधा तभी संपूर्ण हो सकती है जब उसमें गायन, नृत्य और अभिनय सभी का समावेश हो. इसमें यूपी की नौटंकी और यूपी के क्लासिकल नृत्य को मर्ज करके एक विशेष प्रयोग किया गया है. नौटंकी में विशेष प्रयोग करके भगवान श्रीराम की जीवनगाथा को अलग अंदाज में 'सियाराम परमधाम' में प्रस्तुत किया है. साथ ही अमित कुमार दीक्षित ने कहा कि, मैं प्रयोग का हिमायती हूं. किसी भी चीज को आप कितने दिन तक देखते रहेंगे, इसलिए इसमें बदलाव जरूरी है.

फूहड़ता की वजह से खत्म हो रही नौटंकी

जब हमारे संवाददाता श्यामवीर सिंह ने पूछा कि, नौटंकी मंच से क्यों गायब हो रही है. तब अमित कुमार दीक्षित का कहना था कि, किसी विधा को हम मूल रूप में कब तक वैसे ही प्रस्तुत करते रहेंगे. पब्लिक कितना पसंद करेगी यह बात जरूरी है. नौटंकी इसलिए खत्म हुई क्योंकि, उसमें लोगों ने फूहड़ता लाने का काम किया. मैंने फिर से नौटंकी को जिंदा करने के लिए उसमें तमाम बदलाव किए हैं.

'सियाराम परमधाम' से हुआ ताज महोत्सव का आगाज

अमित कुमार ने 'सियाराम परमधाम' में नौटंकी को नए ढंग से प्रस्तुत किया है, जो लोगों को खूब पसंद आ रही है. एक बार फिर ताज महोत्सव का आगाज भी अमित कुमार दीक्षित की प्रस्तुति 'सियाराम परमधाम' से ही हुआ है. इसके साथ ही संगीत निर्देशक अमित कुमार दीक्षित ने अपनी फिल्म 'यहां सभी ज्ञानी हैं' बारे में बताया कि, ये फिल्म एक सटायर है.

'सियाराम परमधाम' में भगवान श्री राम के जन्म के कारण से लेकर के रावण वध तक की पूरी कहानी को नौटंकी विधा में दर्शाया गया है. नौटंकी विधा से नया पन लाकर उसे और आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है. क्योंकि आज फूहड़ता के चलते नौटंकी विधा खत्म हो गई है.'

अमित कुमार दीक्षित, संगीत निर्देशक

आगरा: जिले में इंटरनेशनल फेयर 'ताज महोत्सव' का आगाज हो गया है. ताज महोत्सव के उद्घाटन समारोह में अपनी प्रस्तुति देने लखनऊ से आए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमित कुमार दीक्षित से ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने नौटंकी 'सियाराम परमधाम' पर चर्चा की. जिससे इस बार ताज महोत्सव का आगाज हुआ.

'सियाराम परमधाम' कार्यक्रम से ताज महोत्सव का आगाज.

भगवान श्रीराम की जीवनगाथा को दर्शाया

अमित कुमार दीक्षित ने बताया कि, इस कथा में भगवान श्री राम की जीवनगाथा को दर्शाया गया है. भरत मुनि ने लिखा है कि, नाट्य विधा तभी संपूर्ण हो सकती है जब उसमें गायन, नृत्य और अभिनय सभी का समावेश हो. इसमें यूपी की नौटंकी और यूपी के क्लासिकल नृत्य को मर्ज करके एक विशेष प्रयोग किया गया है. नौटंकी में विशेष प्रयोग करके भगवान श्रीराम की जीवनगाथा को अलग अंदाज में 'सियाराम परमधाम' में प्रस्तुत किया है. साथ ही अमित कुमार दीक्षित ने कहा कि, मैं प्रयोग का हिमायती हूं. किसी भी चीज को आप कितने दिन तक देखते रहेंगे, इसलिए इसमें बदलाव जरूरी है.

फूहड़ता की वजह से खत्म हो रही नौटंकी

जब हमारे संवाददाता श्यामवीर सिंह ने पूछा कि, नौटंकी मंच से क्यों गायब हो रही है. तब अमित कुमार दीक्षित का कहना था कि, किसी विधा को हम मूल रूप में कब तक वैसे ही प्रस्तुत करते रहेंगे. पब्लिक कितना पसंद करेगी यह बात जरूरी है. नौटंकी इसलिए खत्म हुई क्योंकि, उसमें लोगों ने फूहड़ता लाने का काम किया. मैंने फिर से नौटंकी को जिंदा करने के लिए उसमें तमाम बदलाव किए हैं.

'सियाराम परमधाम' से हुआ ताज महोत्सव का आगाज

अमित कुमार ने 'सियाराम परमधाम' में नौटंकी को नए ढंग से प्रस्तुत किया है, जो लोगों को खूब पसंद आ रही है. एक बार फिर ताज महोत्सव का आगाज भी अमित कुमार दीक्षित की प्रस्तुति 'सियाराम परमधाम' से ही हुआ है. इसके साथ ही संगीत निर्देशक अमित कुमार दीक्षित ने अपनी फिल्म 'यहां सभी ज्ञानी हैं' बारे में बताया कि, ये फिल्म एक सटायर है.

'सियाराम परमधाम' में भगवान श्री राम के जन्म के कारण से लेकर के रावण वध तक की पूरी कहानी को नौटंकी विधा में दर्शाया गया है. नौटंकी विधा से नया पन लाकर उसे और आगे बढ़ाने का प्रयास किया गया है. क्योंकि आज फूहड़ता के चलते नौटंकी विधा खत्म हो गई है.'

अमित कुमार दीक्षित, संगीत निर्देशक

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