ETV Bharat / state

राष्ट्रीय खेल दिवसः पॉवरलिफ्टर दीप शर्मा को सरकार से मदद की आस - story of power lifter pradeep sharma from agra

राष्ट्रीय खेल दिवस पर हर तरफ खेलों को बढ़ावा देने की बात की जाती है. वहीं सरकार के उपेक्षा का शिकार हुए पॉवरलिफ्टर प्रदीप शर्मा अपने गांव में खेती किसानी को मजबूर हैं.

पावरलिफ्टर को मदद की आस
author img

By

Published : Aug 29, 2019, 3:18 PM IST

आगराः राष्ट्रीय खेल दिवस पर हर तरफ खेलों को बढ़ावा देने की बात की जाती है. यह खेल जिन जमीनी खिलाड़ियों से दमकते हैं, उन्हें अक्सर शासन और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग भूल जाते हैं. तब देश और प्रदेश को मेडल देने वाले खिलाड़ी मजबूरी में किसानी और मजदूरी पर उतर आते हैं और आर्थिक तंगी में वक्त गुजारते मिलते हैं.

पावरलिफ्टर को मदद की आस.

इसे भी पढ़े- राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2019 : VIDEO में जानिए कौन-कौन से खिलाड़ियों को किया जाएगा सम्मानित

एशिया और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में जीते पदक

ये कहानी है शमसाबाद रोड स्थित तॉसपुरा गांव के अंतरराष्ट्रीय पॉवरलिफ्टर प्रदीप शर्मा की. एशिया पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश को सिल्वर और 2014 से 2019 तक नेशनल पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में प्रदेश को लगातार स्वर्ण पदक दिलाया है, लेकिन सरकार की उपेक्षा का शिकार हुए प्रदीप शर्मा अपने गांव में खेती किसानी को मजबूर हैं.

प्रदीप शर्मा आज भी पॉवरलिफ्टिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेने की चाह रखते हैं. उन्हें प्रदेश सरकार से अब मदद की उम्मीद नहीं है. प्रदीप बताते हैं कि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद उन्होंने प्रदेश सरकार, खेल विभाग का दरवाजा खटखटाया, पर उनकी कहीं सुनी नहीं गई.

प्रदीप बताते हैं कि नौकरी तो दूर की बात है, आज तक जीते गए मेडल पर जो प्रदेश सरकार को धनराशि देनी चाहिए वह भी नहीं मिली. अधिकारियों से सिर्फ उन्हें दिलासा ही मिली और उनके हाथ में कुछ नहीं आया.

इसे भी पढ़े- INDvsSA: कोच राहुल द्रविड़ की देखरेख में इंडिया ए ने किया अभ्यास, गुरुवार को खेला जाएगा पहला मैच

राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है प्रदीप के नाम

पॉवरलिफ्टिंग में 840 किलोग्राम तक वजन उठाने वाले प्रदीप खेल के एक भाग स्कोट में 355 किलोग्राम वजन उठाकर नेशनल रिकॉर्ड बना चुके हैं. प्रदीप नेशनल पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 12 से ज्यादा पदक जीत चुके हैं.

2016 में उदयपुर में हुई एशिया पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश के लिए सिल्वर जीतकर प्रदीप ने आगरा का मान बढ़ाया. प्रदीप ने बताया कि अब भी गांव से रोज एकलव्य स्टेडियम में अभ्यास करने जाते हैं. महीने में हजारों रुपये किराए में खर्च हो जाते हैं. इतना सब करने के बाद भी अब पिता के साथ किसानी में हाथ बांटने के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचा है.

आगराः राष्ट्रीय खेल दिवस पर हर तरफ खेलों को बढ़ावा देने की बात की जाती है. यह खेल जिन जमीनी खिलाड़ियों से दमकते हैं, उन्हें अक्सर शासन और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग भूल जाते हैं. तब देश और प्रदेश को मेडल देने वाले खिलाड़ी मजबूरी में किसानी और मजदूरी पर उतर आते हैं और आर्थिक तंगी में वक्त गुजारते मिलते हैं.

पावरलिफ्टर को मदद की आस.

इसे भी पढ़े- राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2019 : VIDEO में जानिए कौन-कौन से खिलाड़ियों को किया जाएगा सम्मानित

एशिया और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में जीते पदक

ये कहानी है शमसाबाद रोड स्थित तॉसपुरा गांव के अंतरराष्ट्रीय पॉवरलिफ्टर प्रदीप शर्मा की. एशिया पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश को सिल्वर और 2014 से 2019 तक नेशनल पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में प्रदेश को लगातार स्वर्ण पदक दिलाया है, लेकिन सरकार की उपेक्षा का शिकार हुए प्रदीप शर्मा अपने गांव में खेती किसानी को मजबूर हैं.

प्रदीप शर्मा आज भी पॉवरलिफ्टिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेने की चाह रखते हैं. उन्हें प्रदेश सरकार से अब मदद की उम्मीद नहीं है. प्रदीप बताते हैं कि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद उन्होंने प्रदेश सरकार, खेल विभाग का दरवाजा खटखटाया, पर उनकी कहीं सुनी नहीं गई.

प्रदीप बताते हैं कि नौकरी तो दूर की बात है, आज तक जीते गए मेडल पर जो प्रदेश सरकार को धनराशि देनी चाहिए वह भी नहीं मिली. अधिकारियों से सिर्फ उन्हें दिलासा ही मिली और उनके हाथ में कुछ नहीं आया.

इसे भी पढ़े- INDvsSA: कोच राहुल द्रविड़ की देखरेख में इंडिया ए ने किया अभ्यास, गुरुवार को खेला जाएगा पहला मैच

राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है प्रदीप के नाम

पॉवरलिफ्टिंग में 840 किलोग्राम तक वजन उठाने वाले प्रदीप खेल के एक भाग स्कोट में 355 किलोग्राम वजन उठाकर नेशनल रिकॉर्ड बना चुके हैं. प्रदीप नेशनल पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी पॉवरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 12 से ज्यादा पदक जीत चुके हैं.

2016 में उदयपुर में हुई एशिया पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश के लिए सिल्वर जीतकर प्रदीप ने आगरा का मान बढ़ाया. प्रदीप ने बताया कि अब भी गांव से रोज एकलव्य स्टेडियम में अभ्यास करने जाते हैं. महीने में हजारों रुपये किराए में खर्च हो जाते हैं. इतना सब करने के बाद भी अब पिता के साथ किसानी में हाथ बांटने के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचा है.

Intro:राष्ट्रीय खेल दिवस पर हर तरफ खेलों को बढ़ावा देने की बात की जाती है, पर यह खेल जिन जमीनी खिलाड़ियों से दमकते हैं उन्हें अक्सर शासन और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग भूल जाते हैं. तब देश और प्रदेश को मेडल देने वाले खिलाड़ी अक्सर किसानी, मजदूरी पर उतर आते हैं और आर्थिक तंगी में वक्त गुजारते मिलते हैं.Body:सरकार से पावरलिफ्टर को मदद की आस l

एशिया और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले प्रदीप अब कर रहे खेती l

देहात क्षेत्रों में खेलकूद के लिए बने स्टेडियम तो निकल सकती हैं और प्रतिभाएं l

राष्ट्रीय खेल दिवस पर विशेष :-


राष्ट्रीय खेल दिवस पर हर तरफ खेलों को बढ़ावा देने की बात की जाती है, पर यह खेल जिन जमीनी खिलाड़ियों से दमकते हैं उन्हें अक्सर शासन और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग भूल जाते हैं. तब देश और प्रदेश को मेडल देने वाले खिलाड़ी अक्सर किसानी, मजदूरी पर उतर आते हैं और आर्थिक तंगी में वक्त गुजारते मिलते हैं.
ऐसी कहानी है शमसाबाद रोड स्थित तासपुरा गांव के अंतरराष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग ( भारोत्तोलक) प्रदीप शर्मा की. एशिया पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश को सिल्वर और 2014 से 2019 तक नेशनल पावर लिफ्टिंग चैंपियन में प्रदेश को लगातार स्वर्ण पदक देने वाले प्रदीप शर्मा अब अपने गांव में किसानी को मजबूर हैं. अभी वह पावरलिफ्टिंग की कुछ प्रतियोगिताओं में भाग लेने की चाह रखते हैं. पर उन्हें प्रदेश सरकार से मदद की उम्मीद नहीं है. प्रदीप बताते हैं कि राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के बाद उन्होंने प्रदेश सरकार, खेल विभाग का दरवाजा खटखटाया, पर उनकी कहीं नहीं सुनी गई. नौकरी तो दूर की बात आज तक जीते गए पर मेडल पर जो प्रदेश सरकार को धनराशि देनी चाहिए वह भी नहीं मिली. अधिकारियों ने देखेंगे, हमारे साथ मैं कुछ नहीं है आदि कहकर लौटा दिया.

"स्कोट" में राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है प्रदीप के नाम

पावरलिफ्टिंग में 840 किलोग्राम तक वजन उठाने वाले प्रदीप खेल के एक भाग स्कोट में 355 किलोग्राम वजन उठाकर नेशनल रिकॉर्ड बना चुके हैं. प्रदीप नेशनल पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप व ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 1 दर्जन से ज्यादा पदक जीत चुके हैं. 2016 में उदयपुर में हुई एशिया पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश के लिए सिल्वर जीतकर प्रदीप ने आगरा का मान बढ़ाया. प्रदीप ने बताया कि अब भी गांव से रोज एकलव्य स्टेडियम में अभ्यास करने जाते हैं. महीने में हजारों रुपए में किराए में खर्च जाते हैं. इतना सब करने के बाद भी अब पिता के साथ किसानी में हाथ बांटने के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचा है.Conclusion:पावरलिफ्टिंग ( भारोत्तोलक) प्रदीप शर्मा
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.