आगराः जिले के पादरी फादर जॉन फरेरा 40 साल से देश और दुनिया में योग की अलख जगा रहे हैं. स्कूल, कॉलेज, जेल और अन्य संस्थानों में वो लोगों को योग सिखाते हैं. इससे फादर की अब नई पहचान योग गुरु के रूप में बन चुकी है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर फादर जॉन फरेरा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने योग गुरु बनने की कहानी बताई. पादरी ने बताया कि पढ़ाई के दौरान बीमार रहने पर उन्होंने योग अपनाया. खुद को योग करने से फायदा हुआ, तो उन्होंने मिशन योगा की शुरुआत की थी. उनका योगा मिशन देश के आगरा, बैंगलुरु और मुंबई के साथ ही आस्ट्रेलिया, अमेरिका समेत अन्य देशों तक पहुंच गया है.
फादर के अनुसार, उन्होंने हर साल स्कूल से जारी होने वाले कैलेंडर को योगा कैलेंडर में बदल दिया गया. कैलेंडर में योग मुद्राओं के साथ-साथ ये भी बताया गया कि कौन सा फल खाने से क्या-क्या फायदे होंगे. स्कूल कैम्पस में जगह-जगह योग की मुद्रा वाली तस्वीरें लगाई गईं. ताकि चलते-फिरते भी बच्चों की निगाह इन तस्वीर पर जाए. इससे उनका मन भी योग के बारे में जानने और उन्हें करने के लिए हो.
3 इंस्टीट्यूट से ली योग की शिक्षाः फादर जॉन फरेरा ने बताया कि उन्होंने सन 1986 में मुंगेर स्थित योगा स्कूल ऑफ बिहार, 1987 में स्वामी शिवानंदा इंस्टीट्यूट, ऋषिकेश और 2008 में स्वामी विवेकानंद इंस्टीट्यूट बेंगलुरु से योगा की शिक्षा ली. वह बताते हैं कि योग को और नजदीक से जानने के लिए स्वामी विवेकानंद इंस्टीट्यूट बैंगलुरु आते जाते रहते हैं.
नई पीढ़ी को सिखा रहे योगः फादर फरेरा ईटीवी भारत को बताया कि योगा का प्रचार-प्रसार करना ही उनका मुख्य ध्येय है. इसलिए वह रिटायर होने के बाद कहीं नहीं गए. आगरा और जहां से भी कोई उन्हें बुलाता है. वह वहां पर योग सिखाने जाते हैं. नई पीढ़ी भी योग करे. इसलिए सेंट लॉरेंस सेमीनरी (गुरुकुल) में पादरी बनने का कोर्स कर रहे बच्चों को योग कराते हैं. वह सेंट कॉनरेड स्कूल में भी योग कराने जाते हैं. वह जिस चर्च में पादरी हैं. वहां, सुबह से शाम तक लोगों को योग की शिक्षा देते हैं. इसके साथ ही आगरा की सेंट्रल जेल में कैदियों को भी योग कराते हैं. ताकि कैदी हेल्दी रहें.
शिक्षकों को दे रहे ट्रेनिंगः उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर तमाम ऐसे लोग हैं. जो खुद योगासन करना नहीं जानते हैं. वे भी योग सिखा रहे हैं. इसलिए स्कूल बच्चों तक योग पहुंचाने के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग की शुरूआत की. स्कूल के टीचर्स को योग की पढाई कराता हूं. इसके साथ ही वह आगरा में एक योग आश्रम भी चलाते हैं. इसमें ओपीडी के साथ ही रेजीडेंशियल की सुविधा भी है. ओपीडी में रोजाना 7 से 8 लोग आते हैं. जो किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते हैं.
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