आगरा. जिला कोर्ट ने 10 साल पहले 6 साल की मासूम से दुष्कर्म मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिया. स्पेशल कोर्ट पोक्सो एक्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने दोषी पर 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया. न्यायाधीश नसीमा ने जांच, सबूत और गवाहों के बयानों के आधार पर शुक्रवार को फैसला सुनाया. बता दें कि इस मामले में विवेचक ने एफआर (झूठी रिपोर्ट) लगाकर कर आरोपी को धारा 169 सीआरपीसी से क्लीन चिट दे दी थी. कोर्ट ने दोषी को सजा सुनाने के साथ ही मामले में तत्कालीन विवेचक सीओ लोहामंडी प्रभाकर चौधरी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी दिया. आईपीएस प्रभाकर चौधरी फिलहाल बरेली के एसएसपी हैं. कोर्ट ने डीजीपी, आगरा पुलिस कमिश्नर और डीएम आगरा को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
विवेचक ने कर्तव्यों का नहीं किया पालनः न्यायाधीश नसीमा ने मामले में सजा सुनाते हुए तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि 'विवेचक ने अपने कर्तव्यों का उल्लंघन और घोर उदासीनता की है. ऐसी शर्मनाक घटनाओं से मासूम बच्चियों के प्रति माता-पिता के मन में असुरक्षा की भावना पैदा होती है. इन घटनाओं से सिर्फ एक परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा समाज प्रभावित होता है. ऐसे कृत्य घोर निंदनीय हैं. समाज के लिए शर्मनाक हैं. किसी प्रकार से क्षमा के योग्य नहीं हैं.'
ये था मामलाः जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में एक महिला अपने पति और छह बच्चों के साथ किराए पर रहती थी. उसका पति मजदूरी करता है और वह खुद भी लोगों के घरों में काम करती है. 5 मार्च 2013 को पीड़िता ने मकान मालिक दिलीप चौहान के बेटे विपिन चौहान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. आरोप था कि जब पति-पत्नी काम पर चले गए, तब मकान मालिक के बेटे विपिन चौहान ने उसकी छह साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया. आरोपी ने बेटी को डराया धमकाया भी. इससे वो 3 दिन तक डरी सहमी सी रही. वह गुप्तांगों में आई चोट और ब्लीडिंग से परेशान थी. महिला ने बताया कि जब बच्ची का व्यवहार बदला, तो उसने बेटी से इस बारे में पूछा. इसके बाद बच्ची ने आरोपी की करतूत बताई.
वहीं, इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी को जेल भेज दिया था. मामले की जांच तत्कालीन लोहामंडी सीओ विवेचक प्रभाकर चौधरी ने की थी. महज एक महीने में विवेचना पूरी करके 14 जून 2013 को तत्कालीन सीओ ने कोर्ट में एफआर लगा दी. इसके साथ ही धारा 169 सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र कोर्ट में दाखिल किया और अभियुक्त को क्लीन चिट दे दी. इसके बाद आरोपी जेल से छूट गया.
पीड़िता ने किया था एफआर का विरोधः पीड़िता ने विवेचक की ओर से कोर्ट में दाखिल एफआर का विरोध किया गया था. कोर्ट ने एक मई 2014 को अभियुक्त को तलब कर कोर्ट में पेश होने को कहा. इस बारे में विशेष लोक अभियोजक विमलेश आनंद ने बताया कि कोर्ट में पीड़िता, उसकी चश्मदीद गवाह बहन, वादिया सहित छह गवाह और सबूत पेश किए गए. इसके बाद स्पेशल कोर्ट पोक्सो एक्ट की न्यायाधीश नसीमा ने अपना निर्णय सुनाया. इसमें उन्होंने कहा कि अभियुक्त ने 6 वर्ष की मासूम के साथ दुष्कर्म किया था. पीड़िता की सगी बहन घटना की चश्मदीद है. सबसे आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि पीड़िता के माता-पिता रो-रोकर गुहार लगाते रहे, फिर भी विवेचक ने एफआर लगा दी.
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