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राम मंदिर की नींव में महकेगी आगरा की मिट्टी

अयोध्या में प्रस्तावित रामलला के मंदिर निर्माण की नींव में आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल व शिव मंदिरों की मिट्टी का प्रयोग किया जाएगा. पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास करेंगे.

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गुरुद्वारा गुरु का ताल
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Published : Jul 28, 2020, 4:06 PM IST

आगरा: अयोध्या का राम मंदिर पांच अगस्त से बनाया जाना शुरू हो रहा है. इसकी पवित्रता और महत्ता बढ़ाने के लिए विश्व हिंदू परिषद पूरे देश के पवित्र स्थलों की रज(मिट्टी) इकट्ठा कर अयोध्या ले जा रहा है. इसी क्रम में आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल से मिट्टी लेकर विहिप कार्यकर्ता अयोध्या कूच करेंगे. विहिप के सदस्य आगरा के अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों और आगरा के चारों कोनों पर स्थापित शिव मंदिरों की मिट्टी को भी इकट्ठा करके अयोध्या ले जाएंगे और इनका राम मंदिर निर्माण के दौरान उपयोग किया जाएगा.

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गुरुद्वारा की मिट्टी.
ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का ताल पर विहिप कार्यकर्ताओं ने पहुंच कर गुरुद्वारे के प्रमुख बाबा प्रीतम सिंह के हाथों से गुरुद्वारे की मिट्टी ली. इस दौरान बाबा प्रीतम सिंह ने गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में बताया और विहिप कार्यकर्ताओं ने इस मिट्टी को लेकर खुद के धन्य होने की बात कही.
आगरा गुरुद्वारे की मिट्टी.
गुरुद्वारे का यह है इतिहासगुरुद्वारा गुरु का ताल जहां खुद के कत्ल की जिम्मेदारी लेने वाले मुगल सूबेदार की बेटियों के निकाह के लिए खुद सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर अपने पांच साथियों के साथ खुद आगरा आकर इस स्थान पर रुके थे. आज भी उनकी याद में यहां हर साल एक से तीन अक्टूबर तक गुरुमत समागम होता है.

इसे पढ़ें - रामलला के भव्य मंदिर की नींव में कड़ाधाम की माटी और पवित्र कुंड के जल का होगा प्रयोग

आगरा-दिल्ली हाईवे पर सिकन्दरा स्मारक से एक किमी पहले गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा वासियों के लिए श्रद्धा का स्थल है. लोग यहां माथा टेकने जाते हैं. यहां रोजाना 24 घण्टे लंगर चलता है और खास बात यह है कि यहां लंगर यहीं के सेवादार बनाते हैं और इसके साथ ही अधिकांश वस्तुएं जैसे दूध, अनाज, सब्जी आदि का उत्पादन खुद गुरुद्वारे के सेवादार ही करते हैं. इसके साथ ही यहां सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली और ईंधन का काम किया जाता है.

इस गुरुद्वारे को सबसे स्वच्छ होने का खिताब खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया है. हर वर्ष यहां की बागवानी को प्रथम पुरस्कार मिलना लगभग तय रहता है. यहां ताजमहल बनने के लगभग 100 साल बाद 1731 विक्रमी वर्ष में सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह अपने साथी मतिदास, सतीदास, दयाला, गुरदिता, उदो व जयता भाई को साथ लेकर आए थे.

शिव मंदिरों की मिट्टी का भी होगा प्रयोग
आगरा के चारों कोनों पर भगवान शिव के मंदिर हैं. सावन में हर सोमवार मन्दिर पर मेला लगता है. मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. राजेश्वर मन्दिर की मान्यता है कि यहां भगवान का शिवलिंग दिन में कई बार रंग बदलता है. बल्केश्वर महादेव को सबसे प्राचीन माना जाता है और यहां मन्दिर में शिवलिंग को पुजारी के अलावा कोई छू भी नही सकता है. कैलाश मन्दिर की मान्यता है भगवान परशुराम अपने पुत्रों के साथ आ रहे थे और यहां रुके थे. जैसे ही उन्होंने शिवलिंग को यहां रखा, फिर उसके बाद वो भगवान को यहां से ले नहीं जा पाए. इन सभी मंदिरों की मिट्टी का प्रयोग भी रामलला मंदिर निर्माण की नींव में प्रयोग किया जा रहा है.

आगरा: अयोध्या का राम मंदिर पांच अगस्त से बनाया जाना शुरू हो रहा है. इसकी पवित्रता और महत्ता बढ़ाने के लिए विश्व हिंदू परिषद पूरे देश के पवित्र स्थलों की रज(मिट्टी) इकट्ठा कर अयोध्या ले जा रहा है. इसी क्रम में आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल से मिट्टी लेकर विहिप कार्यकर्ता अयोध्या कूच करेंगे. विहिप के सदस्य आगरा के अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों और आगरा के चारों कोनों पर स्थापित शिव मंदिरों की मिट्टी को भी इकट्ठा करके अयोध्या ले जाएंगे और इनका राम मंदिर निर्माण के दौरान उपयोग किया जाएगा.

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गुरुद्वारा की मिट्टी.
ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का ताल पर विहिप कार्यकर्ताओं ने पहुंच कर गुरुद्वारे के प्रमुख बाबा प्रीतम सिंह के हाथों से गुरुद्वारे की मिट्टी ली. इस दौरान बाबा प्रीतम सिंह ने गुरुद्वारे के इतिहास के बारे में बताया और विहिप कार्यकर्ताओं ने इस मिट्टी को लेकर खुद के धन्य होने की बात कही.
आगरा गुरुद्वारे की मिट्टी.
गुरुद्वारे का यह है इतिहासगुरुद्वारा गुरु का ताल जहां खुद के कत्ल की जिम्मेदारी लेने वाले मुगल सूबेदार की बेटियों के निकाह के लिए खुद सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर अपने पांच साथियों के साथ खुद आगरा आकर इस स्थान पर रुके थे. आज भी उनकी याद में यहां हर साल एक से तीन अक्टूबर तक गुरुमत समागम होता है.

इसे पढ़ें - रामलला के भव्य मंदिर की नींव में कड़ाधाम की माटी और पवित्र कुंड के जल का होगा प्रयोग

आगरा-दिल्ली हाईवे पर सिकन्दरा स्मारक से एक किमी पहले गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा वासियों के लिए श्रद्धा का स्थल है. लोग यहां माथा टेकने जाते हैं. यहां रोजाना 24 घण्टे लंगर चलता है और खास बात यह है कि यहां लंगर यहीं के सेवादार बनाते हैं और इसके साथ ही अधिकांश वस्तुएं जैसे दूध, अनाज, सब्जी आदि का उत्पादन खुद गुरुद्वारे के सेवादार ही करते हैं. इसके साथ ही यहां सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली और ईंधन का काम किया जाता है.

इस गुरुद्वारे को सबसे स्वच्छ होने का खिताब खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया गया है. हर वर्ष यहां की बागवानी को प्रथम पुरस्कार मिलना लगभग तय रहता है. यहां ताजमहल बनने के लगभग 100 साल बाद 1731 विक्रमी वर्ष में सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह अपने साथी मतिदास, सतीदास, दयाला, गुरदिता, उदो व जयता भाई को साथ लेकर आए थे.

शिव मंदिरों की मिट्टी का भी होगा प्रयोग
आगरा के चारों कोनों पर भगवान शिव के मंदिर हैं. सावन में हर सोमवार मन्दिर पर मेला लगता है. मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं हैं. राजेश्वर मन्दिर की मान्यता है कि यहां भगवान का शिवलिंग दिन में कई बार रंग बदलता है. बल्केश्वर महादेव को सबसे प्राचीन माना जाता है और यहां मन्दिर में शिवलिंग को पुजारी के अलावा कोई छू भी नही सकता है. कैलाश मन्दिर की मान्यता है भगवान परशुराम अपने पुत्रों के साथ आ रहे थे और यहां रुके थे. जैसे ही उन्होंने शिवलिंग को यहां रखा, फिर उसके बाद वो भगवान को यहां से ले नहीं जा पाए. इन सभी मंदिरों की मिट्टी का प्रयोग भी रामलला मंदिर निर्माण की नींव में प्रयोग किया जा रहा है.

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