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आगरा: बदली जा रही शेख सलीम चिश्ती दरगाह की बीम, 1990 में हुई थी कमजोर - आगरा में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह

उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित शेख सलीम चिश्ती दरगाह की कमजोर बीम की मरम्मत आज सालों बीत जाने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा करवाई जा रही है. बता दें कि दरगाह की बीम कमजोर होने की जानकारी एएसआई को 1990 में ही हो गई थी.

पुरातत्व विभाग अब बदली रहा चिश्ती दरगाह की कमजोर बीम
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Published : Oct 14, 2019, 5:43 PM IST

आगरा: मुगल बादशाह अकबर के आंगन में शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से किलकारी गूंजी थी. चिश्ती के इंतकाल के बाद अकबर ने लाल पत्थर से उनका दरगाह बनवाया और फतेहपुर सीकरी को अपनी दूसरी राजधानी बना लिया. 1990 में दरगाह का बीम कमजोर होने की जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को हुई. उसके बाद भी आज इतने सालों बाद पहली बार एएसआई की ओर दरगाह का बीम बदला जा रहा है.

पुरातत्व विभाग अब बदली रहा चिश्ती दरगाह की कमजोर बीम.

आगरा से नंगे पैर आये थे अकबर
बता दें कि मुगल बादशाह अकबर की पत्नी को संतान नहीं हो रही थी, जिससे परेशान होकर अकबर आगरा से नंगे पैर हजरत शेख सलीम चिश्ती से आशीर्वाद लेने फतेहपुर सीकरी आये थे. उसके बाद अकबर की पत्नी को जहांगीर पैदा हुए थे. चिश्ती के इंतकाल के बाद अकबर ने उनकी याद में यहां लाल पत्थर से दरगाह बनवाया. वह लाल पत्थर आज भी दरगार में लगा हुआ है.

पढ़ेंः आगरा में धूमधाम से कराया गया झेंझी-टेसू का विवाह

दरगाह के प्रति पुरातत्व विभाग नहीं है सजग
एएसआई यानि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दरगाह की सुरक्षा और किसी भी खतरे को देखकर पहले ही एक 12 फीट के खंभे की मरम्मत कराई है. उसके बाद ही दरगाह की बीम को खोला गया है. गाइड सुलेमान खां ने बताया कि पहले यहां जंगल हुआ करता था. इसी जंगल में हजरत शेख सलीम चिश्ती रहते थे.

इसे भी पढे़ं:-आगरा: मैराथन दौड़ प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने दिखाया दमखम

चिश्ती के आशीर्वाद से अकबर को संतान नसीब हुआ था जिसके बाद अकबर ने फतेहपुर सीकरी बसाया और इसे अपनी राजधानी बनाया. 1571 में हजरत शेख सलीम चिश्ती के इंतकाल होने पर अकबर ने लाल पत्थर से उनकी मजार को बनवाया. लाल पत्थर से बने शेख सलीम चिश्ती की दरगाह को फिर से जहांगीर ने रिनोवेट कराया और इसे सफेद संगमरमर से बनवाया.

फतेहपुर सीकरी में हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में एक परिक्रमा मार्ग है. इस परिक्रमा मार्ग में यह देखा गया था कि इसकी बीम क्रेक हो गई है. जानकारी होने पर इसकी बीम बदली जा रही है. अभी तक के रिकॉर्ड के अनुसार सन् 1904 लॉर्ड कर्जन ने फतेहपुर सीकरी की दरगाह का संरक्षण का काम कराया था. उसके बाद 1990 में मालूम हुआ कि बीम क्रेक हो गया है. धार्मिक स्थल होने के कारण इससे लोगों को खतरा हो सकता है. लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बीम को बदला जा रहा है.
-वसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद (एएसआई)

आगरा: मुगल बादशाह अकबर के आंगन में शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से किलकारी गूंजी थी. चिश्ती के इंतकाल के बाद अकबर ने लाल पत्थर से उनका दरगाह बनवाया और फतेहपुर सीकरी को अपनी दूसरी राजधानी बना लिया. 1990 में दरगाह का बीम कमजोर होने की जानकारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को हुई. उसके बाद भी आज इतने सालों बाद पहली बार एएसआई की ओर दरगाह का बीम बदला जा रहा है.

पुरातत्व विभाग अब बदली रहा चिश्ती दरगाह की कमजोर बीम.

आगरा से नंगे पैर आये थे अकबर
बता दें कि मुगल बादशाह अकबर की पत्नी को संतान नहीं हो रही थी, जिससे परेशान होकर अकबर आगरा से नंगे पैर हजरत शेख सलीम चिश्ती से आशीर्वाद लेने फतेहपुर सीकरी आये थे. उसके बाद अकबर की पत्नी को जहांगीर पैदा हुए थे. चिश्ती के इंतकाल के बाद अकबर ने उनकी याद में यहां लाल पत्थर से दरगाह बनवाया. वह लाल पत्थर आज भी दरगार में लगा हुआ है.

पढ़ेंः आगरा में धूमधाम से कराया गया झेंझी-टेसू का विवाह

दरगाह के प्रति पुरातत्व विभाग नहीं है सजग
एएसआई यानि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने दरगाह की सुरक्षा और किसी भी खतरे को देखकर पहले ही एक 12 फीट के खंभे की मरम्मत कराई है. उसके बाद ही दरगाह की बीम को खोला गया है. गाइड सुलेमान खां ने बताया कि पहले यहां जंगल हुआ करता था. इसी जंगल में हजरत शेख सलीम चिश्ती रहते थे.

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चिश्ती के आशीर्वाद से अकबर को संतान नसीब हुआ था जिसके बाद अकबर ने फतेहपुर सीकरी बसाया और इसे अपनी राजधानी बनाया. 1571 में हजरत शेख सलीम चिश्ती के इंतकाल होने पर अकबर ने लाल पत्थर से उनकी मजार को बनवाया. लाल पत्थर से बने शेख सलीम चिश्ती की दरगाह को फिर से जहांगीर ने रिनोवेट कराया और इसे सफेद संगमरमर से बनवाया.

फतेहपुर सीकरी में हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में एक परिक्रमा मार्ग है. इस परिक्रमा मार्ग में यह देखा गया था कि इसकी बीम क्रेक हो गई है. जानकारी होने पर इसकी बीम बदली जा रही है. अभी तक के रिकॉर्ड के अनुसार सन् 1904 लॉर्ड कर्जन ने फतेहपुर सीकरी की दरगाह का संरक्षण का काम कराया था. उसके बाद 1990 में मालूम हुआ कि बीम क्रेक हो गया है. धार्मिक स्थल होने के कारण इससे लोगों को खतरा हो सकता है. लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बीम को बदला जा रहा है.
-वसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद (एएसआई)

Intro:आगरा.
मुगल बादशाह अकबर ने अपनी दूसरी राजधानी फतेहपुर सीकरी को बनाया था. इसकी अहम वजह थी. अकबर परेशान के आंगन में हजरत शैख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से किलकारी गूंजी थी.
अकबर आगरा से नंगे पैर फतेहपुर सीकरी आकर शेख सलीम चिश्ती के यहां हाजिरी लगाई. तब अकबर के यहां जहांगीर पैदा हुआ. अकबर ने फतेहपुर सीकरी को बसाया. फिर शेख सलीम चिश्ती के इंतकाल के बाद अकबर ने लाल पत्थर से उनकी दरगाह को बनवाया.वह लाल पत्थर अभी भी दरगाह में लगा हैं. कहने को 1905 में यहां संरक्षण काम किया गया, उस समय दरगाह का बेस मजबूत किया गया था. लेकिन सन् 1990 में दरगाह का बीम क्रेक होने की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) को जानकारी हुई. इस पर अब करीब 448 साल के बाद पहली बार दरगाह का एएसआई की ओर से बीम बदला जा रहा है.



Body:एएसआई ने दरगाह की सुरक्षा और किसी भी खतरे को देखकर की पहले 12 फीट के खंभे की मरम्मत कराई है. उसके बाद ही दरगाह की बीम को खोला गया है.

गाइड सुलेमान खां ने बताया कि, पहले यहां जंगल हुआ करता था. इसी जंगल में हजरत शेख सलीम चिश्ती रहते थे, अकबर के संतान नहीं हो रही थी. बादशाह अकबर परेशान थे. वह नंगे पैर अपनी तीनों बेगम के साथ यहां अपनी मुराद लेकर के आए थे. अकबर के घर में बेटा पैदा हुआ तो उन्होंने फतेहपुर सीकरी को बसाया था और अपनी राजधानी बनाया था. जब सन् 1571 में हजरत शेख सलीम चिश्ती के इंतकाल होने पर लाल पत्थर से उनकी मजार को बनवाया. शेख सलीम चिश्ती की दरगाह का फिर जहांगीर ने रिनोवेट कराया और इसे सफेद संगमरमर से बनाया था.

एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि, फतेहपुर सीकरी में हजरत शेख सलीम चिश्ती की जो दरगाह है, उस दरगाह में एक परिक्रमा मार्ग है. इस परिक्रमा मार्ग में यह देखा गया था, इसकी बीम क्रेक हो गई है. इसका पता चला तो इस बीम को बदला जा रहा है. अभी तक का जो रिकॉर्ड है, उसके अनुसार सन् 1904 लॉर्ड कर्जन ने फतेहपुर सीकरी की दरगाह का संरक्षण का काम कराया था, फिर 1990 में मालूम हुआ कि बीम क्रेक हो गया है. इससे खतरा हो सकता था. क्योंकि यह धार्मिक है. लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बीम को बदला जा रहा है.





Conclusion:अकबर ने लाल पत्थर से विश्वविख्यात हजरत शेख सलीम चिश्ती की दरगाह को बनवाया था. जहांगीर ने उसे सफेद मार्बल से बनवाया. सन् 1905 में फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह में संरक्षण कार्य कराया था, लेकिन सन् 1571 के बाद पहली बार इस दरगाह की बीम को बदला जा रहा है.

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पहली बाइट सुलेमान खां, टूरिस्ट गाइड की।
दूसरी बाइट वसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद (एएसआई)।
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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