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वैस्कुलर सर्जरी से बचाए गए थे 33 कारगिल योद्धाओं के पैर, सुनें रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय की जुबानी

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Published : Oct 8, 2022, 10:51 AM IST

आगरा में आयोजित 'द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया' के सेमिनार 'विसीकोन-2022' में वैस्कुलर सर्जरी की उपयोगिता के बारे में बताया गया. रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय ने सही समय पर वैस्कुलर सर्जरी और उसके नतीजों पर व्याख्यान दिया.

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द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया की सेमिनार

आगरा: ताजनगरी में आयोजित 'द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया' के सेमिनार 'विसीकोन-2022' में देश विदेश के सर्जन शामिल हो रहे हैं. जोकि, वैस्कुलर सर्जरी की उपयोगिता और उसकी नई तकनीक पर व्याख्यान दे रहे हैं. 'विसीकोन-2022' में सेना से रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय ने सही समय पर वैस्कुलर सर्जरी और उसके नतीजों पर व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में देश के सैकड़ों वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए शहादतें दी थीं. इस दौरान हजारों वीर सपूत गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्होंने बताया कि वे और उनकी टीम ने श्रीनगर बेस पर 34 ऐसे वीर जवानों की वैस्कुलर सर्जरी की, जिनके पैरों की धमनियां कट गई थीं. इसमें से वस्कुलर सर्जरी से 33 जवानों के पैर कटने से बचा लिए. सिर्फ एक जवान की वैस्कुलर सर्जरी में देरी हुई. इस वजह से उसकी जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा था.

बता दें कि आगरा में फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया की 39वें 'विसीकोन-2022' में दूसरे दिन शुक्रवार को सेमिनार में 60 शोध पत्र पेश हुए. इसके साथ ही विशेषज्ञों ने वैरिकोज वेन्स, डायलिसिस के मरीजों के लिए बनाए जाने वाले एवी फिस्टुला, एरोटिक एनेयुरिज्म, डीप वेन थ्रोमबोसिस, डायबिटिक फुट अल्सर जैसे विषयों पर व्याख्यान दिया. शुक्रवार देर रात कार्यक्रम में अभिनेत्री पूजा बत्रा और अभिनेता नवाब शाह मुख्य अतिथि रहे.

सेना से रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय और वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य डॉ. शेखर ने दी जानकारी

सेना से रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय ने अपने व्याख्यान में बताया कि सही समय पर वैस्कुलर सर्जरी की जाए तो उसके बेहतर नतीजे आते हैं. उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान उनका बेस श्रीनगर में था. उस समय श्रीनगर बेस में 1600 जवानों का इलाज किया गया. इसमें से बम फटने, गनशॉट से घायल ऐसे 34 वीर योद्धा आए, जिनके पैरों की धमनियां कट गई थीं. देरी होने पर उनकी जान बचाने के लिए पैर काटने पड़ते. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. श्रीनगर बेस पर ही 34 ऐसे गंभीर घायल जवानों की वैस्कुलर सर्जरी की गई. इसके बेहतर नतीजे आए. 33 जवानों के पैर सही सलामत बच गए. सिर्फ एक जवान की जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा. रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय बताते हैं कि पैर में अटैक के बाद के 6 घंटे बेहद अहम होते हैं. सही समय पर मरीज पहुंच जाए तो उसकी हादसों में कटी रक्त शिराओं को जोड़ा जा सकता है.

इसे भी पढ़े-सर्जरी के दौरान 210 मिनट तक बंद रहा महिला का दिल, जानें फिर क्या हुआ

डायबिटिक मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा: वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य चेन्नई के डॉ. शेखर ने बताया कि डायबिटीज से पीड़ित हैं तो उसे सामान्य लोगों के मुकाबले वैस्कुलर बीमारियों का खतरा अधिक रहता है. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के अध्यक्ष प्रो. अभिजात सेठ ने बताया कि 1994 की बात करें तो देश में 13 वैस्कुलर सर्जन थे. आज द वैस्कुलर सोसायटी से 750 वैस्कुलर सर्जन जुड चुके हैं. अब देश के वैस्कुलर सर्जन विश्वस्तर पर पहचान बना रहे हैं.

एम्स में भी नहीं वैस्कुलर सर्जरी : 'विसीकोन-2022' के आयोजन सचिव डॉ. तपिश साहू ने बताया कि राजधानी दिल्ली के एम्स में भी वैस्कुलर सर्जरी की सुविधा नहीं है. देश की बात करें तो आबादी के मुताबिक 2 से 3 लाख वैस्कुलर सर्जन चाहिए. लेकिन, सिर्फ 750 सर्जन ही देश में हैं. हमारी सोसायटी की कोशिश से पीजीआई चंडीगढ़ में इसका कोर्स और सरकारी अस्पतालों में वैस्कुलर सर्जरी विभाग शुरू कराने की है.

यह भी पढ़े-वजन कम करने को लेकर सर्जरी सही उपाय या गलत, जानने के लिए देखें खबर

आगरा: ताजनगरी में आयोजित 'द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया' के सेमिनार 'विसीकोन-2022' में देश विदेश के सर्जन शामिल हो रहे हैं. जोकि, वैस्कुलर सर्जरी की उपयोगिता और उसकी नई तकनीक पर व्याख्यान दे रहे हैं. 'विसीकोन-2022' में सेना से रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय ने सही समय पर वैस्कुलर सर्जरी और उसके नतीजों पर व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में देश के सैकड़ों वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए शहादतें दी थीं. इस दौरान हजारों वीर सपूत गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्होंने बताया कि वे और उनकी टीम ने श्रीनगर बेस पर 34 ऐसे वीर जवानों की वैस्कुलर सर्जरी की, जिनके पैरों की धमनियां कट गई थीं. इसमें से वस्कुलर सर्जरी से 33 जवानों के पैर कटने से बचा लिए. सिर्फ एक जवान की वैस्कुलर सर्जरी में देरी हुई. इस वजह से उसकी जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा था.

बता दें कि आगरा में फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में द वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया की 39वें 'विसीकोन-2022' में दूसरे दिन शुक्रवार को सेमिनार में 60 शोध पत्र पेश हुए. इसके साथ ही विशेषज्ञों ने वैरिकोज वेन्स, डायलिसिस के मरीजों के लिए बनाए जाने वाले एवी फिस्टुला, एरोटिक एनेयुरिज्म, डीप वेन थ्रोमबोसिस, डायबिटिक फुट अल्सर जैसे विषयों पर व्याख्यान दिया. शुक्रवार देर रात कार्यक्रम में अभिनेत्री पूजा बत्रा और अभिनेता नवाब शाह मुख्य अतिथि रहे.

सेना से रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय और वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य डॉ. शेखर ने दी जानकारी

सेना से रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय ने अपने व्याख्यान में बताया कि सही समय पर वैस्कुलर सर्जरी की जाए तो उसके बेहतर नतीजे आते हैं. उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध के दौरान उनका बेस श्रीनगर में था. उस समय श्रीनगर बेस में 1600 जवानों का इलाज किया गया. इसमें से बम फटने, गनशॉट से घायल ऐसे 34 वीर योद्धा आए, जिनके पैरों की धमनियां कट गई थीं. देरी होने पर उनकी जान बचाने के लिए पैर काटने पड़ते. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. श्रीनगर बेस पर ही 34 ऐसे गंभीर घायल जवानों की वैस्कुलर सर्जरी की गई. इसके बेहतर नतीजे आए. 33 जवानों के पैर सही सलामत बच गए. सिर्फ एक जवान की जान बचाने के लिए पैर काटना पड़ा. रिटायर्ड कर्नल डॉ. कुमुद राय बताते हैं कि पैर में अटैक के बाद के 6 घंटे बेहद अहम होते हैं. सही समय पर मरीज पहुंच जाए तो उसकी हादसों में कटी रक्त शिराओं को जोड़ा जा सकता है.

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डायबिटिक मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा: वैस्कुलर सोसायटी ऑफ इंडिया के संस्थापक सदस्य चेन्नई के डॉ. शेखर ने बताया कि डायबिटीज से पीड़ित हैं तो उसे सामान्य लोगों के मुकाबले वैस्कुलर बीमारियों का खतरा अधिक रहता है. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन के अध्यक्ष प्रो. अभिजात सेठ ने बताया कि 1994 की बात करें तो देश में 13 वैस्कुलर सर्जन थे. आज द वैस्कुलर सोसायटी से 750 वैस्कुलर सर्जन जुड चुके हैं. अब देश के वैस्कुलर सर्जन विश्वस्तर पर पहचान बना रहे हैं.

एम्स में भी नहीं वैस्कुलर सर्जरी : 'विसीकोन-2022' के आयोजन सचिव डॉ. तपिश साहू ने बताया कि राजधानी दिल्ली के एम्स में भी वैस्कुलर सर्जरी की सुविधा नहीं है. देश की बात करें तो आबादी के मुताबिक 2 से 3 लाख वैस्कुलर सर्जन चाहिए. लेकिन, सिर्फ 750 सर्जन ही देश में हैं. हमारी सोसायटी की कोशिश से पीजीआई चंडीगढ़ में इसका कोर्स और सरकारी अस्पतालों में वैस्कुलर सर्जरी विभाग शुरू कराने की है.

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