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SNMC की रिसर्च में दावाः कोरोना वैक्सीन से ब्लैक फंगस का बचाव, पढे़ं पूरी रिसर्च

कोविड-19 की वैक्सीन हमें कोरोना संक्रमण के साथ ही ब्लैक फंगस से भी बचाती है. ये दावा एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) के चार डिपार्टमेंट के चिकित्सकों की रिसर्च में किया जा रहा है.

SNMC की रिसर्च में दावा
SNMC की रिसर्च में दावा
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Published : Jul 30, 2021, 8:59 PM IST

आगराः कोविड-19 की वैक्सीन कोरोना संक्रमण के साथ ही ब्लैक फंगस से भी बचाती है. चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन लगवाने से कोरोना संक्रमण का असर कम और ब्लैक फंगस भी चपेट में नहीं लेता है. ये रिसर्च ब्लैक फंगस के 98 मरीजों पर हुई है. ईटीवी भारत ने रिसर्च टीम के नोडल अधिकारी और अन्य विशेषज्ञ से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

आपको बदा दें कि आगरा में 18 मई 2021 को ब्लैक फंगस का पहला मरीज रिपोर्ट हुआ था. यह समय वही था, जब यूपी के साथ ही देशभर में ब्लैक फंगस के मरीज रिपोर्ट हो रहे थे. बीते पांच साल की बात करें तो एसएनएमसी में ब्लैक फंगस के पांच मरीज भी नहीं आए. ऐसे में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ने पर एसएनएमसी के ईएनटी विभाग, मेडिसिन विभाग, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग और माइक्रो बाॅयलोजी विभाग के विशेषज्ञों ने रिसर्च करने की योजना बनाई. यह रिसर्च करीब दो महाने तक चली. जिसमें ब्लैक फंगस के 98 मरीजों की हिस्ट्री जुटाई गई. यूपी में अन्य चिकित्सा संस्थान में ब्लैक फंगस पर रिसर्च हो रहे हैं. मगर, सबसे पहले एसएनएमसी की रिसर्च पूरी हुई है.

कोरोना वैक्सीन से ब्लैक फंगस का बचाव

72 मरीजों की सर्जरी की, 9 की निकालनी पड़ी आंख

एसएनएमसी के ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉक्टर अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि, एक महीने से एक भी नया ब्लैक फंगस का वार्ड में भर्ती नहीं हुआ है. ब्लैक फंगस वार्ड में 98 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती किए गए. जिनमें से 72 गंभीर मरीजों की सर्जरी करनी पड़ी. इनमें नौ मरीज ऐसे रहे, जिनकी सर्जरी में एक आंख निकालनी पड़ी. 14 मरीजों का सर्जरी के बाद जबड़ा निकालना पड़ा. इनमें तीन गंभीर मरीज ऐसे रहे, जिनकी एक आंख और जबड़ा भी निकालना पड़ा.

एसएन मेडिकल कॉलेज
एसएन मेडिकल कॉलेज

60 फीसदी मरीजों ने लिए स्टेरॉयड

एसएनएमसी के ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉक्टर अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि, सभी ब्लैक फंगस के 98 मरीजों की ब्लड शुगर अनियंत्रित थी. इनमें 10 फीसदी ऐसे मरीज थे, जो नहीं जानते थे कि, उन्हें डायबिटीज है. उन्हें पहली बार डायबिटीज होने का पता चला. इसके साथ ही ब्लैक फंगस के 60 फीसदी मरीज ऐसे थे, जिन्होंने ये बताया कि, कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान उन्होंने स्टेरॉयड लिए थे. 40 फीसदा मरीजों ने स्टेरॉयड नहीं लिए थे.

एसएन मेडिकल कॉलेज
एसएन मेडिकल कॉलेज

कोरोना वैक्सीन से ब्लैक फंगस से बचाव

एसएनएमसी के ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉक्टर अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि, कोरोना की वैक्सीन भी ब्लैक फंगस से बचाव कर सकती है. क्योंकि, रिसर्च में यह सामने आया है कि, ब्लैक फंगस वार्ड में भर्ती किए गए 98 मरीज में से 95 मरीजों ने कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली थी. तीन मरीजों ने कोरोना वैक्सीन की एक डोज लगवाई थी. एक डोज से शरीर में एंटीबाडी ज्यादा नहीं बनती हैं. इसलिए हम रिसर्च के बाद कह सकते हैं कि, यदि इन मरीजों को कोरोना की वैक्सीन लगी होती तो ब्लैक फंगस इन्हें नहीं होता.

इसे भी पढ़ें- UP CORONA UPDATE: 24 घंटे में मिले 42 नए संक्रमित, 13 जनपद वायरस मुक्त

देहात से आए ब्लैक फंगस के गंभीर मरीज

एसएनएमसी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर गीतू सिंह ने बताया कि, ब्लैक फंगस के मरीजों की रिसर्च में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. भले ही देहात में कोरोना संक्रमण कम था. मगर, देहात से भी 40 फीसदी ब्लैक फंगस के मरीज गंभीर हालत में भर्ती हुए. यह आंकड़ा बहुत था. इसके साथ ही ब्लैक फंगस के मरीजों में युवाओं का आंकड़ा भी ज्यादा था. अनियंत्रित डायबिटीज से यह घातक हो गया था.

आगराः कोविड-19 की वैक्सीन कोरोना संक्रमण के साथ ही ब्लैक फंगस से भी बचाती है. चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना की वैक्सीन लगवाने से कोरोना संक्रमण का असर कम और ब्लैक फंगस भी चपेट में नहीं लेता है. ये रिसर्च ब्लैक फंगस के 98 मरीजों पर हुई है. ईटीवी भारत ने रिसर्च टीम के नोडल अधिकारी और अन्य विशेषज्ञ से एक्सक्लूसिव बातचीत की.

आपको बदा दें कि आगरा में 18 मई 2021 को ब्लैक फंगस का पहला मरीज रिपोर्ट हुआ था. यह समय वही था, जब यूपी के साथ ही देशभर में ब्लैक फंगस के मरीज रिपोर्ट हो रहे थे. बीते पांच साल की बात करें तो एसएनएमसी में ब्लैक फंगस के पांच मरीज भी नहीं आए. ऐसे में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ने पर एसएनएमसी के ईएनटी विभाग, मेडिसिन विभाग, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग और माइक्रो बाॅयलोजी विभाग के विशेषज्ञों ने रिसर्च करने की योजना बनाई. यह रिसर्च करीब दो महाने तक चली. जिसमें ब्लैक फंगस के 98 मरीजों की हिस्ट्री जुटाई गई. यूपी में अन्य चिकित्सा संस्थान में ब्लैक फंगस पर रिसर्च हो रहे हैं. मगर, सबसे पहले एसएनएमसी की रिसर्च पूरी हुई है.

कोरोना वैक्सीन से ब्लैक फंगस का बचाव

72 मरीजों की सर्जरी की, 9 की निकालनी पड़ी आंख

एसएनएमसी के ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉक्टर अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि, एक महीने से एक भी नया ब्लैक फंगस का वार्ड में भर्ती नहीं हुआ है. ब्लैक फंगस वार्ड में 98 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती किए गए. जिनमें से 72 गंभीर मरीजों की सर्जरी करनी पड़ी. इनमें नौ मरीज ऐसे रहे, जिनकी सर्जरी में एक आंख निकालनी पड़ी. 14 मरीजों का सर्जरी के बाद जबड़ा निकालना पड़ा. इनमें तीन गंभीर मरीज ऐसे रहे, जिनकी एक आंख और जबड़ा भी निकालना पड़ा.

एसएन मेडिकल कॉलेज
एसएन मेडिकल कॉलेज

60 फीसदी मरीजों ने लिए स्टेरॉयड

एसएनएमसी के ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉक्टर अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि, सभी ब्लैक फंगस के 98 मरीजों की ब्लड शुगर अनियंत्रित थी. इनमें 10 फीसदी ऐसे मरीज थे, जो नहीं जानते थे कि, उन्हें डायबिटीज है. उन्हें पहली बार डायबिटीज होने का पता चला. इसके साथ ही ब्लैक फंगस के 60 फीसदी मरीज ऐसे थे, जिन्होंने ये बताया कि, कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान उन्होंने स्टेरॉयड लिए थे. 40 फीसदा मरीजों ने स्टेरॉयड नहीं लिए थे.

एसएन मेडिकल कॉलेज
एसएन मेडिकल कॉलेज

कोरोना वैक्सीन से ब्लैक फंगस से बचाव

एसएनएमसी के ब्लैक फंगस के नोडल अधिकारी डॉक्टर अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि, कोरोना की वैक्सीन भी ब्लैक फंगस से बचाव कर सकती है. क्योंकि, रिसर्च में यह सामने आया है कि, ब्लैक फंगस वार्ड में भर्ती किए गए 98 मरीज में से 95 मरीजों ने कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली थी. तीन मरीजों ने कोरोना वैक्सीन की एक डोज लगवाई थी. एक डोज से शरीर में एंटीबाडी ज्यादा नहीं बनती हैं. इसलिए हम रिसर्च के बाद कह सकते हैं कि, यदि इन मरीजों को कोरोना की वैक्सीन लगी होती तो ब्लैक फंगस इन्हें नहीं होता.

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देहात से आए ब्लैक फंगस के गंभीर मरीज

एसएनएमसी के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर गीतू सिंह ने बताया कि, ब्लैक फंगस के मरीजों की रिसर्च में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. भले ही देहात में कोरोना संक्रमण कम था. मगर, देहात से भी 40 फीसदी ब्लैक फंगस के मरीज गंभीर हालत में भर्ती हुए. यह आंकड़ा बहुत था. इसके साथ ही ब्लैक फंगस के मरीजों में युवाओं का आंकड़ा भी ज्यादा था. अनियंत्रित डायबिटीज से यह घातक हो गया था.

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