आगरा: कोरोना की दूसरी लहर के चलते देशभर में दो महीने तक 'लाॅकडाउन' रहा. कोरोना संक्रमण की वजह से एक बार फिर ताजमहल समेत देशभर के सभी संरक्षित स्मारक भी 'लाॅक' कर दिए गए. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) ने इस बंदी में मोहब्बत की निशानी ताजमहल और उसके परिसर की सुंदरता में चार चांद लगाने का काम किया गया. वाॅटर चैनल में क्रिस्टल क्लीयर पानी में चलते फव्वारे सैलानियों को लुभा रहे हैं. यही वजह है कि 60 दिन बाद जब ताजमहल अपने दीवानों के लिए 'अनलाॅक' हुआ तो उसका निखरा संगमरमरी हुस्न पर्यटकों को बेहद पसंद आ रहा है. देखिए और पढिए ईटीवी भारत की ताजमहल के हुस्न में आए निखार पर स्पेशल रिपोर्ट.
एएसआई की ओर से 'लाॅकडाउन' में ताजमहल और उसके परिसर में बहुत तेजी से संरक्षण कार्य कराया गया. दो महीने की बंदी में एएसआई ने ताजमहल परिसर के गार्डन का मेंटीनेंस, वाॅटर चैनल (नहर) के किनारे के खराब पत्थर बदले. ताजमहल की दीवार की मरम्मत की, ताज की एक मीनार का अधूरा संरक्षण का कार्य पूरा किया. इसके साथ ही ताजमहल के मुख्य गुम्बद पर संरक्षण कार्य किया गया. क्योंकि, खराब पत्थर और गंदे पत्थरों से स्मारक की छवि खराब होती थी. जिनका संरक्षण कार्य अब ताजमहल के हुस्न में चार चांद लगा रहा है.
60 दिन बाद अनलाॅक हुए स्मारक
बता दें कि, कोरोना की दूसरी लहर के चलते एएसआई की ओर से देशभर के सभी स्मारक 15 अप्रैल 2021 को पर्यटकों के लिए बंद कर दिए. एएसआई की ओर से 16 जून 2021 को पर्यटकों के लिए ताजमहल सहित स्मारक 'अनलाॅक' कर दिए.
संरक्षण कार्य में यह दिक्कत भी आईं
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि, संरक्षण कार्य के दौरान दो वजह से दिक्कत का सामना करना पडा.'लाॅकडाउन' की वजह से मजदूर घर चले गए. करीब 45 दिन ऐसे रहे, जब मजदूर भी काम कराने के लिए नहीं मिले. इसलिए संरक्षण कार्य में मजदूरों की संख्या की समस्या रही. इसके साथ ही 'लाॅकडाउन' की वजह से राजस्थान में मार्बल और पत्थर की खदानें भी बंद हो गई थीं. लेकिन कुछ दिन बाद भी राजस्थान से स्टाॅक से लाल पत्थर और अन्य मार्बल की आपूर्ति शुरू हो गई. जिससे काम सुचारू रूप से चल सका.
अधिक तापमान से रुका 'मड पैक'
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि, पहले 'लाॅकडाउन' में ताजमहल के मुख्य गुम्बद पर 'मडपैक' करने की प्लालिंग की गई थी. लेकिन अधिक तापमान होने की वजह से 'मडपैक' का काम नहीं किया गया. क्योंकि, 'मड पैक' के दौरान नमी होना जरूरी है. इसलिए 'मड पैक' का काम नहीं किया गया है. अब आगे समय आने पर 'मड पैक' किया जाएगा.
35 लाख रुपये के संरक्षण कार्य कराए गए
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार का कहना है कि, लाॅकडाउन में ताजमहल और परिसर में जहां पर भी जरूरत थी. वहां पर मरम्मत और संरक्षण का काम किया गया है. जिसमें ताजमहल के मुख्य गुम्बद, मीनार, ताजमहल की दीवार, बुर्जी, नौबत खाना, तामहल का ईस्टर्न बरामदा, वाॅटर चैनल और फौव्वारों की भी मरम्मत काम किया गया है. इसमें करीब 30 से 35 लाख रुपए का संरक्षण कार्य कराया गया है.
ताजमहल में किया गया संरक्षण कार्य
- ताजमहल की पश्चिमी दीवार का पश्चिम गेट से खाने आलम तक मरम्मत कार्य किया गया है. इसमें खराब पत्थर बदले गए हैं. कुछ डेकोरेट पत्थर भी खराब हो गए थे. उन्हें भी बदला गया है. यह काम अभी चल रहा है.
- राॅयल गेट के सीधे हाथ की ओर से ईस्टर्न बरामदा है. उसका मरम्मत कार्य किया गया है. कुछ पिलर बदले गए हैं. जो, गल गए थे. पत्थर भी बदले गए हैं. इस बरामदे का पूरा मरम्मत कार्य किया गया है.
- ताजमहल की साउथ-वेस्ट मीनार की मरम्मत का कार्य पूरा किया गया है. पहले ताजमहल की तीन मीनारों की मरम्मत काम पूरा हो चुका था. अब साउथ-वेस्ट मीनार का संरक्षण कार्य कराया गया है.
- ताजमहल के मुख्य गुम्मद की पॉइंटिंग का काम बकाया था. जिससे पूरा किया गया है. इसमें खराब पत्थर बदले गए हैं. यह काम पूरा हो गया है.
- ताजमहल के वाॅटर चैनल में राॅयल गेट से मुख्य गुम्मद तक लगे किनारे के खराब पत्थरों को बदला गया है. जो लगातार फव्वारों का पानी गिरने से गल गए थे. फव्वारों का प्रेशर सेट किया गया है.
- नौबतखाना की मरम्मत का काम किया गया है. इसके साथ ही साउथ-वेस्ट की बुर्जी का मरम्मत कार्य भी किया गया है.