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जब श्री राम ने तोड़ा शिव धुनष और मां सीता ने पहनाई वरमाला...

आगरा में चल रहे ताज महोत्सव में सियाराम अवधपुरी से जनकपुरी तक नाम से नृत्य नाटिका का मंचन किया गया. इसमें प्रभु श्री राम की लीलाओं का मंचन भी किया गया.

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Published : Feb 19, 2019, 11:54 AM IST

ताज महोत्सव में किया सीता स्वंयवर का नृत्य नाटक मंचन.

आगरा: ताज महोत्सव में मुक्ताकाश मंच से भगवान श्री राम की लीलाओं पर आधारित नृत्य नाटिका 'सियाराम अवधपुरी से जनकपुरी तक' का मंचन किया गया. इसमें प्रभु श्री राम की लीलाओं और गाथाओं को कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियों से वर्णित किया. बता दें कि ताज महोत्सव का उद्घाटन इस नृत्य नाटिका से होना था, लेकिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद ताज महोत्सव की थीम बदलनी पड़ी थी.


नौटंकी कत्थक और रामायण शैली का मिलन ताज महोत्सव में शिल्पग्राम के मुक्ताकाश मंच से दर्शकों को देखने को मिला. लखनऊ की संस्था सत्य समर्पण की ओर से शिल्पग्राम के मुक्ताकाश मंच से रात करीब 9 बजे के बाद जैसे ही नाट्य प्रस्तुति 'सियाराम अवधपुरी से जनकपुरी' शुरू हुई वैसे ही पूरा मंच स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इस नृत्य नाटिका में त्रेता युग में भगवान श्री राम के जन्म, उनकी शिक्षा फिर जनकपुरी में जाकर धनुष यज्ञ में शामिल होना दिखाया गया.

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इसके बाद धनुष यज्ञ में दूर दूर देशों से आए राजाओं के धनुष को उठाने का प्रयास करने के बाद नहीं उठा पाना दिखाया गया. साथ ही धनुष यज्ञ में पहुंचे रावण और बाणासुर ने भी अपने संवाद के जरिए लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया. अंत में प्रभु श्री राम ने धनुष यज्ञ में शिव धनुष तोड़ा और फिर सीता जी ने उनके गले में जयमाला डाली. करीब दो घंटे तक चली इस नृत्य नाटिका में दर्शकों का अपनी कुर्सी से उठने की मन ही नहीं बना. दर्शक भाव विभोर होकर प्रभु श्री राम की लीलाओं को देखते रहे.

आगरा: ताज महोत्सव में मुक्ताकाश मंच से भगवान श्री राम की लीलाओं पर आधारित नृत्य नाटिका 'सियाराम अवधपुरी से जनकपुरी तक' का मंचन किया गया. इसमें प्रभु श्री राम की लीलाओं और गाथाओं को कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियों से वर्णित किया. बता दें कि ताज महोत्सव का उद्घाटन इस नृत्य नाटिका से होना था, लेकिन पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद ताज महोत्सव की थीम बदलनी पड़ी थी.


नौटंकी कत्थक और रामायण शैली का मिलन ताज महोत्सव में शिल्पग्राम के मुक्ताकाश मंच से दर्शकों को देखने को मिला. लखनऊ की संस्था सत्य समर्पण की ओर से शिल्पग्राम के मुक्ताकाश मंच से रात करीब 9 बजे के बाद जैसे ही नाट्य प्रस्तुति 'सियाराम अवधपुरी से जनकपुरी' शुरू हुई वैसे ही पूरा मंच स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. इस नृत्य नाटिका में त्रेता युग में भगवान श्री राम के जन्म, उनकी शिक्षा फिर जनकपुरी में जाकर धनुष यज्ञ में शामिल होना दिखाया गया.

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इसके बाद धनुष यज्ञ में दूर दूर देशों से आए राजाओं के धनुष को उठाने का प्रयास करने के बाद नहीं उठा पाना दिखाया गया. साथ ही धनुष यज्ञ में पहुंचे रावण और बाणासुर ने भी अपने संवाद के जरिए लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया. अंत में प्रभु श्री राम ने धनुष यज्ञ में शिव धनुष तोड़ा और फिर सीता जी ने उनके गले में जयमाला डाली. करीब दो घंटे तक चली इस नृत्य नाटिका में दर्शकों का अपनी कुर्सी से उठने की मन ही नहीं बना. दर्शक भाव विभोर होकर प्रभु श्री राम की लीलाओं को देखते रहे.

Intro:आगरा।
आगरा के मुगलिया ताज महोत्सव में मुक्ताकाश मंच से भगवान श्री राम की लीलाओं पर आधारित नृत्य नाटिका सियाराम अवधपुरी से जनकपुरी तक का मंचन किया गया। जिसमें प्रभु श्री राम की लीलाओं और गाथाओं को कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियों से वर्णित किया। पहले इसी नृत्य नाटिका से ताज महोत्सव का उद्घाटन होना था। मगर पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद उद्घाटन समारोह की पूरी थीम बदल गई। पहले देश मंच से शहीदों को मुख्य अतिथि राज्यपाल राम नाईक और विशिष्ट अतिथियों ने श्रद्धांजलि दी। उसके बाद देश भक्ति गीत से ताज महोत्सव का आगाज हुआ।





Body:नौटंकी कत्थक और रामायण शैली का मिलन ताज महोत्सव में शिल्पग्राम के मुक्ताकाश मंच से दर्शकों को देखने के लिए मिला। लखनऊ की संस्था सत्य समर्पण की ओर से शिल्पग्राम के मुक्ताकाश मंच से रात करीब 9 बजे के बाद नाट्य प्रस्तुति सियाराम अवधपुरी से जनकपुरी शुरू हुई, वैसे ही पूरा मंच स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इस नृत्य नाटिका में प्रभु श्रीराम त्रेता युग में भगवान श्री राम के जन्म, उनकी शिक्षा फिर जनकपुरी में जाकर धनुष यज्ञ में शामिल होना। धनुष यज्ञ में किस तरह से दूर दूर देशों से आए राजाओं ने धनुष को उठाने का प्रयास किया लेकिन नहीं उठा सके। इसके साथ ही धनुष यज्ञ में पहुंचे रावण और बाणासुर ने भी अपने संवाद के जरिए लोगों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। अंत में प्रभु श्री राम ने धनुष यज्ञ धनुष शिव धनुष तोड़ा और फिर सीता जी ने उनके गले में जयमाला डाली। 2 घंटे तक चली इस नृत्य नाटिका में दर्शकों का अपनी कुर्सी से उठने की मन ही नहीं बना। वह भाव विभोर होकर प्रभु श्री राम की लीलाओं को देखते रहे।


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