आगराः स्मार्ट होने के बाद भी ताजनगरी की जनता को अभी तक स्मार्ट सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. स्मार्ट सिटी योजना (smart city plan) के तहत आगरा नगर निगम में इंटीग्रेटिड कमांड एंड कंट्रोल (Integrated Command and Control) से कनेक्ट करके इमरजेंसी में हेल्प के पैनिक बटन से चौहरों पर लगाए गए हैं, जिनसे हेल्प की बात दूर, अब बीप की आवाज भी नहीं आती है. इतना ही कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से महज 150 मीटर की दूरी पर सूर सदन चौराहा पर पैनिक बटन बदलवाने पर कोई रेस्पांस नहीं मिलता है. वहीं, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ो रुपये इसमें बर्बाद हो गए हैं.
बता दें कि आगरा पर्यटन नगरी है, जहां रोजाना हजारों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं. आगरा की जनता और पर्यटकों को स्मार्ट सुविधाएं मिलें, इसके लिए केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में आगरा का चयन हुआ. इसके तहत आगरा में 282 करोड़ रुपये से एकीकृत कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाया गया. इसके साथ ही हर इमरजेंसी में शहर के चौराहों और प्रमुख स्थानों पर युवक, युवती, महिला और पुरुषों को हेल्प मिले. इसके लिए शहर में पैनिक बटन लगाने की योजना है, जिसमें से अभी तक 39 चौराहों पर पैनिक बटन भी गए गए. मगर, देखभाल के अभाव में लगाए गए पैनिक बटन बदहाल हैं. पैनिक बटन शोपीस हैं. इस बारे में स्मार्ट सिटी के पीएमसी लीडर आनंद मेनन ने बताया कि, जो पैनिक बटन खराब है उन्हें ठीक करा जा रहा है.
पैनिक बटन जल्द ठीक कराए जाएं
राहगीर अनामिका का कहना है कि 'मेरे हिसाब पैनिक बटन को जल्द से जल्द ठीक कराए जाए. अक्सर करके सड़क पर सुरक्षा की हमें जरूरत है, जैसे कोई हमें परेशान कर रहा है. ज्यादा जगह पर पुलिस भी नहीं होती है. हमारे साथ परिजन भी नहीं होते हैं. ऐसे में कोई भी अनहोनी या अपराध होने पर हमें पैनिक बटन से मदद ले सकते हैं. महिला की सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है. मगर, यह बंद हैं यह गलत है, इसे जल्द से जल्द इसे चालू करना चाहिए. वहीं, राहगीर सरोज ने बताया कि, पैनिक बटन बदल कर दूसरे लगा देने चाहिए, जिससे यदि कोई हादसा या अनहोनी होने पर महिला और बेटियों को पैनिक बटन से इमरजेंसी में मदद मिल सके.
आप का दावा 18 करोड़ रुपये का बजट किया खर्च
आम आदमी पार्टी की महानगर अध्यक्ष सपना गुप्ता ने बताया कि पैनिक बटन काम नहीं कर रहे हैं. यह पैनिक बठन महिलाओं की सुरक्षा को देखकर लगाए गए. यह योजना बेहतर है. पैनिक बटन लगाने में सरकार ने करीब 18 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इनकी देखरेख पर भी लाखों रुपये खर्च होते हैं. यह जनता की कमाई से बनाए गए हैं. मगर, पैनिक बटन बंद हैं, जबकि, यह सही होना बहुत जरूरी है, जिससे महिला, युवती, छात्राओं और हर जरूरतमंद को इमरजेंसी में मिल सके.
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