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आगरा: 'हिंदी' से भारत और उज्बेकिस्तान की मित्रता मजबूत - about the country of ujbekistan and kajakistan

केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से विदेशों में हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिये रिफ्रेशर कोर्स कराया जाता है. उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से आये हिंदी शिक्षकों ने इस बारे में हमसे अपने अनुभव साझा किये.

अब हिंदी भाषा से दोनों देशों के संबंध होंगे मजबूत
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Published : Jul 15, 2019, 11:52 PM IST

आगरा: हिंदी बोली और भाषा की मिठास उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा है. दोनों देश के यूथ में हिंदी पढ़ने का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान में दोनों देशों से आए हिंदी शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए.

केंद्रीय हिंदी संस्थान में सोमवार को उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान देशों से आये हिंदी शिक्षकों का सम्मेलन

उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान में हिंदी का महत्व-

  • केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से विदेश में हिंदी का अध्यापन कर रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स तीन साल से कराया जा रहा है.
  • केंद्रीय हिंदी संस्थान में सोमवार को 17 सदस्य कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के हिंदी शिक्षकों का एक दल आगरा आया.
  • उज्बेकिस्तान से आई हिंदी की शिक्षिका मखतूवा ने बताया कि भारत और उज्बेकिस्तान के राजनीतिक, कूटनीतिक और मित्रता के संबंध बहुत पुराने हैं.
  • हिंदी भाषा उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की मित्रता को मजबूत बनाने में एक पुल का काम कर रही है.
  • इन देशों में हिंदी को पढ़ाने को खूब तवज्जो दी जा रही है और यूथ में भी हिंदी पढ़ने को लेकर ललक है.

उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से 17 सदस्यीय शिक्षकों का एक दल आगरा आया है. यह सभी शिक्षक एक हफ्ता तक आगरा में एक हफ्ते दिल्ली केंद्र से हिंदी पढ़ाने के स्किल्स जानेंगे. इसके साथ ही भारत की संस्कृति और इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए शैक्षिक भ्रमण भी करेंगे. आगरा, मथुरा, बरसाना, गोवर्धन, वृंदावन गांव के साथ ही दिल्ली में शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा. हिंदी संस्थान बीते 3 साल से लगातार विदेशों में हिंदी का पठन-पाठन करा रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स आयोजित करता रहा है.
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक नंद किशोर पांडेय

आगरा: हिंदी बोली और भाषा की मिठास उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा है. दोनों देश के यूथ में हिंदी पढ़ने का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान में दोनों देशों से आए हिंदी शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए.

केंद्रीय हिंदी संस्थान में सोमवार को उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान देशों से आये हिंदी शिक्षकों का सम्मेलन

उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान में हिंदी का महत्व-

  • केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से विदेश में हिंदी का अध्यापन कर रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स तीन साल से कराया जा रहा है.
  • केंद्रीय हिंदी संस्थान में सोमवार को 17 सदस्य कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के हिंदी शिक्षकों का एक दल आगरा आया.
  • उज्बेकिस्तान से आई हिंदी की शिक्षिका मखतूवा ने बताया कि भारत और उज्बेकिस्तान के राजनीतिक, कूटनीतिक और मित्रता के संबंध बहुत पुराने हैं.
  • हिंदी भाषा उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की मित्रता को मजबूत बनाने में एक पुल का काम कर रही है.
  • इन देशों में हिंदी को पढ़ाने को खूब तवज्जो दी जा रही है और यूथ में भी हिंदी पढ़ने को लेकर ललक है.

उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से 17 सदस्यीय शिक्षकों का एक दल आगरा आया है. यह सभी शिक्षक एक हफ्ता तक आगरा में एक हफ्ते दिल्ली केंद्र से हिंदी पढ़ाने के स्किल्स जानेंगे. इसके साथ ही भारत की संस्कृति और इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए शैक्षिक भ्रमण भी करेंगे. आगरा, मथुरा, बरसाना, गोवर्धन, वृंदावन गांव के साथ ही दिल्ली में शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा. हिंदी संस्थान बीते 3 साल से लगातार विदेशों में हिंदी का पठन-पाठन करा रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स आयोजित करता रहा है.
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक नंद किशोर पांडेय

Intro:आगरा.
हिंदी बोली और भाषा की मिठास उज्बेकिस्तान व कजाकिस्तान के लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा है. दोनों देश के यूथ में हिंदी पढ़ने का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान में उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से आए हिंदी शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए. कहा कि हिंदी भाषा उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की मित्रता को मजबूत बनाने में एक पुल का काम कर रही है. हमारे देशों में हिंदी को पढ़ाने की खूब तवज्जो दी जा रही है. और यूथ में भी खूब हिंदी पढ़ने को लेकर ललक है.


Body:केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से विदेश में हिंदी का अध्यापन करा रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स 3 साल से करा रहा है. केंद्रीय हिंदी संस्थान में सोमवार को 17 सदस्य कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के हिंदी शिक्षकों का एक दल आगरा आया. कितनी हिंदी संस्थान में सभी का रोली और चंदन लगाने के बाद माल्या पढ़कर के स्वागत किया गया. जिससे सभी शिक्षक भावविभोर हो गए.
उज्बेकिस्तान से आई हिंदी की शिक्षिका मखतूवा ने बताया कर भारत और उज्बेकिस्तान के राजनीतिक कूटनीतिक और मित्रता के संबंध बहुत पुराने हैं. हिंदी भाषा इन राजनीतिक, कूटनीतिक और मित्रता के संबंधों को और मजबूत करने में एक पुल की तरह कार्य कर रही है.
कजाकिस्तान की हिंदी शिक्षिका एदाना ने बताया कि हिंदी भाषा बहुत सुंदर है. हमारे देश में सन 1992 से विश्वविद्यालय में ही हिंदी को पढ़ाया जा रहा है. हमारे देश में हिंदी पढ़ाने वाले व पढ़ने वाले लोग बढ़े हैं. बीते कुछ सालों की बात करें, तो 1000 से ज्यादा लोगों ने हिंदी सीखी है.
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक नंद किशोर पांडे ने बताया उज्बेकिस्तान और कजाखस्तान से 17 सदस्य शिक्षकों का एक दल आगरा आया है. यह सभी शिक्षक एक हफ्ता तक आगरा में एक हफ्ते दिल्ली केंद्र से हिंदी पढ़ाने के स्किल्स की जानेंगे. इसके साथ ही भारत की संस्कृति और इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए शैक्षिक भ्रमण भी करेंगे. आगरा, मथुरा, बरसाना, गोवर्धन, वृंदावन गांव के साथ ही दिल्ली में शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा. हिंदी संस्थान बीते 3 साल से लगातार विदेशों में हिंदी का पठन-पाठन करा रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स आयोजित करता रहा है.


Conclusion:केंद्रीय हिंदी संस्थान विदेशों में हिंदी के पठन-पाठन के लिए कई पहल और प्रयास कर रहा है. इसमें कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के हिंदी शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स कराया जा रहा है.जिसमें दोनों देश के 17 हिंदी शिक्षक शामिल होने भारत आए हैं.
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पहली बाइट उज्बेकिस्तान से आई हिंदी की शिक्षिका मखतूवा की, दूसरी बाइट कजाकिस्तान की हिंदी शिक्षिका एदाना की और तीसरी बाइट केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक नंद किशोर पांडेय की है.

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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