आगरा: हिंदी बोली और भाषा की मिठास उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान के लोगों की जुबान पर चढ़ने लगा है. दोनों देश के यूथ में हिंदी पढ़ने का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान में दोनों देशों से आए हिंदी शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए.
उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान में हिंदी का महत्व-
- केंद्रीय हिंदी संस्थान की ओर से विदेश में हिंदी का अध्यापन कर रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स तीन साल से कराया जा रहा है.
- केंद्रीय हिंदी संस्थान में सोमवार को 17 सदस्य कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के हिंदी शिक्षकों का एक दल आगरा आया.
- उज्बेकिस्तान से आई हिंदी की शिक्षिका मखतूवा ने बताया कि भारत और उज्बेकिस्तान के राजनीतिक, कूटनीतिक और मित्रता के संबंध बहुत पुराने हैं.
- हिंदी भाषा उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान की मित्रता को मजबूत बनाने में एक पुल का काम कर रही है.
- इन देशों में हिंदी को पढ़ाने को खूब तवज्जो दी जा रही है और यूथ में भी हिंदी पढ़ने को लेकर ललक है.
उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से 17 सदस्यीय शिक्षकों का एक दल आगरा आया है. यह सभी शिक्षक एक हफ्ता तक आगरा में एक हफ्ते दिल्ली केंद्र से हिंदी पढ़ाने के स्किल्स जानेंगे. इसके साथ ही भारत की संस्कृति और इतिहास के बारे में जानकारी देने के लिए शैक्षिक भ्रमण भी करेंगे. आगरा, मथुरा, बरसाना, गोवर्धन, वृंदावन गांव के साथ ही दिल्ली में शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा. हिंदी संस्थान बीते 3 साल से लगातार विदेशों में हिंदी का पठन-पाठन करा रहे शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स आयोजित करता रहा है.
केंद्रीय हिंदी संस्थान के निदेशक नंद किशोर पांडेय