आगरा: कोरोना संक्रमण के कहर से जूझ रही ताजनगरी पर फिर से पाकिस्तानी आफत यानी टिड्डियों का खतरा मंडराने लगा है. कभी भी हवा का रुख बदलने पर टिड्डियां जिले में आ सकती हैं. जुलाई और अगस्त में किसानों का पुराना दुश्मन (टिड्डियां) फिर से खेतों में खड़ी फसलों पर आक्रमण कर उन्हें चट कर सकता है. कृषि विभाग जिले में किसानों को टिड्डियों को लेकर जागरूक करने के लिए गांव-गांव मुनादी करवा रहा है.
पाकिस्तान-राजस्थान बॉर्डर पर टिड्डियों की ब्रीडिंग
जिला कृषि और कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. रामप्रवेश ने बताया कि अभी जुलाई और अगस्त तक आगरा में टिड्डी दल आने की संभावना है. क्योंकि, इनका ब्रीडिंग एरिया पाकिस्तान और राजस्थान का बॉर्डर, अफगानिस्तान बॉर्डर और सोमालिया है.
110 किमी. की दूरी पर है 'आफत'
जिला कृषि और कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. रामप्रवेश ने बताया कि आगरा के सीमावर्ती जिलों की बात करें तो राजस्थान के दौसा और करौली में छह टिड्डी दल हैं. वहीं दोसा में 5 टिड्डी दल और करौली में एक टिड्डी दल है. आगरा से करीब 100 से 110 किलोमीटर दूरी पर यह टिड्डी दल हैं. राजस्थान के जयपुर, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, चुरू, श्रीगंगानगर समेत अन्य जिलों में कई टिड्डी दल हैं, जो हवा का रुख बदलते ही उत्तर प्रदेश या मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश कर सकते हैं.
स्प्रेयर मशीन से केमिकल का होगा छिड़काव
जिला कृषि और कृषि रक्षा अधिकारी डॉ. रामप्रवेश ने बताया कि टिड्डी दल को लेकर जिले में किसानों के 250 स्प्रेयर मशीन सहित ट्रैक्टर की सूची बनाई है. जैसे ही टिड्डी दल आएगा, उस क्षेत्र में केमिकल का छिड़काव करने के लिए ट्रैक्टर स्प्रेयर मशीन पहुंच जाएगा. उन्होंने बताया कि टिड्डी दल पर केमिकल का छिड़काव करने के लिए फायर ब्रिगेड की दमकल की गाड़ियां भी मिली हैं. केंद्र सरकार की टीम भी ड्रोन से टिड्डी दल का खात्मा करने आ जाएगी.
कृषि रक्षा अधिकारी ने बताया कि जिले में पर्याप्त मात्रा में केमिकल मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि टिड्डी दल से बचाव के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है. इसके साथ ही मुनादी भी कराई जा रही है.
'टिड्डियां ही टिड्डियां नजर आती हैं'
किसान माता प्रसाद ने बताया कि टिड्डियों को भगाने के लिए हम तमाम कीटनाशक दवाओं का उपयोग कर रहे हैं. शंख, झालर, ढोल बजाने के साथ ही थाली पीटते हैं. इसके साथ ही खेतों पर धुआं भी कर रहे हैं. वहीं किसान सतीश ने बताया कि टिड्डियां फसलों को तबाह कर रही हैं. टिड्डियों की संख्या इतनी होती है कि आसमान में अंधेरा तक छा जाता है. जितनी दूर तक नजर दौड़ाओ, टिड्डियां ही टिड्डियां नजर आती हैं.
रंग बदलती हैं टिड्डियां
टिड्डियों का जीवन चक्र 10 सप्ताह का होता है. इनका आकार 2 से 2.5 इंच तक होता है. टिड्डियां उम्र भर रंग बदलती रहती हैं. पहले गुलाबी रंग की टिड्डी धीरे-धीरे धुंधले स्लेटी और भूरेपन लेकर लाल रंग की हो जाती हैं. परिपक्व अवस्था में टिड्डियां पीले रंग की होती हैं. अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में टिड्डियों का रंग काला हो जाता है.
इन फसलों को है खतरा
- बाजरा
- मक्का
- कपास
- ज्वार
- मूंग
- उड़द
- हरी सब्जियां
फलदार वृक्षों पर भी संकट
- आम
- अमरूद
- फालसे
- जामुन
ऐसे करें बचाव
- खेतों में आग जलाएं.
- खेतों में पटाखे फोड़ें.
- खाली थालियां बजाएं.
- ढोल और नगाड़े बजाएं.
- तेज ध्वनि में डीजे बजाएं.
टिड्डी दल पर एक नजर:
- 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ने की क्षमता रखता है टिड्डी दल.
- एक दिन में टिड्डी दल 150 से 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है.
टिड्डी दल नियंत्रण के लिए उपाय
टिड्डी दल को नियंत्रित करने के लिए 250 ट्रैक्टर स्प्रेयर मशीन का बंदोबस्त किया गया है. इनके माध्यम से कीटनाशक का छिड़काव किया जाएगा. कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को भी लगाया जाएगा. 400 किलोग्राम केमिकल की भी व्यवस्था की गई है. इसके अलावा प्रशासन किसानों को जागरूक करने का भी काम कर रहा है. इसके लिए गांव-गांव मुनादी कराई जा रही है.
लाखों की फसल हो सकती है बर्बाद
आगरा में डबल अटैक से जिला प्रशासन की नींद उड़ी हुई है. पहले ही कोरोना संक्रमण जिला प्रशासन की किरकिरी करा रहा है. अब पाकिस्तान से आए टिड्डी दल भी बड़ी समस्या बन गया है. अब अगर टिड्डी दल आया तो खेतों में खड़ी लाखों की फसल बर्बाद हो जाएगी.