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आगरा के लिविंग स्टैच्यू गोल्डमैन स्माइल, ताजमहल देखने वाले पर्यटकों को देते हैं मुस्कुराहट - ताजमहल देखने वाले पर्यटकों

आप बिना हिले-डुले कितनी देर खड़े रह सकते हैं. ज्यादा से ज्यादा पांच मिनट. मगर आगरा में ताजमहल के पास दिखने वाला लिविंग स्टैच्यू गोल्डमैन (Living Statue Goldman in agra) तीन घंटे तक एक ही पोज में खड़ा रहता है. इस दौरान वह पलक भी नहीं झपकाते. मगर गोल्डमैन बनने वाले स्माइल की कहानी उनके प्रफेशन की तरह संघर्षों से भरी है.

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Etv Bharat Goldman Statue roaming on the streets of Agra
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Published : Nov 24, 2022, 3:11 PM IST

आगरा : ताजमहल देखने आने वाले इन दिनों शानदार इमारत के साथ गोल्डमैन स्टैच्यू की चर्चा भी कर रहे हैं. सिर से लेकर पांव तक सुनहरे रंग में रंगे गोल्डमैन से हाथ मिलाकर हर पर्यटक खुश होता है. इस गोल्डमैन की खासियत है कि वह तीन घंटे तक बिना हिले-डुले एक ही पोज में खड़ा रहता है. उसके साथ सेल्फी लेकर लोग ताज के दीदार को और यादगार बना रहे हैं. मगर गोल्डमैन स्टैच्यू (Living Statue Goldman) बनकर लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने वाले स्माइल (17) की कहानी संघर्षों से भरी हुई है.

आगरा के लिविंग स्टैच्यू गोल्डमैन स्माइल
जिंदा स्टैच्यू (Living Statue Art) बनना एक आर्ट है. ऑस्ट्रिया, अमेरिका, फ्रांस समेत कई अमेरिकी और यूरोपीय देशों में कलाकार स्टैच्यू बनकर लोगों को आकर्षित करते हैं. विदेशों में यह आर्ट उनकी रोजी रोटी का बड़ा जरिया है. भारत में यह कला अभी ज्यादा पॉपुलर नहीं है. मगर ताजनगरी के तौर पर मशहूर आगरा का गोल्डमैन स्टैच्यू पर्यटकों को अपने हुनर के जरिये लुभा रहा है. ताजमहल की ओर जाने वाले रास्ते पर कलाकार इस्माइल सिर से लेकर पैर तक गोल्डन कलर में रंगे बुत बने नजर आएंगे. ताजनगरी आगरा के लोगों ने इन्हें देशी गोल्डमैन का नाम दे रखा है. मूल रूप से महाराजगंज के रहने वाले इस्माइल खां (17) आगरा आने वाले सैलानियों की पहली पसंद बन रहे हैं. इस्माइल ने स्टैच्यू बनने की कला 4 महीने पहले गोरखपुर में रहने वाले अपने गुरु से सीखी. इस्माइल ने इंटरनेट पर विदेशों में पॉपुलर लिविंग स्टैच्यू का वीडियो देखा तो उनके मन में भी ऐसा करने का ख्याल आया. फिर उन्होंने 4 महीने की कड़ी प्रैक्टिस के बाद लिविंग स्टैच्यू बनने की कला को अपने अंदर उतार लिया.

गोल्डमैन की असली दुनिया में गोल्ड नहीं गरीबी है : इस्माइल (17) जनपद महाराजगंज के निवासी हैं. उनके परिवार में 7 सदस्य हैं. पिता इब्राहिम एक विद्यालय में परिचालक का काम करते हैं. इस्माइल घर में सबसे बड़े हैं. उनके अलावा 4 छोटे भाई-बहन हैं. पिता की कमाई घर की जरूरतें पूरी नहीं होती थी. कच्चा घर बारिश की वजह से जर्जर हो गया है.अब छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई का बोझ भी इस्माइल के कंधों पर हैं. इस्माइल भी 12वीं पास हैं, लेकिन घर की जिम्मेदारियों की वजह से दिल्ली और आगरा के रुख किया. स्माइल आगरा में फिलहाल ग्वालियर रोड स्थित सेवला क्षेत्र में रहते हैं और रोज सुबह घर से गोल्डन सूट पहन कर ताजमहल या आगरा किले पर आ जाते हैं. वह सैलानियों के सामने अपनी स्टैच्यू बनने की कला का प्रदर्शन करते हैं. उससे जो दिन भर की कमाई होती हैं, उसमें से कुछ पैसे अपने गांव भेज देते हैं. कमाई ज्यादा नहीं होती है, इसलिए पूरे शहर में पैदल ही घूमते हैं.

इस्माइल ने बताया कि इस सुनहरे सूट-बूट को उन्होंने अपने मामा की शादी में खरीदा था. बाद में उसी सूट पर ही गोल्डन कलर से पोतकर कॉस्ट्यूम बना ली. फिलहाल वह भी आगरा घूमने आने वाले सैलानी उनके साथ सेल्फी लेने से खुश हैं. उन्हें लगता है कि जब लोग उनके साथ फोटो और वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डालेंगे तो दुनिया में उनकी पहचान बनेगी.

पढ़ें : 80 साल की वृद्धा संग रैंप पर मंत्रीजी ने किया कैटवॉक, देखिए Video

आगरा : ताजमहल देखने आने वाले इन दिनों शानदार इमारत के साथ गोल्डमैन स्टैच्यू की चर्चा भी कर रहे हैं. सिर से लेकर पांव तक सुनहरे रंग में रंगे गोल्डमैन से हाथ मिलाकर हर पर्यटक खुश होता है. इस गोल्डमैन की खासियत है कि वह तीन घंटे तक बिना हिले-डुले एक ही पोज में खड़ा रहता है. उसके साथ सेल्फी लेकर लोग ताज के दीदार को और यादगार बना रहे हैं. मगर गोल्डमैन स्टैच्यू (Living Statue Goldman) बनकर लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने वाले स्माइल (17) की कहानी संघर्षों से भरी हुई है.

आगरा के लिविंग स्टैच्यू गोल्डमैन स्माइल
जिंदा स्टैच्यू (Living Statue Art) बनना एक आर्ट है. ऑस्ट्रिया, अमेरिका, फ्रांस समेत कई अमेरिकी और यूरोपीय देशों में कलाकार स्टैच्यू बनकर लोगों को आकर्षित करते हैं. विदेशों में यह आर्ट उनकी रोजी रोटी का बड़ा जरिया है. भारत में यह कला अभी ज्यादा पॉपुलर नहीं है. मगर ताजनगरी के तौर पर मशहूर आगरा का गोल्डमैन स्टैच्यू पर्यटकों को अपने हुनर के जरिये लुभा रहा है. ताजमहल की ओर जाने वाले रास्ते पर कलाकार इस्माइल सिर से लेकर पैर तक गोल्डन कलर में रंगे बुत बने नजर आएंगे. ताजनगरी आगरा के लोगों ने इन्हें देशी गोल्डमैन का नाम दे रखा है. मूल रूप से महाराजगंज के रहने वाले इस्माइल खां (17) आगरा आने वाले सैलानियों की पहली पसंद बन रहे हैं. इस्माइल ने स्टैच्यू बनने की कला 4 महीने पहले गोरखपुर में रहने वाले अपने गुरु से सीखी. इस्माइल ने इंटरनेट पर विदेशों में पॉपुलर लिविंग स्टैच्यू का वीडियो देखा तो उनके मन में भी ऐसा करने का ख्याल आया. फिर उन्होंने 4 महीने की कड़ी प्रैक्टिस के बाद लिविंग स्टैच्यू बनने की कला को अपने अंदर उतार लिया.

गोल्डमैन की असली दुनिया में गोल्ड नहीं गरीबी है : इस्माइल (17) जनपद महाराजगंज के निवासी हैं. उनके परिवार में 7 सदस्य हैं. पिता इब्राहिम एक विद्यालय में परिचालक का काम करते हैं. इस्माइल घर में सबसे बड़े हैं. उनके अलावा 4 छोटे भाई-बहन हैं. पिता की कमाई घर की जरूरतें पूरी नहीं होती थी. कच्चा घर बारिश की वजह से जर्जर हो गया है.अब छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई का बोझ भी इस्माइल के कंधों पर हैं. इस्माइल भी 12वीं पास हैं, लेकिन घर की जिम्मेदारियों की वजह से दिल्ली और आगरा के रुख किया. स्माइल आगरा में फिलहाल ग्वालियर रोड स्थित सेवला क्षेत्र में रहते हैं और रोज सुबह घर से गोल्डन सूट पहन कर ताजमहल या आगरा किले पर आ जाते हैं. वह सैलानियों के सामने अपनी स्टैच्यू बनने की कला का प्रदर्शन करते हैं. उससे जो दिन भर की कमाई होती हैं, उसमें से कुछ पैसे अपने गांव भेज देते हैं. कमाई ज्यादा नहीं होती है, इसलिए पूरे शहर में पैदल ही घूमते हैं.

इस्माइल ने बताया कि इस सुनहरे सूट-बूट को उन्होंने अपने मामा की शादी में खरीदा था. बाद में उसी सूट पर ही गोल्डन कलर से पोतकर कॉस्ट्यूम बना ली. फिलहाल वह भी आगरा घूमने आने वाले सैलानी उनके साथ सेल्फी लेने से खुश हैं. उन्हें लगता है कि जब लोग उनके साथ फोटो और वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डालेंगे तो दुनिया में उनकी पहचान बनेगी.

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