आगरा: देश आज 23वां कारगिल विजय दिवस (kargil Vijay Diwas) मना रहा है. 26 जुलाई 1999 को आज ही के दिन भारतीय सेना के वीर सपूतों ने कारगिल में (Kargil) में चलाए गए 'ऑपरेशन विजय' (Operation Vijay) से भारत भूमि को घुसपैठियों से मुक्त कराया था. 'ऑपरेशन विजय' में ताजनगरी के दर्जनों वीर सपूतों ने अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया. इसमें आगरा के दस वीर सपूत शहीद हो गए थे.
ईटीवी भारत से कारगिल युद्ध को लेकर रिटायर्ड ब्रिगेडियर मनोज कुमार ने एक्सक्लुसिव बातचीत की. वो उस समय श्रीनगर में आर्मी इंटेलिजेंस में मेजर पद पर तैनात थे. उन्होंने कहा कि कारगिल की अलग चोटियों पर हरकत की खबर मिल रही थी. पाकिस्तान जो विदेशों से रसद ले रहा था, उसकी भी जानकारी आईबी और रॉ को थी. आर्मी इंटेलिजेंस के पास हर जानकारी थी. हर खबर थी. लेकिन, हर इनपुट का एनालिसिस नहीं किया गया. इसका नतीजा कारगिल युद्ध के रूप में देश को देखना पड़ा. इसमें 500 से ज्यादा जवान शहीद हुए और 1200 से ज्यादा जवान घायल हुए.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर मनोज कुमार ने बताया कि आर्मी इंटेलिजेंस के पास पहले से ही सूचना आ गई थी. आर्मी इंटेलिजेंस में पहले सूचनाएं जुटाई जाती हैं. इसके बाद इन सूचनाओं को फिल्टर किया जाता है. इसके बाद जरूरी सूचनाओं को जिम्मेदार अधिकारियों तक पहुंचाया जाता है. श्रीनगर में उस समय आर्मी इंटेलिजेंस में जिम्मेदार अधिकारियों के पद खाली थे. इस वजह से इंटेलीजेंस में सूचनाओं का एनालिसिस नहीं हो पाया था. यदि हम सही एनालिसिस कर लेते तो शायद कारगिल युद्ध ही नहीं होता.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर मनोज कुमार ने बताया कि जिस तरह से भारत की सेना के लिए तमाम सामान दूसरे देशों से आता है. भले ही अब धीरे-धीरे अब हम आर्मी के सामान बनाने में आत्मनिर्भर हो रहे हैं. उसी तरह से पाकिस्तान का सामान भी कई देशों से आता है. देशों में हमारी आईबी और रॉ के एजेंट मुस्तैद हैं. जो हर गतिविधि की सूचना संकलित करते हैं. पाकिस्तान की आईएआई और अन्य इंटेलिजेंस के लोग भी तैनात रहते हैं.
कारगिल से पहले पाकिस्तान की सेना ने 'स्नो सूट' खरीदने का दायरा बढ़ा दिया था. आईबी और रॉ के पास यह सूचना थी. लेकिन, आईबी और रॉ के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. अधिकारी यही सोचते रहे कि पाकिस्तान इन 'स्नो सूट' का उपयोग सियाचिन में करेगा. इसमें ही गलती हुई. इससे पाकिस्तान धीरे-धीरे कारगिल की ऊंची-ऊंची चोटियों पर अपने सेना के जवानों को आतंकवादियों को शिफ्ट करता चला गया. हमें पता था. लेकिन, एनालिसिस करने में गलती हुई. आर्मी इंटेलिजेंस में जिस जिम्मेदार अधिकारी का यह काम था, वो पोस्ट खाली थी और इसी वजह से आर्मी इंटेलिजेंस की तमाम सूचनाओं का सही तरह से एनालिसिस नहीं हुआ.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर मनोज कुमार ने बताया कि कारगिल की चोटियों पर जहां दुश्मन छिपा बैठा था, वहां सामना करना बेहद ही मुश्किल काम था. जिसे ऊपर से सब कुछ दिखाई दे रहा था. वहां से लगातार निशाना साधकर फायरिंग करता था. मौसम भी उस समय हमारे वीर सपूतों के हक में नहीं था. पहाड़ियां दुर्गम थीं. सीधी चढ़ाई थी. लेकिन, फिर भी हमारे वीर सपूतों ने हार नहीं मानी. सीधी पहाड़ियों से चढ़कर पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों को खदेड़ दिया.
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