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गांव से लेकर शहर तक टीबी के मरीजों के घर पहुंचकर इलाज कर रहा है जालमा संस्थान

पीएम मोदी की ओर से 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए कई योजनाएं और अभियान चलाए जा रहे हैं. 25 सितंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में टीबी के मरीजों की खोज और उनके बेहतर उपचार के लिए 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' योजना लांच की.

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घर-घर जाकर टीबी का इलाज कर रहा है जालमा संस्थान.
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Published : Nov 30, 2019, 12:51 PM IST

आगरा: 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' इसी मंशा से एक अभियान तैयार किया, जिसे पीएम मोदी ने दिल्ली में बीते सितंबर महीने में लांच किया. इस अभियान के तहत अब गांव-गांव और शहरी क्षेत्र के मोहल्लों में टीबी के मरीजों की खोज की जा रही है. यूपी में इस अभियान का जिम्मा जालमा संस्थान के कंधों पर है. ईटीवी भारत ने जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल से 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान को लेकर विशेष बातचीत की.

घर-घर जाकर टीबी का इलाज कर रहा है जालमा संस्थान.

क्या है 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि टीबी के सभी मरीज हॉस्पिटल नहीं आते हैं. तमाम ऐसे मरीज होते हैं जो कई माह तक खांसी, सर्दी, बुखार, कम वजन होने पर भी जांच कराने नहीं आते हैं और टीबी के साथ रहते हैं. ज्यादा तकलीफ होने पर यह मरीज अस्पताल आते हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम होती है. यह सही आंकड़ा नहीं है, इसलिए हमने सोचा कि हम क्यों न इन मरीजों के पास पहुंचे. इसके लिए यह अभियान बनाया गया, जिसे शुरू किया गया है.

मॉडिफाई गाड़ी में कितने तरह की जांच होती है
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया इस अभियान के लिए एक विशेष तरह की गाड़ी मॉडिफाइड कराई गई है. इसमें एक्स-रे, बलगम की जांच, सीबी नोट मशीन के साथ ही दवाओं की व्यवस्था की गई है. इस गाड़ी में प्रशिक्षित स्टाफ है. इसमें बलगम की जांच, मरीज का एक्सरे और 2 घंटे में ही मरीज की सीबी नोट मशीन से टीबी की रिपोर्ट आ जाती है.

इसे भी पढ़ें- बुंदेलखंड की माटी का लाल, चीन में दिखा रहा योग का कमाल

देशभर में 32 गाड़ियां कर रही हैं जांच
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि हमने जो प्रोजेक्ट लिखा था. उसके तहत हमें 32 मॉडिफाई गाड़ियां मिली हैं. जालमा संस्थान के पास चार मॉडिफाई गाड़ियां हैं. बाकी की अन्य गाड़ियां अलग-अलग स्टेट में काम कर रही हैं. इन मॉडिफाई गाड़ियों की मदद से हमारा अभियान 2025 तक पूरा हो सकता है.

प्रधान और सरपंच की मदद से होगा गांवों पर फोकस
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि मुख्य रूप से यह गाड़ियां ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में जहां पर टीबी के मरीजों की संभावना कम है, वहां संपर्क कर रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र में जब भी मॉडिफाई गाड़ी जाती है, उससे पहले जिला क्षय रोग अधिकारी और तहसील क्षय रोग अधिकारी की मदद से गांव के प्रधान और सरपंच से संपर्क करते हैं. उन्हें बताते हैं कि इस दिन हमारी टीम गांव में टीबी की जांच करने के लिए आ रही है, जो भी संदिग्ध व्यक्ति हैं, जिन्हें लगातार खांसी है, वजन कम हो रहा है, ऐसे सभी लोगों को एक जगह पर एकत्रित करें. इस तरह से सरपंच और प्रधान की मदद लोगों को एकत्रित करने में लेते हैं. इसके बाद वहां पर कैंप लगाकर टीबी के मरीजों की जांच करते हैं.

इसे भी पढ़ें- मथुरा में मौत LIVE, वीडियो देखकर आप भी रह जाएंगे हैरान

कहां पर हैं टीबी के सबसे ज्यादा मरीज
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि आगरा में टीबी के बहुत मरीज हैं. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टीबी के मरीजों की संख्या है. इसके साथ ही फिरोजाबाद में भी टीबी के मरीजों की संख्या अधिक है, क्योंकि यहां पर चूड़ी और कांच के कारखाने हैं. इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लंग्स में इंफेक्शन होता है. इससे टीबी की बीमारी होती है. अलीगढ़ और अन्य तमाम ऐसे जिले हैं, जहां पर टीबी के मरीजों की संख्या ज्यादा है.

आगरा: 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' इसी मंशा से एक अभियान तैयार किया, जिसे पीएम मोदी ने दिल्ली में बीते सितंबर महीने में लांच किया. इस अभियान के तहत अब गांव-गांव और शहरी क्षेत्र के मोहल्लों में टीबी के मरीजों की खोज की जा रही है. यूपी में इस अभियान का जिम्मा जालमा संस्थान के कंधों पर है. ईटीवी भारत ने जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल से 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान को लेकर विशेष बातचीत की.

घर-घर जाकर टीबी का इलाज कर रहा है जालमा संस्थान.

क्या है 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि टीबी के सभी मरीज हॉस्पिटल नहीं आते हैं. तमाम ऐसे मरीज होते हैं जो कई माह तक खांसी, सर्दी, बुखार, कम वजन होने पर भी जांच कराने नहीं आते हैं और टीबी के साथ रहते हैं. ज्यादा तकलीफ होने पर यह मरीज अस्पताल आते हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम होती है. यह सही आंकड़ा नहीं है, इसलिए हमने सोचा कि हम क्यों न इन मरीजों के पास पहुंचे. इसके लिए यह अभियान बनाया गया, जिसे शुरू किया गया है.

मॉडिफाई गाड़ी में कितने तरह की जांच होती है
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया इस अभियान के लिए एक विशेष तरह की गाड़ी मॉडिफाइड कराई गई है. इसमें एक्स-रे, बलगम की जांच, सीबी नोट मशीन के साथ ही दवाओं की व्यवस्था की गई है. इस गाड़ी में प्रशिक्षित स्टाफ है. इसमें बलगम की जांच, मरीज का एक्सरे और 2 घंटे में ही मरीज की सीबी नोट मशीन से टीबी की रिपोर्ट आ जाती है.

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देशभर में 32 गाड़ियां कर रही हैं जांच
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि हमने जो प्रोजेक्ट लिखा था. उसके तहत हमें 32 मॉडिफाई गाड़ियां मिली हैं. जालमा संस्थान के पास चार मॉडिफाई गाड़ियां हैं. बाकी की अन्य गाड़ियां अलग-अलग स्टेट में काम कर रही हैं. इन मॉडिफाई गाड़ियों की मदद से हमारा अभियान 2025 तक पूरा हो सकता है.

प्रधान और सरपंच की मदद से होगा गांवों पर फोकस
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि मुख्य रूप से यह गाड़ियां ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में जहां पर टीबी के मरीजों की संभावना कम है, वहां संपर्क कर रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र में जब भी मॉडिफाई गाड़ी जाती है, उससे पहले जिला क्षय रोग अधिकारी और तहसील क्षय रोग अधिकारी की मदद से गांव के प्रधान और सरपंच से संपर्क करते हैं. उन्हें बताते हैं कि इस दिन हमारी टीम गांव में टीबी की जांच करने के लिए आ रही है, जो भी संदिग्ध व्यक्ति हैं, जिन्हें लगातार खांसी है, वजन कम हो रहा है, ऐसे सभी लोगों को एक जगह पर एकत्रित करें. इस तरह से सरपंच और प्रधान की मदद लोगों को एकत्रित करने में लेते हैं. इसके बाद वहां पर कैंप लगाकर टीबी के मरीजों की जांच करते हैं.

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कहां पर हैं टीबी के सबसे ज्यादा मरीज
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि आगरा में टीबी के बहुत मरीज हैं. शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टीबी के मरीजों की संख्या है. इसके साथ ही फिरोजाबाद में भी टीबी के मरीजों की संख्या अधिक है, क्योंकि यहां पर चूड़ी और कांच के कारखाने हैं. इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लंग्स में इंफेक्शन होता है. इससे टीबी की बीमारी होती है. अलीगढ़ और अन्य तमाम ऐसे जिले हैं, जहां पर टीबी के मरीजों की संख्या ज्यादा है.

Intro:स्पेशल का लोगो.....
आगरा.
जालमा संस्थान ने 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' इसी मंशा से अभियान तैयार किया. जिसे पीएम मोदी ने दिल्ली में बीते सितंबर माह में लांच किया. इस अभियान के तहत अब गांव गांव और शहरी क्षेत्र के मोहल्लों में टीबी के मरीजों की खोज की रही है. यूपी में अभियान का जिम्मा जालमा संस्थान के कंधों पर है. ईटीवी भारत ने जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल से 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' अभियान को लेकर विशेष बातचीत की.


Body:क्या अभियान है, ' टीबी हारेगा, देश जीतेगा'
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि टीबी के सभी मरीज हॉस्पिटल नहीं आते हैं. तमाम ऐसे मरीज होते हैं, कई माह तक खांसी, सर्दी, बुखार, कम वजन होने पर भी जांच कराने भी नहीं आते हैं. और टीबी के साथ रहते हैं. ज्यादा तकलीफ होने पर यह मरीज अस्पताल आते हैं. लेकिन उनकी संख्या बहुत कम होती है. यह सही आंकड़ा नहीं है. इसलिए हमने सोचा कि हम क्यों ना इन मरीजों के पास पहुंचे. इसके लिए यह अभियान बनाया गया. जिसे शुरू किया है.

मॉडिफाई गाड़ी में कितने तरह की जांच होती है
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया इस अभियान के लिए एक विशेष तरह की गाड़ी मॉडिफाइड कराई गई है. जिसमें एक्स-रे, बलगम की जांच, सीबी नोट मशीन के साथ ही दवाओं की व्यवस्था है. इस गाड़ी में प्रशिक्षित स्टाफ है. इसमें बलगम की जांच, मरीज का एक्सरे और 2 घंटे में ही मरीज की सीबी नोट मशीन से टीबी की रिपोर्ट आ जाती है.

देशभर में 32 गाड़ियां कर रहीं जांच
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि हमने जो प्रोजेक्ट लिखा था. उसके तहत हमें 32 मॉडिफाई गाड़ियां मिली हैं. जालमा संस्थान के पास चार मॉडिफाई गाड़ियां हैं. बाकी की अन्य गाड़ियां अलग-अलग स्टेट में काम कर रही हैं.
इन मॉडिफाई गाड़ियों की मदद से जो हमारा अभियान है. 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा', यह 2025 तक पूरा हो सकता है.

गांवों पर फोकस, प्रधान और सरपंच की मदद
जानवर संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि मुख्य रूप से यह गाड़ियां हमारी ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र जहां पर टीबी के मरीजों की संभावना है. ग्रामीण क्षेत्र में जब भी मॉडिफाई गाड़ी जाती है, उससे पहले जिला क्षय रोग अधिकारी और तहसील क्षय रोग अधिकारी की मदद से गांव के प्रधान और सरपंच से संपर्क करते हैं. उन्हें बताते हैं कि इस दिन हमारी टीम गांव में टीबी की जांच करने के लिए आ रही है, जो भी संदिग्ध व्यक्ति हैं. जिन्हें लगातार खांसी है. वजन कम हो रहा है. ऐसे सभी लोगों को एक जगह पर एकत्रित करें. इस तरह से सरपंच और प्रधान की मदद लोगों को एकत्रित करने में लेते हैं. फिर वहां पर कैंप लगाकर टीबी के मरीजों की जांच करते हैं.

कहां पर टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं
जालमा संस्थान के डायरेक्टर श्रीपाद ए पाटिल ने बताया कि आगरा में अपनी टीबी के बहुत मरीज हैं. शहर और ग्रामीण क्षेत्र में टीबी के मरीजों की संख्या है. इसके साथ ही फिरोजाबाद में भी टीबी के मरीजों की संख्या अधिक है. क्योंकि यहां पर चूड़ी और कांच के कारखाने हैं. इन कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लंग्स में इंफेक्शन होता है. इससे टीबी की बीमारी होती है. अलीगढ़ और अन्य तमाम ऐसे जिले हैं. जहां पर टीवी के मरीजों की संख्या ज्यादा है.


Conclusion:पीएम मोदी के मिशन 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लिए नई योजनाएं और अभियान चलाए जा रहे हैं. 25 सितंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में टीबी के मरीजों की खोज और उनके बेहतर उपचार के लिए 'टीबी हारेगा, देश जीतेगा' लांच किया.
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श्रीपाद ए पाटिल, डॉयरेक्टर जालमा संस्थान (आगरा)।

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श्यामवीर सिंह
आगरा
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