आगरा: ताजनगरी में लोगों ने गंदगी जलभराव और सड़क न होने की समस्या के चलते प्रशासन को जगाने के लिए अलग ही तरीका ढूंढ निकाला है. आपने अधिकतर लोगों को अपने मकान पर 'मकान बिकाऊ' के पोस्टर लगाकर अपनी समस्या बताने के तरीके तो बहुत देखे होंगे, लेकिन यहां के स्थानीय लोगों ने तो अपनी कॉलोनियों का नाम ही बदल दिया. उन्होंने अपनी कॉलोनी में जो भी समस्या थी उन समस्याओं के ऊपर ही अपनी कॉलोनी को नाम दे दिए. इसमें गंदगी होने पर घिनौना नगर, नरक पुरी, दुर्गंध सील कॉलोनी, बदबू बिहार, नाला नगर आदि नाम दे दिए गए.
दरअसल, लोगों का कहना है कि सालों से हम इन समस्याओं से जूझ रहे हैं. इनके समाधान के लिए हमने क्षेत्रीय पार्षद से लेकर सांसद तक के दरवाजे पर दस्तक दे दी. प्रशासन को भी कई बार बोल दिया गया लेकिन, उनकी कोई भी सुनवाई नहीं हो रही. ऐसे में उन्होंने मान लिया है कि अब हमें जिंदगी ऐसे ही काटनी पड़ेगी. इसलिए उन्होंने सोचा कि जब हमें गंदगी और बदबू में ही रहना है तो क्यों ना हम अपनी कॉलोनी का नाम भी यही रख लें. ऐसे में उन्होंने कॉलोनी के नाम बदल दिए और इन नामों के साथ कॉलोनी के दरवाजे पर बोर्ड भी लगा दिए.
बता दें कि यह वही कॉलोनी है जिस कॉलोनी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर दीपक चाहर का घर है. दीपक चाहर की मां यहां घर में रहती है. वहीं, दीपक चाहर के भाई राहुल चाहर का भी यही पर घर था. लेकिन राहुल के पिताजी गंदगी की वजह से मकान बेच कर चले गए. लोगों का कहना है कि उनकी कॉलोनी आगरा ग्रामीण विधानसभा के अंतर्गत आती है. जहां की विधायक उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य है और सांसद राजकुमार चाहर है. कई बार उनसे भी समस्याओं को लेकर गुहार लगाई गई. लेकिन, उन्होंने भी कोई सुनवाई नहीं की गई.
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स्थानीय निवासी राजेंद्र सिंह ने बताया कि हमने अपने सांसद विधायक सभी प्रतिनिधियों से शिकायत की कि दौरेठा, अवधपुरी, अलबतिया रोड की 6 कॉलोनी खराब हो चुकी है. कीचड़, नाले की बदबू से परेशान हो चुके हैं. आने जाने का रास्ता बंद हो चुका है. लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. इस वजह से हमने अवधपुरी का नाम नरक पुरी, पंचशील कॉलोनी का नाम दुर्गंध सील कॉलोनी, मानसरोवर कॉलोनी का नाम नाला सरोवर कॉलोनी, बदबू विहार, घिनौना नगर और कीचड़ नगर कॉलोनी के नाम पर रख दिया. असलियत में इन कॉलोनियों की हालत यही हो चुकी है.
अलबतिया के रहने वाले धर्मेंद्र धाकड़ ने बताया कि क्षेत्र में उनके कई वक्त से विकास कार्य नहीं हुआ, गंदगी अपरंपार है. सफाई होती ही नहीं है. कीचड़, बदबू से परेशान तो हम रहते ही हैं. कोई रिश्तेदार भी घर नहीं आता. कोई आता भी है तो गन्दगी की वजह से उनकी बेज्जती होती है. हमने कई वक्त तक इंतजार भी किया कि शायद विकास कार्य हो जाए. लेकिन, विकास कार्य आज तक नही हुआ. जिस जगह रहने में शर्म सी महसूस हो, उस जगह मकान बेच देना ही सही है. इसलिए हमने मकान बिकाऊ के पोस्टर लगाए हैं.
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